भारतीय राजनीति को आज गम्भीर आघात लगा है। संसदीय राजनीति की आज अपूरणीय क्षति हुई है। देश ने आज एक अमूल्य रत्न खो दिया है।
वैधानिक, संवैधानिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सामरिक विषयों एवं संसदीय सिद्धांतों परंपराओं में निष्णात अरुण जेटली के अध्ययनशील व्यक्तित्व के तथ्यों का तरकश विशाल था, विराट था अनुपम था।
जिसमें असंख्य अकाट्य तर्कों वाले असंख्य तीरों की उपस्थिति ने उन्हें किसी दल या सरकार विशेष के बजाय स्वातंत्र्योत्तर भारतीय राजनीति के प्रखर प्रवक्ताओं की अग्रिम पंक्ति के अति महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में सदा के लिए स्थापित कर दिया है।
राज्यसभा में नेता विपक्ष के रूप में, तत्पश्चात नेता सदन के रूप में अरुण जेटली के सारगर्भित भाषणों को देखना सुनना हमेशा एक सुखद अनुभव सिद्ध होता था। संसदीय रिकॉर्ड्स में दर्ज उनके उन भाषणों की अमूल्य निधि भविष्य में राजनीति के विद्यार्थियों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेगी।
देश के वित्तमंत्री के रूप में उनके 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था यदि वैश्विक क्रमांक में 11वें स्थान से ऊपर उठकर छठें स्थान पर पहुंच गई थी तो उसका शत प्रतिशत श्रेय अरुण जेटली को ही है।
जीएसटी सरीखी कर प्रणाली की सौगात देश को सौंपने में अरुण जेटली के सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान को सदा याद किया जाएगा।
वित्तमंत्री के रूप में उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए सभी 5 बजटों को जनता की भरपूर सराहना मिली थी। यह एक ऐसी विशिष्ट उपलब्धि है जो सम्भवतः देश के किसी अन्य वित्तमंत्री के खाते में कभी दर्ज नहीं हुई।
नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले में अरुण जेटली की कितनी सहमति/ सहभागिता थी या नहीं थी?
यह सच, या तो वो जानते थे या स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं। लेकिन यह सच तो पूरे देश ने देखा सुना था कि नोटबंदी के तत्काल बाद देश में राजनीति और मीडिया के एक बड़े वर्ग ने जब सुनियोजित तरीके से हाहाकार मचाया था। जनता को आंदोलित उद्वेलित कर देश को जब अराजकता की आग में झोंकने का भरपूर प्रयास किया था। उस दौरान वित्तमंत्री के रूप में अरुण जेटली की युद्धस्तरीय सक्रियता ने उन सारे प्रयासों को निष्फल करने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यह सच है कि अरुण जेटली समय समय पर सोशलमीडिया के एक बड़े वर्ग की आलोचना का केन्द्र इसलिए बनते रहे क्योंकि उस वर्ग को यह प्रतीत होता था कि मोदी सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी के कई राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में अरुण जेटली सबसे बड़ी बाधा हैं।
सोशलमीडिया के उस बड़े वर्ग की उपरोक्त आलोचना से कुछ अवसरों पर मैं भी सहमत रहा हूं। लेकिन उपरोक्त सन्दर्भ में ही यह भी सत्य है कि…
इसे जेटली के उसी समावेशी व्यक्तित्व या उनकी राजनीतिक/ कूटनीतिक चतुराई का करिश्मा ही कहा जाएगा कि राज्यसभा में बहुमत से कोसों दूर खड़ी भाजपा सरकार से, विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी से अपने विरोध को संवादहीनता के कटुतम बिंदु तक पहुंचा चुके विपक्ष की मोदी विरोधी रणनीति को धराशायी करते हुए मोदी सरकार जीएसटी सरीखे कालजयी बिल को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास कराने में सफल हुई थी।
सिर्फ जीएसटी ही नहीं बल्कि अपने प्रथम कार्यकाल में अन्य अनेक महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा से पास कराने में मोदी सरकार को मिली सफलता में सर्वाधिक महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका अरुण जेटली ही निभाते थे।
लेकिन यदि उनकी उपरोक्त एक आलोचना को कोई नहीं भूलना चाहता है तो उसे मेरा उत्तर यही है कि अरुण जी की उपरोक्त एक आलोचना पर हजारों गुना भारी है उनकी वह विलक्षण विशिष्ट उपलब्धियां जिनका अत्यन्त संक्षिप्त उल्लेख मैंने किया है।
अपनी उन उपलब्धियों के लिए अरुण जेटली सदा याद किये जाएंगे। आज अनंत की यात्रा पर उनका चला जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। देश ने आज एक अमूल्य रत्न खो दिया है।
मां भारती के इस यशस्वी सपूत को विनम्र श्रद्धांजलि, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।