वह देश चेतना शून्य हो जाता है जहाँ वीरों की गाथाएँ नहीं सुनाई जातीं। वह जनता नपुंसक हो जाती है जो सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम का आदर नहीं करती।
सांसद राजीव चन्द्रशेखर की मानें तो कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ने आधिकारिक रूप से 2004-09 तक कारगिल विजय दिवस नहीं मनाया था। चन्द्रशेखर ने पत्र लिखकर अनुरोध किया तब 2010 में एंटनी की नींद खुली।
काँग्रेस नेता राशिद अल्वी कहते थे कि ‘कारगिल युद्ध तो ‘बीजेपी का युद्ध’ था इसलिए विजय दिवस बीजेपी मनाती थी हमें मनाने की क्या जरूरत है’। सरकारें परिवर्तित होती हैं तो देश की ये गति हो जाती है।
आज एक सज्जन ने अपनी पोस्ट में लिखा कि ‘मत भूलो पॉइंट 5353 आज भी पाकिस्तान के कब्जे में है, हम वह छुड़ा नहीं पाए’। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि महोदय, इसका क्या अर्थ है? क्या हम उन चोटियों पर मिली विजय को भूल जाएँ जो छुड़ा ली गईं?
तत्कालीन DGMO जनरल निर्मल चन्द्र विज ने आधिकारिक रूप से कहा था कि शिमला समझौते के अनुसार जो नियंत्रण रेखा डिलिनीएट की गई थी वह पॉइंट 5353 से होकर गुजरती है। वह चोटी भारत के कब्जे में कभी थी ही नहीं। मीडिया गैंग ने गलत जानकारी देकर अफवाह फैलाई थी।
जब हमारी सेना कुछ कहती है तो हम उसको मानते क्यों नहीं हैं? ये न मानने का रोग हमें क्यों लगा है भला? कुछ दिन पहले ही बात न मानने पर जनरल रावत ने क्षुब्ध होकर मीडिया को डाँटा है।
स्ट्रेटेजिक एनालिसिस करने का बहुत मन है तो उसके लिए यूनिवर्सिटी में जाइये या थिंक टैंक में जाकर अध्ययन कीजिए, मोनोग्राफ लिखिये न। युद्ध के पहले, युद्धकाल में और युद्ध समाप्त होने के उपरांत तीनों कालखंड की पढ़ाई भिन्न होती है।
क्या हुआ जो पॉइंट 5353 हमारे पास नहीं है? क्या वहाँ से पाकिस्तानी चढ़ आए? स्ट्रेटेजिक इम्पोर्टेंस की बात मत कीजिए। एक इंच भूमि की भी अपनी स्ट्रेटेजिक इम्पोर्टेंस होती है। गिलगित बल्टिस्तान भी स्ट्रेटेजिकली इम्पोर्टेन्ट है और बलूचिस्तान भी।
एक ज़माने में सम्राट ललितादित्य का साम्राज्य कैस्पियन सागर तक था, और हरि सिंह तिब्बत के एक भूभाग तक शासन करते थे। क्या आज वह सब हमारे पास है? नहीं न?
उरी पर हमला करने वाले ‘हाजी पीर दर्रे’ से घुस आए थे। हाजी पीर शास्त्री जी ने पाकिस्तान को लौटा दिया था।
स्ट्रेटेजिक महत्व वाली क्या क्या वस्तु गिनाएँ? पहले आप यह निर्धारित कीजिए कि आप सामान्य जनता हैं या विशेषज्ञ हैं। विशेषज्ञता दिखानी हो तो कहीं और जाइये। आज शूरवीरों की वंदना का दिवस है। पीछे क्या हुआ यह बाद में देखा जाएगा। जिन्होंने रक्षा करते हुए प्राण दे दिए वे देवतुल्य हैं। आज उनकी आराधना का दिन है।
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