जम्मू कश्मीर में बढ़ती हुई कार्रवाई के कारण कुछ संकेतों पर ध्यान देना आवश्यक है।
अगर आप नोट करें तो जहां भारत का नेतृत्व एकदम शांत है, उनके द्वारा इस राज्य के संदर्भ में की गई मीटिंग की कोई फोटो नहीं रिलीज़ हो रही है, न ही कोई वक्तव्य सामने आ रहा है।
जो भी मीडिया में आप देख, पढ़ रहे हैं वह सब सरकारी अधिकारियों के ऑर्डर है, वक्तव्य नहीं। वक्तव्य भी केवल यह है कि आपके कुछ सैनिकों की लाशें हमारी तरफ पड़ी हुई हैं, उन्हें सफ़ेद झंडा दिखा कर ले जाइए।
लेकिन पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री कई ट्वीट करके भारत की कार्रवाई की कड़ी निंदा कर चुके हैं। आज उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक बैठक की जिसमें उनके सेना के उच्चाधिकारी तथा अन्य मंत्रीगण शामिल थे। यह पूरी मीटिंग भारत के बारे में थी।
ज़रा- ज़रा सी बात पर उनका नेतृत्व ट्वीट कर रहा है और किसी आने वाली घटना के संदर्भ में गीदड़ भभकी भी दे रहा है। इस देश के विदेश मंत्री ने यहां तक कह डाला कि अगर भारत ने जम्मू-कश्मीर में कुछ किया तो उसका नकारात्मक प्रभाव अफगानिस्तान शांति वार्ता पर भी पड़ सकता है।
अब अफगानिस्तान शांति वार्ता में सबसे अधिक इंटरेस्ट किस राष्ट्र का है? अमेरिका का। अभी कुछ दिन पहले पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे और अपने आपको एक ऐसे मिडलमैन (कुछ लोग देशी भाषा में दलाल कहते है; लेकिन मेरा यह मंतव्य नहीं है) के रूप में प्रस्तुत किया जो अफगानिस्तान में शांति करवा सकता है। बस किसी तरह से भारत को बातचीत के लिए मना लिया जाए।
लेकिन मोदी सरकार ने क्या किया? मध्यस्थता के बयान की अनदेखी करके प्रधानमंत्री मोदी को कश्मीर में जो करना है वह कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें अमेरिका या किसी अन्य देश से परमिशन की आवश्यकता नहीं है।
पड़ोसी देश के विदेश मंत्री की यह धमकी कि कश्मीर में किसी भी कार्रवाई का अफगानिस्तान शांति वार्ता का असर पड़ेगा, एक तरह से यह इंगित करता है कि भारत ने उनके ब्लैकमेल के गेम को फिर पलट दिया।
अभी वह कुछ दिन पहले अमेरिका में गिड़गड़ा रहे थे कि भारत को वार्ता के लिए मना लो, हम अफगानिस्तान में समझौता करवा देंगे। अब वह मिमिया रहे हैं कि कश्मीर में कुछ मत करो और हम अफगानिस्तान में समझौता करवा देंगे।
इस पूरे मुद्दे पर अमेरिका अब चुप्पी साध के बैठा है।
हमें इस आत्मविश्वास से भरपूर भारत का अभिनंदन करना चाहिए।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यवहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति मेकिंग इंडिया (makingindiaonline.in) उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार मेकिंग इंडिया के नहीं हैं, तथा मेकिंग इंडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।