पहले वो फ़र्ज़ी डिग्री जलाओ… हल्के हो… तब कर पाओगे कुछ काम

एक सिरफिरे राजा ने अपने राज्य में एक बहुत बड़ी फैक्ट्री खोली और उसमें बख्तरबंद गाड़ियाँ बनाने लगा।

बख्तरबंद गाड़ी वो होती है जिसका तीर तलवार, गोली बंदूक, बम पिस्तौल कुछ नहीं बिगाड़ सकते… मने बुलेटप्रूफ किस्म की फौजी गाड़ी।

अब फैक्ट्री चलने लगी तो उसमें हर साल हजारों लाखों बख्तरबंद गाड़ियाँ बनने लगीं।

किसी भले आदमी ने पूछा… हुज़ूर इतनी बख्तरबंद गाड़ियाँ बना रहे हो… क्या होगा इनका? क्या करोगे इतनी?

राजा ने उसका मज़ाक उड़ाया… बोला, बताओ… इनको ये भी नहीं पता कि कितने काम की चीज़ होता है बख्तरबंद गाड़ी… फौज में भर्ती करेंगे इनको… देश की रक्षा करेंगी ये…

फिर हुआ ये, कि फौज ने जितनी जरूरत थी, 100 – 50 गाड़ियाँ ले कीं… बाकी फैक्ट्री के गोदाम में खड़ी रही।

धीरे धीरे गोदाम जब भर गए तो बाहर सड़क पर खड़ी कर दीं… फिर एक समय ऐसा आया कि जहां देखो तहां बख्तरबंद गाड़ी खड़ी हैं… खड़ी गाड़ी में जंग लगने लगता है… राजा परेशान… क्या करें इतनी गाड़ियों का? उसने फौज से कही, इनको भर्ती करो यार…

फौज बोली, राजा साब… सिर्फ बॉडी है… इंजन तो लगाओ… किसी किसी में इंजन लगा भी है तो 600 CC का या 800CC का… वो जो Nano या Maruti में होता है… बख्तरबंद गाड़ी में 25000 CC का इंजन लगाओ महाराज…

राजा ने म्युनिसिपेलिटी से कहा, इनको कूड़ा ढोने में लगा दो… म्युनिसिपेलिटी बोली महाराज, ये कूड़ा भी न ढो पाएंगी… उसके लिए Open Body होनी चाहिए…

राजा बोला, सवारी ढोने में लगा दो… अजी महाराज इतना भारी भरकम शरीर लिए कहां चल पाएंगी ये?

फिर क्या करें इनका???

कबाड़ में बेच दो, 8 रूपए किलो…

लखनऊ के सचिवालय में जब चपरासी की वैकेंसी निकली तो 30 लाख से ज़्यादा युवकों ने फॉर्म भरा। उनमें से कई हज़ार तो PhD थे।

ये वही बख्तरबंद गाड़ियाँ हैं जो न फौज में जाने लायक हैं, न म्युनिसिपेलिटी का कूड़ा ढो सकती हैं और न रोड पर सवारी ढो सकती हैं…

भारत आज़ाद हुआ तो देश अनपढ़ था… निरक्षर… सरकार ने साक्षरता अभियान चलाया… और फिर हज़ारों लाखों कॉलेज यूनिवर्सिटी खोलने लगी।

दे धकाधक निकलने लगी डिग्रीधारी बख्तरबंद गाड़ियाँ… किसी में इंजन था तो कोई बिना इंजन… देश में तथाकथित पढ़े लिखे डिग्रीधारी बेरोज़गार जमा होने लगे।

सवाल है कि एक देश को कितने BA, कितने MA, कितने MBA, कितने Engineer कितने Doctor चाहिए?

हर घुरहू कतवारू अगर BA, MA, MBA, BTech कर लेगा (बख्तरबंद) तो आखिर लगेगा कहां?

2004 – UPA में कपिल सिब्बल ने जो हज़ारों निजी इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, बीएड कॉलेज खोले… वो सब बिना इंजन वाली बख्तरबंद गाड़ियाँ बना रहे थे। उनकी बनाई गाड़ियाँ आज सड़कों पर खड़ी जंग खा रही हैं… उनमें से ज़्यादातर ये जानते भी हैं कि उनमें इंजन नहीं लगा है।

दुर्भाग्य से ये कूड़ा भी नहीं ढो सकते।

उसके लिए पहले वो फ़र्ज़ी डिग्री वाला भारी भरकम जीन बख्तर उतारना पड़ेगा… BTech वाला पकोड़े कैसे बेचे? पहले वो फ़र्ज़ी डिग्री जलाओ… हल्के हो… तब कुछ काम कर पाओगे…

फ़र्ज़ी डिग्री के बोझ को उतारो… और फिर अपनी बॉडी में स्किल का इंजन लगाओ… वो इंजन ज़रूरी नहीं कि 8000 cc का ही हो… 80 cc की गाड़ी भी सरपट दौड़ती है… ऐसी 1000 skills हैं जो 3 – 6 महीने में सीख सकते हैं… स्वरोज़गार कर बेरोज़गारी की लाइन से बाहर आओ।

मोदी आपको नौकरी-Job नहीं, रोज़गार देगा।

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