कभी गृह मंत्री रहते हुए अमित शाह को जेल में डालने वाले पी चिदंबरम आज शाह के गृह मंत्री होते हुए खुद जेल चले गए।
काल चक्र ऐसे पूरा होता है… तिहाड़ जेल में दो हफ्ते काटने होंगे फिलहाल, आगे का पता नहीं।
आज ही सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की ई डी द्वारा गिरफ़्तारी से अग्रिम ज़मानत भी ख़ारिज कर दी और बड़ी सख्त टिप्पणी की कि उन्हें ज़मानत देने का मतलब जांच को प्रभावित करना होगा जो सही दिशा में जा रही है।
इसका मतलब साफ़ है कि जो साक्ष्य ई डी ने अदालत के सामने रखे, अदालत उन साक्ष्यों से पूरी तरह सहमत थी।
इसलिए जेल जाने से बचने के लिए चिदंबरम ने आज ही ई डी सामने आत्मसमर्पण करने के लिए अदालत में अर्ज़ी दी मगर अदालत ने नहीं माना और जेल भेजने के आदेश दे दिए। अब 12 सितम्बर 2019 को उनकी अर्ज़ी पर सुनवाई होगी।
काँग्रेस के दोनों बड़े वकील नेता कपिल सिबल और अभिषेक मनु सिंघवी फेल हो गए जो चिदंबरम को बचा नहीं सके। सिबल ने कहा था चिदंबरम की आयु 74 वर्ष है और इसलिए उन्हें जेल नहीं भेजना चाहिए।
ये हो सकता है कि जब तक चिदंबरम के मुक़दमे का फैसला हो वे 80 वर्ष के हो जाएं और उस उम्र में शायद ही जेल की सज़ा भुगतें। पंडित सुखराम को ही देख लो… 3 मुकदमों में सज़ा होने के बाद भी एक दिन सज़ा नहीं भुगती। लालू यादव को जब से सज़ा हुई तब से हॉस्पिटल में पड़े हैं। जगन्नाथ मिश्रा भी बिना सज़ा भुगते चले गए।
लेकिन चिदंबरम सज़ा भुगतें या ना भुगतें, उनके द्वारा देश से लूटा हुआ धन भारत में और विदेशों में वसूल हो जाये तो वो भी बहुत बड़ी बात होगी। और ऐसा होगा, ये मुझे विश्वास है।
काँग्रेस के नेता विधवा विलाप ना करें कि मोदी सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। क्योंकि वो अगर ऐसा कर रही होती तो चिदंबरम आज नहीं, पता नहीं कब के जेल चले गए होते और कांग्रेस के ना जाने कितने नेता अभी जेल में होते।
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