कुछ दिनों से ट्रैफिक जुर्माने पर भारी बहस छिड़ी हुई है हमारे देश में। किसी ने कहा “अरे भाई इतना जुर्माना कैसे भरेंगे?”
भाई, जुर्माना भरना कोई गैस सिलिंडर खरीदना नहीं है, जुर्माना तभी भरोगे जब गलती करोगे।
मुझे अच्छे से याद है फेसबुक पर एक डॉक्टर साहब से बहस हुई थी मेरी, वे भड़के हुए थे मेरी एक पोस्ट पर, जिसमे मैंने पैदल चलने वालों, और रोड क्रॉस करने की समुचित व्यवस्था ना होने का जिक्र किया था। डॉक्टर साहब ने खूब गालियां निकाली पैदल चलने वालों पर, बड़े दम्भ से कहते रहे कि सड़क गाड़ी चलने वालों के लिए बनायी गयी हैं और पैदल लोग जानवर हैं।
खैर, तब मैं अमेरिका नहीं आया था, यहाँ आकर देखा कि अगर पैदल चलने वाला गलती से भी रोड क्रॉस कर रहा हो (क्रॉस करने का सिग्नल ना होने पर भी) तब भी पूरा का पूरा भारी भरकम ट्रैफिक कई सौ फ़ीट दूर से थम जाता है, लोग स्पीड तो दूर की बात है, पेडेस्ट्रियन पर हॉर्न तक मारने की हिम्मत नहीं करते।
जानते हैं ऐसा खौफ क्यों है? क्योंकि अमेरिका में किसी पेडेस्ट्रियन को एक खरोंच भी आ जाये आपकी कार से, तो समझ लीजिये कि आपकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते हुए ही निकलेगा और भारी भरकम जेब कटेगी सो अलग।
ईश्वर ना करे कोई पैदल व्यक्ति आपकी कार से मर जाये, आप नर्क भुगतेंगे जीते जी। जब ऐसा खौफ स्थापित होता है तब जाकर पैदल चलने वाले के लिए या किसी और ट्रैफिक नियम के लिए ‘सम्मान’ पैदा होता है।
एक अमरीकी की औसत आय 3000 – 4000 डॉलर मासिक होती है, टैक्स काटने के बाद हाथ में आते हैं 2000 – 3000 डॉलर। जानते हैं, रेड लाइट क्रॉस करने पर कितना जुर्माना होता है? 300 – 600 डॉलर तक, यानि आपकी मासिक आय का दस से बीस प्रतिशत।
हालाँकि जुर्माने की राशि बढ़ाना एक बहुत ही सही दिशा का कदम है पर हमारे देश का सिस्टम भ्रष्टाचार नामक दीमक ने पूरी तरह चाट कर खोखला किया हुआ है। इसलिए ज़रूरी है कि इस व्यवस्था में व्यापक सुधार भी किये जाएँ।
RTO नाम का विभाग भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन चुका है। पार्टी कोई भी हो, सबका पेट यही विभाग भरता है। इसे या तो बंद किया जाये और नयी व्यवस्था लायी जाये, या इसमें आमूलचूल परिवर्तन किये जाएँ। बिना व्यवस्थित तंत्र विकसित किये ये फैसला भ्रष्टाचार करने का एक और तरीका ही सिद्ध होगा।
इसका कारण जानना है तो समझना होगा कि अमेरिका कैसे जुर्माना वसूलता है। अमेरिका में आप जुर्माना नहीं देंगे तो आप का लाइसेंस रद्द हो जायेगा, आप अपनी कार का वार्षिक रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवा पाएंगे।
मतलब कि ऐसी स्थिति में आप गैर कानूनी रूप से ‘चोरी की’ कार चलाने वाले माने जायेंगे और कानून के शिकंजे में फंसते चले जायेंगे। आप ना सिर्फ गिरफ्तार हो सकते हैं बल्कि हमेशा के लिए आपराधिक प्रवृत्ति वाले नागरिकों की सूची में भी जुड़ सकते हैं क्योंकि आपके फिंगरप्रिंट के हिसाब से एक पूरा डेटाबेस आपके अपराधों का लेखा जोखा रख रहा होगा।
जुर्माना राशि हमेशा के लिए आपके सोशल सिक्योरिटी नंबर पर भी झलकेगी जिससे आप किसी भी प्रकार का लोन या वित्तीय कारोबार करने में असमर्थ होंगे। कुल मिलाकर आपकी एक गलती से एक सम्मानजनक नागरिक वाली ज़िंदगी पूरी तरह तबाह हो सकती है।
ऐसा नहीं है कि अमेरिका गरीबों से भी जुर्माना वसूलने में सख्ती करता है। यहाँ कोर्ट आपको EMI (मासिक किश्त) वाला विकल्प भी देती है। आपका पिछला रिकॉर्ड देखकर कुछ कोर्ट जुर्माना माफ़ भी करती हैं। अन्य कोर्ट थोड़े कम गंभीर अपराधों में कुछ हफ़्तों की ‘आवश्यक समाज सेवा’ करने का विकल्प भी देती हैं।
हमें भी ऐसी सारी व्यवस्थाएं खड़ी करनी होंगी और चक्रव्यूह बनाना होगा जिसमें एक आदतन अपराधी फंसे तो कभी बाहर ना निकल पाए और एक अच्छा नागरिक फंसे तो बिना किसी भ्रष्टाचारी खींच तान के ससम्मान बाहर निकल पाए। मुझे लगता है ये सिर्फ शुरुआत है, मोदी है तो ये सब भी मुमकिन है। धैर्य रखिये और नियम कानून का पालन कीजिये कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता।
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