चुनाव से पहले प्रधान मंत्री बनने के सपने संजोए हुए चंद्रबाबू नायडू, ममता बनर्जी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक, मायावती, अखिलेश यादव से लेकर शरद यादव और राहुल गाँधी, शरद पवार और स्टालिन से मिलते फिर रहे थे।
उनके 4 साल के नाती की 18 करोड़ की संपत्ति किसी की नज़र में ना आये इसलिए मुख्यमंत्री रहते हुए सीबीआई को अपने राज्य में बैन कर दिया।
सपने में प्रधान मंत्री बनने का नशा ऐसा हुआ कि केजरीवाल के साथ धरने में पोस्टर लगवा दिए – ‘जिसके हाथ में चाय के झूठे कप धोने के लिए देने चाहिए थे, उसके हाथ में देश सौंप दिया’!
इसके अलावा खुद नायडू ने क्या क्या अपशब्द नहीं कहे प्रधान मंत्री मोदी के लिए। एक रैली में तो नायडू ने मोदी को “आतंकवादी” तक कह दिया।
सपना बिखर गया, लोकसभा और विधानसभा में नायडू बुरी तरह हार गए। एयरपोर्ट पर वीआईपी सुविधा की जगह तलाशी ले ली गई…
… और आज राज्य सभा के उनकी पार्टी के 6 में से 4 सांसद भाजपा में शामिल हो गए वो भी तब, जब नायडू हार का गम भुलाने छुट्टियां मनाने लन्दन गए हुए हैं। उन 4 सांसदों ने भाजपा में अपनी पार्टी का विलय किया है।
नायडू ने कहा था, ‘ये हमारे लिए अस्तित्व की लड़ाई है क्यूंकि इस लोकसभा चुनाव के बाद फिर चुनाव नहीं होंगे।’…
और आज नायडू की पार्टी का अस्तित्व ही संकट में आ गया। आज उनके 6 में से 4 राज्यसभा के सांसद निकले हैं, क्या पता कल बाकी 2 भी भाजपा में आ जाएँ और परसों लोकसभा में जीत कर आये 3 सांसद भी साथ छोड़ दें।
अहंकार का मर्दन इतनी जल्दी और ऐसे होगा, नायडू ने सोचा भी नहीं होगा… इसीलिए कहते हैं –
“आदमी को चाहिए, वक़्त से डर कर रहे,
कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिज़ाज”
नायडू जी, अब क्या आपके हाथ में चाय के झूठे कप धोने के लिए पकड़ा देने चाहिए?
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