नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के एक गटर में तलाशी अभियान चल रहा है। भाईजान का चारा बन चुके आइबी कर्मचारी अंकित शर्मा की लाश तो बरामद हो चुकी है। लेकिन कुछ और लाशें भी मिलने की उम्मीद है।
अभी कुछ ही दिन पहले दिल्ली ने भारी बहुमत से केजरीवाल को जिताया था। इसे शाहीन बाग की जीत कहा गया। शाहीन बाग आज फिर जीत गया है। अब तक 26 मौतें और हज़ारों घर एवं गाड़ियां स्वाहा। और भाई चारा खाकर निकल चुका है। जुमलों के खुमार में डूबे चारे जब तक संभलते, अपनी सुरक्षा के उपाय सोचते, तब तक खेल खत्म।
खेल खत्म ही नहीं। आपके लोग मारे गए, आपकी संपत्ति जलाई गई और उसका जिम्मेदार भी आपको ही ठहराया जा रहा है। चाराहुति देने को प्रतिबद्ध/ वचनबद्ध लोग सर्वत्र विराजमान हैं। इनके आगे तो रामलला विराजमान भी कुछ नहीं।
दिल्ली हाई कोर्ट के एक माननीय जज ने आज दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। बेचारी पुलिस। रतन लाल बलिदान हो गए, सैकड़ों पुलिस कर्मी घायल हुए, लेकिन जज साहब का गुस्सा भाई पर नहीं, चारे पर फूटा है। पूछा गया कि कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की। अब कपिल मिश्रा के बयान में भड़काने वाला तत्व कहां से आया? किसलिए यह बयान दिया?
शनिवार रात बारह बजे खबर आती है कि जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के आसपास खवातीनों ने कब्ज़ा जमा लिया है और रास्ते बंद कर दिए हैं। रविवार को कपिल मिश्रा कहते हैं कि पुलिस रास्ते खाली कराए नहीं जो जनता खुद खाली कराएगी। पुलिस रास्ता खाली करा नहीं सकती। कराया तब जब नुकसान हो चुका था।
सवाल यह है कि असम को काट देने, जिन्ना वाली आज़ादी और सौ करोड़ पर पंद्रह करोड़ मुसलमान भारी होने जैसे बयानों के बाद क्या चारों ने कत्लेआम शुरू कर दिया?
नहीं। लेकिन क्या आप भाईजान और टुकड़े टुकड़े गैंग के उनके समर्थकों/ आकाओं से ऐसी सहनशीलता की उम्मीद कर सकते हैं। कदापि नहीं। उन्होंने अगले दिन ही दिल्ली जला दी।
माननीय अदालत को उनको फटकार लगाने की हिम्मत शायद है नहीं। भाई और चारे के संबंध ऐसे ही होते हैं। चारे को भाई का निवाला बनना है। भाईजान ने जैसे ही अपना खेल खत्म किया सीधे सेना तैनात करने की मांग करने लगे। इस काम में चारा फिर भाई के भोंपू बने हुए हैं। पुलिस को हर हाल में दागदार साबित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। क्योंकि वो जानते हैं कि पुलिस आखिर में उन्हें ढूंढ निकालेगी। इसलिए उन्हें सेना चाहिए जो फ्लैग मार्च करे और फिर रवाना हो जाए।
फिलहाल चांदपुरी के उस गटर में उन लोगों की तलाश जारी है जो भाई का चारा और निवाला बन गए। यह एक नज़ीर है कि ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकोगे तो सब फूंक दिया जाएगा, उस टायर मार्केट की तरह। लेकिन जो अभी तक मुर्दा नहीं हुए, जो ज़िंदा हैं, वो इसे लंबे, बहुत लंबे समय तक याद रखेंगे। वे भाई का बड़ा भाई बनेंगे, चारा नहीं।
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