भारत में आर्थिक मंदी वाले लेखों (भारत में आर्थिक मंदी की कहानी – भाग-1 और भाग-2) पर कुछ टिप्पणियाँ आईं। उन में से चार को लेना चाहूंगा।
पहली, विश्व की अर्थव्यवस्था में कब तक सुधार अपेक्षित है?
दूसरी, छोटे और मंझले व्यापारी और उद्यमी परेशान है, कैश क्राइसिस है और डिमांड कम या आधी है।
तीसरी, कार, कमर्शियल व्हीकल सेल, और स्टील की बिक्री डाउन है।
चौथी, मंदी नहीं है, बाजार का ट्रेंड बदल गया है।
इस लेख में पहले प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करते हैं।
अगर एक ग्राफ में संपूर्ण मानव इतिहास की प्रगति को दर्शाया जाए तो हम पाएंगे कि हज़ारों वर्षों में हमारा विकास ज़मीन पर पड़ी एक सपाट लकीर जैसा था, अर्थात परिवर्तन की दर बेहद धीमी थी।
लेकिन 18वीं सदी की शुरुआत में यह लकीर ऊपर उठनी शुरू हुई और बीसवीं सदी के मध्य में एकाएक यह 90 डिग्री के कोण पर उठकर सीधी खड़ी हो गयी। दूसरे शब्दों में एकाएक त्वरित आर्थिक विकास होना शुरू हो गया।
यह विकास संभव हुआ था General Purpose Technology (GPT) के विकास से जिनका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है – जैसे कि भाप का इंजन, बिजली, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनीकरण, ऑटोमोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट, इत्यादि के विकास से।
ऐसी अंतिम GPT इंटरनेट था जिसने संचार में क्रांति ला दी। इसके फलस्वरूप सेल फोन, जीपीएस, सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग, नेट के द्वारा पैसे का ट्रांसफर इत्यादि पिछले 20 वर्षो में शुरू हुआ।
इसी तकनीकी ने भूमंडलीकरण (globalization) को गति दी; विभिन्न देशों के मध्य तकनीकी सेवा और उत्पादों का हस्तांतरण और व्यापार आसान किया। जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में 10-15 वर्ष पहले तेज़ी देखने को मिली।
लेकिन इंटरनेट का इतना व्यापक प्रयोग हो गया है कि इसका प्रभाव अब समाप्त होने लगा है। हमारा सेलफोन, कंप्यूटर, म्यूज़िक प्लेयर, कैमरा, कैलकुलेटर, इंटरनेट, जीपीएस, समाचारपत्र, सोशल मीडिया इत्यादि का काम कर देता है। अतः ऐसे हर अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और वस्तु की आवश्यकता समाप्त हो गई। अब एक सेलफोन भी लोग 4 से 5 वर्ष तक प्रयोग करते हैं।
मानवीय बुद्धि और डिजिटल तकनीकी से मिलकर निकले उत्पाद एक प्लेटफॉर्म बना रहे हैं जो हमारे कार्य और व्यवसाय की पद्धति को बदल रहे हैं।
उदाहरण के लिए गूगल एक प्लेटफॉर्म है जिससे हम किसी भी पुस्तक या समाचार पत्र को पढ़ सकते हैं या जानकारी ले सकते हैं। इसी तरह उबेर एक प्लेटफॉर्म है जिससे कोई भी कार मालिक अपनी कार को टैक्सी के रूप में चला सकता है।
अमेज़न के प्लेटफॉर्म से हम कोई भी वस्तु बेच या खरीद सकते हैं। Air BNB और OYO एक प्लेटफॉर्म है जिससे कोई भी मकान मालिक जुड़ सकता है और अपने मकान को एक होटल के रूप में प्रयोग कर सकता है।
इस प्लेटफॉर्म के द्वारा अब कई ऐसे ‘रेस्टोरेंट’ खुल गए हैं जिनका व्यावसायिक, भौतिक आस्तित्व नहीं है। न ही इनके पास भोजन सर्व करने का स्थान है। ऐसे रेस्टोरेंट को ‘क्लाउड किचन’ बोला जाता है जो किसी सस्ते गोदाम, गैराज या घर में चल रहे हैं।
आपने ऑनलाइन ऑर्डर प्लेस किया और वह भोजन आपके घर पहुंच गया। इसका परिणाम यह होगा कि कुछ समय में छोटे या मंझोले रेस्टोरेंट का बिज़नेस भी खतरे में आ जाएगा। क्योंकि एक रेस्टोरेंट चलाने के लिए लोकेशन, मेज़, कुर्सी, बैठने की जगह, बड़ी सी किचन, बाहर बड़ा सा बोर्ड और विज्ञापन चाहिए। और वहां भोजन करने वाले कस्टमर आने चाहिए। लेकिन क्लाउड किचन से इनकी आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। यही स्थिति टैक्सी वालों को झेलनी पड़ रही है।
अब धीरे-धीरे इस इंटरनेट वाली GPT का आर्थिक प्रभाव समाप्त होता जा रहा है।
वर्ष 2010 के शुरुआत में हर पांचवीं अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से विकास कर रही थी। लेकिन अब 25 देशो में से एक ही 7% की दर से विकास कर रहा है; वह भी अधिकतर अफ्रीका में स्थित छोटे देश हैं।
अब अर्थशास्त्री यह कहने लगे हैं कि त्वरित आर्थिक विकास की दर को उभरती हुई अर्थव्यवस्था में 5% माना जाना चाहिए, चीन जैसे मध्यम आय वाले देशों में 3 से 4%, तथा विकसित देशों में 1 से 2%।
जब तक कोई अन्य नई General Purpose Technology का अविष्कार नहीं होता, अर्थशास्त्री यह मानते हैं कि विश्व में मंदी का दौर चलता रहेगा।
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