नवीन सर की क्लास जॉइन करें राहुल, अखिलेश, माया, ममता, तेजस्वी, तेजप्रताप

2014 के लोकसभा चुनाव में हिंदीभाषी उत्तर भारत में जीती गयी सीटों में कमी की संभावनाओं के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपाई चाणक्य अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी भारत पर विशेष ध्यान देने की रणनीति बनाई थी और काफी पहले से उसपर अमल करना भी प्रारम्भ कर दिया था।

भाजपा के निशाने पर पूर्वोत्तर के अलावा बंगाल और उड़ीसा थे। 2019 के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि पूर्वोत्तर एवं बंगाल में भाजपा की रणनीति को अभूतपूर्व सफलता मिली है। लेकिन उड़ीसा में उसकी सफलता के रथ की गति बहुत धीमी हो गयी।

यह स्थिति तब है जबकि उड़ीसा में उसका सामना लगातार 20 वर्षों से राज कर रहे नवीन पटनायक के बीजू जनता दल से हो रहा था। चुनावी भाषा में कहा जाए तो नवीन बाबू 20 साल की तथाकथित ‘एंटी इनकम्बेंसी’ का भारी पत्थर पांव में बांधकर उस भाजपाई सेना के सामने मैदान में उतरे थे जो अपार अथाह ऊर्जा और प्रचुर संसाधनों के साथ ही भारत के सर्वकालीन सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के नाम काम और चेहरे के साथ चुनावी मैदान में रणभेरी बजा रही थी।

इस चुनावी जंग का परिणाम आज देश के सामने है। नवीन बाबू के नेतृत्व में तीन चौथाई से अधिक बहुमत लेकर बीजू जनता दल उड़ीसा में लगातार पांचवीं बार सरकार बनाने जा रहा है। नवीन बाबू आज पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं।

पिछली बार की तुलना में इस बार लोकसभा में बीजू जनता दल की सीटें अवश्य कम हुई हैं। लेकिन राज्य की लगभग 60 प्रतिशत लोकसभा सीटों पर उसका आज भी कब्ज़ा है।

नवीन बाबू की इस अभूतपूर्व सफलता के कारणों की विस्तृत समीक्षा फिर कभी करूंगा किन्तु सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण का उल्लेख आज आवश्यक है।

पिछले 5 वर्षों के दौरान संसद में ऐसे कई अवसर आये जब मुद्दों के आधार पर बीजू जनता दल मोदी सरकार के पक्ष में खड़ा हुआ और विरोध में भी खड़ा हुआ। लेकिन उस विरोध के दौरान घटा एक भी ऐसा प्रकरण मुझे याद नहीं जिसमें स्वयं नवीन बाबू या उनके पार्टी प्रवक्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या उनकी सरकार के खिलाफ गाली गलौज शुरू कर दी हो, अभद्रता की सीमाएं तोड़कर उलूल जुलूल आरोपों का नंगा नाच शुरू कर दिया हो।

उन सभी अवसरों पर बीजू जनता दल के जो भी प्रवक्ता न्यूज़ चैनलों (अधिकतर अंग्रेज़ी) में आते थे वो अपना विरोध बहुत सारगर्भित तथ्यात्मक तार्किक तरीके से अत्यन्त गम्भीरता और शालीनता के साथ प्रस्तुत करते थे।

यहां तक कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भी उड़ीसा में भाजपाई चुनावी अभियान उतना ही तीखा और धारदार था जितना बंगाल में, लेकिन पूरे चुनाव अभियान के दौरान क्या आप मित्रों में से किसी ने एक भी ऐसा बयान सुना जिसमें नवीन बाबू ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भद्दी भद्दी गालियां बकी हों?

इसके बजाय जिस दिन उड़ीसा में अंतिम मतदान सम्पन्न हुआ था उस के दूसरे दिन ही नवीन बाबू ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि यदि केंद्र में गठबंधन सरकार बनने की स्थिति उत्पन्न हुई तो वो मोदी सरकार का समर्थन करेंगे।

दरअसल किसी राजनेता में यह ठहराव, यह गम्भीरता, यह आत्मविश्वास तब उत्पन्न होता है जब वो राजनीतिक लटकों-झटकों टोनों-टोटकों उलूल-जुलूल हथकंडों के बजाय जनहित के लिए कार्य करता है। जनता के सुख-दुख से सीधे जुड़ता है, उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए जूझता है। नवीन बाबू की यही ताकत है, यही विशेषता है।

यही कारण है कि आज भारत की सर्वशक्तिमान राजनीतिक हस्ती की चुनावी चुनौती से सफलतापूर्वक टकराने, उसे पराजित करने में सफल हुए हैं। लुटियनिया मीडिया उड़ीसा की कितनी ही बदसूरत बदरंग तस्वीर बनाता रहा हो… लेकिन तीन चौथाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार पांचवी बार उड़ीसा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे नवीन बाबू पूरे देश को बता रहे हैं कि सच क्या है।

इसीलिए ही मैंने यह शीर्षक दिया है कि… “राहुल, अखिलेश, माया, ममता, तेजस्वी और तेजप्रताप कृपया उड़ीसा जाकर नवीन सर की क्लास ज्वाइन करें…” ऐसा करने से उनका कल्याण तो होगा ही साथ ही साथ देश का भी कल्याण होगा। स्वस्थ लोकतंत्र में मोदी सरकार के विरोध में नवीन बाबू के बीजू जनता दल सरीखे परिपक्व राजनीतिक दल का होना ही आवश्यक है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यवहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति मेकिंग इंडिया (makingindiaonline.in) उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार मेकिंग इंडिया के नहीं हैं, तथा मेकिंग इंडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

Comments

comments

LEAVE A REPLY