अलख पांडे।
नाम सुना है…….नहीं सुना?
फिजिक्स वाला …….नाम सुना है…….शायद सुना होगा।
क्योंकि पांडे जी द्वारा स्थापित “फिजिक्स वाला” स्टार्टअप लगभग 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग यानी 777 करोड़ रुपए जुटा चुका है।।
दोहरा रहा हूं …….777 करोड़।
पांडे छठी कक्षा में थे।
घर की वित्तीय स्थिति इतनी बिगड़ गई के पांडे के पिता को उनका पुशतैनी मकान बेचना पड़ा।
सारा परिवार सड़क पर आ गया।
पांडे पढ़ाई में अव्वल थे।
जिम्मेवार भी थे।
8 वीं कक्षा में पांडे 6ठी कक्षा के बच्चों को जीवन यापन हेतु ट्यूशन पढ़ा रहे थे। इसलिए पढ़ा रहे थे के दो वक्त की रोटी के इंतजाम में कुछ योगदान उनका भी हो।
पांडे 8वीं में ही मास्टर जी बन गए थे।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक पांडे जी बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर जीवन यापन करते रहे।
फिजिक्स में उनका ऐसा इंटरेस्ट बैठा के उन्हें फिजिक्स से इश्क हो गया।
(हो जाता है। लेखक को भी किसी समय हिंदी से इश्क हो गया था….क्षमा चाहता हूं….प्रेम हो गया था)
फिजिक्स के इश्क ने उन्हें एक यूट्यूब चैनल खोलने की प्रेरणा प्रदान की।
2014 में पांडे ने उन्होंने चैनल शुरू किया और यूट्यूब पर फिजिक्स पढ़ाने लगे।
Joint Entrance Examination यानि (JEE) IIT (Indian Institute of Technology की परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों ने पांडे के फिजिक्स के कांसेप्ट फॉलो करने शुरू कर दिए। शुरआत में करीबन 4 हजार स्टूडेंट पांडे के यूट्यूब चैनल से जुड़े।
पांडे चाहते तो उस समय किसी भी कॉम्पिटिटीव इग्जाम को क्रैक कर सरकारी बाबू बन सकते थे।
लेकिन उनका लक्ष्य भारत में सर्वोच्च बनने का था। पांडे बड़े गर्व से बताते हैं की 12वीं कक्षा की नोटबुक में उन्होंने तंगहाली के दिनों में एक पंक्ति लिखी थी……. I will be India’s biggest physics teacher……..अर्थात मैं फिजिक्स टीचिंग में भारत में सर्वोच्च बनूंगा।
पांडे नौकरी नहीं ढूंढ रहे थे। वह 135 करोड़ जनसंख्या के राष्ट्र में सर्वोच्च बनने की राह तालाश रहे थे।
उनका सफर 9 से 5 बजे तक सरकारी कुर्सी तोड़ने तक नहीं था। वह नौकर बन समय की पाबंदी नहीं चाहते थे। वह समय को अपना पाबंद बनाना चाहते थे।
हुआ भी कुछ ऐसा ही।।
पांडे के पढ़ाने का ढंग इतना लोकप्रिय हुआ के यूट्यूब पर 4000 सबस्क्राइबस से शुरू हुआ सफर सन 2019 तक 2 मिलियन सबस्क्राइबर्स तक पहुंच गया।
पांडे ने फिजिक्स जगत में सनसनी फैला दी।
पांडे समझ चुके थे के रन वे पर खड़ा उनकी किस्मत का जहाज़ अब टेक आफ करने वाला है।
उन्होंने तत्काल “फिजिक्स वाला” एप लॉन्च कर दी।।
पांडे अब इतना विश्वसनीय नाम बन चुके थे के कुछ ही समय में एप पर 200000 स्टूडेंट आ गए और एप ….. क्रैश हो गई।
असंख्य युवा ऐप में एनरोल कर चुके थे…..ऑनलाइन फीस भर चुके थे।।
इसी बीच पांडे के पास एक आफर आया।
एक बड़े व्यापारी ने उनकी एप का मूल्य लगाया।
मूल्य था 75 करोड़ रुपए।
उसी समय पांडे इतनी बड़ी धनराशि के मालिक बन सकते थे लेकिन उन्होंने इस आफर को लात मार कर ठुकरा दिया। जैसा कि लेख की शुरुआत में लिखा के पांडे का फिजिक्स वाला अब 700 करोड़ से ऊपर फडिंग जुटा चुका है और आज की तारीख में राष्ट्र के सबसे सफल स्टार्ट अप में से एक है।
आज पांडे रोजगार बांट रहे हैं। फिजिक्स लगभग 19000 लोगों को रोजगार …….दे रहा है।
इनमें टीचर्स ………एसोसिएट प्रोफेसर……सबजेक्ट मैटर एक्सपर्ट से लेकर टेक्नीशियन आदि शुमार हैं।
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पांडे अकेला उदाहरण नहीं हैं जो भुखमरी के दौर से उठ कर हजार करोड़ों के मालिक बन गए।
ऐसे कई उदाहरण हैं।
…………..और उन सभी उदाहरणों में एक बात सांझा है।
उन सभी ने कभी रेल के डिब्बों में आग नहीं लगाई।
बल्कि उस आग को अपने दिल में जलाए रखा है।
उन सभी ने कभी नौकरी के लिए हाथ नहीं फैलाया।
बल्कि उन हाथों को इतना सक्षम बनाया के वह नौकरियां बांट सकें।
पब्लिक प्रॉपर्टी फूंकते, आगजनी करते, पॉलिटिकल पार्टी के इशारों पर नाचते उन युवाओं को नजरंदाज कर दीजिए, और अंदाज़ा लगाइए अलख पांडे सरीखे युवाओं का जो इस राष्ट्र के भविष्य की नींव हैं।
पांडे अकेले नहीं हैं जिन्होंने अपने सपनों का पीछा करते शून्य से करोड़ों तक का सफर तय किया है।
आने वाले दिनों में ऐसे ही किरदारों से रूबरू करवाने का प्रयास रहेगा।
