गोबर या गौ वर : आओ घर लौट चलें, बहुत जी लिए विदेशी संस्कृति में

आज कल सोशल मीडिया पर एक कार बहुत वायरल हुई है, जिसे पूरा गोबर से लिपा गया है और जो बाहर के तापमान से दस डिग्री कम तापमान पर कार को रख रहा है.

हम इन बातों से ऐसे आश्चर्यचकित होते हैं जैसे गोबर हम पहली बार देख रहे हों. बल्कि यही गोबर गौ वर है, इस वर को गौमाता आपको दान में दे रही हैं, इस वरदान का महत्व समझिये कि श्री कृष्ण की तस्वीरों में हमेशा होती हैं, यहाँ तक कि कृष्ण के निवास स्थान को ही गोकुल कहा गया है.

लेकिन आधुनिक जीवन ने हमें एक ओर सुविधाएं दी तो दूसरी ओर इस वरदान से हम दूर होते चले गए, जिसके बिना जीवन एक अभिशाप की तरह हो गया, हमारे जीवन रस को सोख लिया गया और हम न सिर्फ स्वास्थ्य को बिगाड़ बैठे बल्कि रिश्ते नातें, भावनाएं और मानवीय मूल्यों से भी दूर होते गए.

बच्चों को कम उम्र से ही तरह तरह के रोग, महिलाओं में बढ़ता मोटापा और पुरुषों में आता गंजापन तो इतनी सामान्य बात हो गयी कि उसे ही हमने अपनी जीवन शैली मान लिया, और यह समझ लिया कि जीवन यही है और ऐसे ही जिया जाता है.

मैं भी कई वर्षों से ऐसे ही जीती आई हूँ, लेकिन वैद्य राजेश कपूर के जीवन के आगमन के बाद जो परिवर्तन आया लगा जैसे गुरु का हाथ सर पर दीक्षा स्वरूप मिला और मेरे जीवन की दशा और दिशा ही बदल गयी.

प्रकृति से नाता तो पहले ही जुड़ गया था, अब उसे मानव कल्याण के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना ही जीवन का उद्देश्य हो गया. जिसके चलते मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना खाना शुरू कर दिया. गोमय उत्पादों को घर पर ही बनाना सीख लिया और अब अपने घर को भी पुरानी परम्पराओं और संस्कृति के अनुसार गोबर से लीपना शुरू कर दिया है. और जब इसके लाभ की सूची बनाती हूँ तो इतनी लम्बी बनती है कि लगता है सारी समस्याओं का हल ही यह गोबर है.

  1. सबसे पहले तो शारीरिक श्रम करने और घर को गोबर से लीपने के लिए उकडू बैठकर काम करने की आदत बढ़ी और इससे शारीरिक व्यायाम मिला.
  2. जिस कमरे में कम्प्यूटर पर मेकिंग इंडिया का कम करना होता है उस कमरे के रेडिएशन गोबर लिपा होने से न्यूनतम हो गए.
  3. ज़मीन का तापमान बाकी कमरों से बहुत कम होता है.
  4. उस पर नंगे पैर चलने से पैर के पंजे सीधे गोबर के संपर्क में आते हैं जिससे शरीर में हमेशा ऊर्जा बनी रहती है और कई रोगों से बचाव होता है.
  5. घर में कीड़े और मच्छरों का प्रकोप कम हो गया है.
  6. पशु और प्राणी का सम्बन्ध मजबूत होता है और हम प्रकृति से अधिक प्रगाढ़ता से जुड़ते हैं और उसका जादू अनुभव करते हैं.
  7. और सबसे बड़ी बात बच्चों में फिर से हमारे वास्तविक संस्कार पल्लवित हो रहे हैं जो उन्हें मिट्टी और गोमाता से जोड़े रखेगी और यही बच्चे अगली पीढ़ी को यह संस्कार पहुंचाएंगे.

हम अपने वास्तविक युग में लौट रहे हैं, जीवन में रस दोबारा लाना है, अभिशाप को वरदान में बदलना है तो गोबर के इस गौ वर का सम्मान करें… आओ अब घर लौट चलें, बहुत जी लिए विदेशी संस्कृति से…

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