आइये आपको रेलवे का एक बहुत मज़ेदार पर बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण किस्सा सुनाता हूँ।
इस किस्से को पढ़ के आपको समझ आएगा कि रेलवे में Departmentalism (विभागों की खींचतान) आखिर है क्या और इससे रेलवे को और देश को नुकसान क्या होता है।
रेलवे के दो महत्वपूर्ण विभाग हैं… Mechenical और Electrical… 2016 से पहले Mechenical वाले डीज़ल इंजन और रेल की मेकेनिकल पुर्जों के मालिक थे और Electrical वाले Electric इंजन और ट्रेन में लगने वाले बिजली के पुर्जों के मालिक थे।
Bibek Debroy ने इसे बदल दिया। Mechenical वालों को पूरी ट्रेन दे दी और इनके विभाग का नाम रख दिया Rolling Stock.
अब रेल में कोई भी काम होगा तो पूरी रेल उनको रिपोर्ट करेगी फिर वो चाहे लोहार हो या बढई, electrician हो या plumber.
इसी तरह Electrical वालों को सभी इंजन दे दिये, सब… चाहे डीज़ल हो या electric… विभाग का नाम रख दिया Traction.
अब आयी ट्रेन 18 बनाने की बारी… तो इस ट्रेन में तो इंजन होता ही नहीं… ये Self Propelled गाड़ी है, यानी हर दूसरे डिब्बे में मोटर लगी है जो चलती है, जिससे पूरी गाड़ी की पावर सिर्फ आगे इंजन में न हो के पूरी गाड़ी में बराबर बंटी हुई है। इसी कारण से ये बहुत तेज़ी से गति पकड़ती और ब्रेक मारती है।
अब technically देखें तो ये गाड़ी बनाई Mechenical (Rolling Stock) वालों ने, और चूंकि इंजन इसमे है ही नहीं तो इसमें Electrical (Traction) वालों का कोई दखल ही नहीं…
ट्रेन बन के तैयार हो गयी… परीक्षण Trial हो गए… trial सफल हो गए… पर इसके बावजूद समय पर इसका उद्घाटन न हुआ… क्यों?
क्योंकि Electrical वाले अंगद की तरह पांव जमा के अड़ गए… उन्होंने कहा, हमारे विभाग यानी EIG मने Electrical Inspector General से safety का Certificate लो…
ICF जिसने गाड़ी बनाई थी, उसने कहा इस Certificate की ज़रूरत ही नहीं… क्योंकि नई व्यवस्था में Single Window Clearence है, और जब ट्रेन बनी तो Electrical और Mechenical दोनो विभागों के सबसे बड़े अधिकारी ने joint signature करके Safety Certificate पहले ही दे रखा है…
पर Electrical वाले नहीं माने…
प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे कि ‘ट्रेन 18’ कुम्भ शुरू होने से पहले ही आरंभ हो जाये। पर 3 बार तिथि स्थगित करनी पड़ी… रेलवे बोर्ड में कई बार बैठक हुई पर बेनतीजा रहीं… अंत में मामला RDSO भेजा गया। उन्होंने लिख दिया कि ‘ट्रेन 18’ में EIG के certification की ज़रूरत ही नहीं। वो पहले ही हो चुका है।
खैर, किसी तरह Feb 2019 में ट्रेन शुरू हुई।
फिर सींग फंस गए।
ट्रेन का रखरखाव शकूरबस्ती शेड में Mechenical वाले करते थे… Electrical वाले बोले हमको दो, हम गाज़ियाबाद में करेंगे… Mech. वाले कहते हैं कि इनके पास कोई सुविधा ही नही ये क्या करेंगे। इनका शेड ही सिर्फ 10 डिब्बे लायक है जबकि ट्रेन 16 डिब्बे की है। इनकी expertise हैं इंजन सुधारने की… ट्रेन ये क्या खाक maintain करेंगे?
अब पहला rake तो बन गया और दौड़ने लगा।
दूसरे rake के निर्माण में फिर सींग फंसे हुए हैं।
इसी साल 10 rake और बनाने हैं पर दोनों साँड़ सींग फँसा के खड़े हैं… देश खड़ा तमाशा देख रहा है…
लोग पूछते हैं मोदी जी क्या कर रहे हैं? वो क्यों लाचार हैं?
उनको हमने इतना प्रचंड बहुमत दिया वो क्यों असहाय हैं?
मोदी अकेले क्या क्या करेंगे?
कल को मियाँ बीवी लड़ेंगे तो मोदी ही छुड़ाएंगे न?
बाप बेटा लड़ेंगे तो मोदी आएंगे न छुड़ाने?
हमारा राष्ट्र बोध क्या है?
हमारा राष्ट्रीय चरित्र क्या है?
निजी स्वार्थ भूल हम राष्ट्र के लिए सोचना कब शुरू करेंगे?
हम जापान कब बनेंगे?
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यवहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति मेकिंग इंडिया (makingindiaonline.in) उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार मेकिंग इंडिया के नहीं हैं, तथा मेकिंग इंडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।