नई मोदी सरकार के तेवरों को दर्शाता ये साक्षात्कार

पिछले सप्ताह भारत से 7 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के न्यू यॉर्क में लौटने के बाद इंडियन एक्सप्रेस में छपा प्रधानमंत्री मोदी का इंटरव्यू पढ़ा। इस इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने इंडियन एक्सप्रेस तथा अन्य मीडिया वालों की क्लास ले ली है।

कुछ बानगी प्रस्तुत हैं।

प्रश्न : आपकी सरकार के लिए 282 सीटों के बावजूद भी क्या संभव नहीं था?

प्रधानमंत्री मोदी (मुस्कराते हुए) : इंडियन एक्सप्रेस को मोदी की निष्पक्ष आलोचना के लिए समझाना।

प्रश्न : आप एक तरफ मुद्रा लोन के द्वारा उद्यमी बनाते है, और दूसरी तरफ किसानों को खैरात बांटते हैं?

प्रधानमंत्री मोदी : क्या इंडियन एक्सप्रेस को जो विज्ञापन हम देते हैं, वो भी खैरात है? समाचारपत्रों को दिया जाने वाला विज्ञापन भी खैरात की श्रेणी में आएगा? डीएवीपी (भारत सरकार का विज्ञापन कार्यालय) का विज्ञापन रेट हमने बढ़वाया है, क्या वह भी खैरात है?

देशद्रोह और राष्ट्रवाद के प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री मोदी : पंडित नेहरू ने सरदार सरोवर बांध की नींव रखी थी। इसका उद्घाटन हाल ही में मैंने किया गया था। इस परियोजना के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अंत में इसकी लागत 1 लाख करोड़ रुपये थी। अगर मैं कहूं कि देशद्रोहियों ने देश को तबाह कर दिया है, तो यह आपको परेशान क्यों कर रहा है?

सरकार को विदेशी धन का खुलासा करने के लिए भी एक कानून है। यह मैंने नहीं बनाया था। इसे इस खानदान ने बनाया था। मैंने केवल हिसाब-किताब की मांग की थी जिसे प्रदान नहीं किया गया था, जिसके कारण 20,000 एनजीओ बंद हो गए। मैं कहूंगा कि यह देशद्रोह है। आपको क्या बुरा लग गया कि मैं इसे देशद्रोह कहता हूँ?

आपने देखा होगा कि लोग सरकारी बस की सीटों को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं। क्या यह राष्ट्रवाद है? यह हम क्यों करते हैं? हम अपने सबसे पुराने स्कूटर को चार बार साफ करते हैं लेकिन हम सरकारी बसों और संपत्तियों को खराब कर देते हैं। यह किस तरह का राष्ट्रवाद है? यह सब देश का है मतलब तुम्हारा है, यह भाव जगाना चाहिए कि नहीं चाहिए? मेरी देशभक्ति यही है।

प्रश्न : अल्पसंख्यक यह मानते है कि राष्ट्र में उनकी हिस्सेदारी नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी : वे पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम को अपना क्यों नहीं मानते हैं? यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए। वे सानिया मिर्जा को अपना क्यों नहीं मानते? वे अब्दुल हमीद (1965 युद्ध नायक) को अपना क्यों नहीं मानते हैं? यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए। क्या उन्हें शिक्षित करना हमारा काम नहीं है? ये सांसद/ विधायक जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, क्या उन्होंने किसी मुस्लिम को नेतृत्व दिया है?

राहुल गांधी काँग्रेस अध्यक्ष हैं। क्या मुसलमान को वह नौकरी नहीं मिल सकती है? उन्होंने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया? जहां तक दलितों/ आदिवासियों का सवाल है, मेरा मानना है कि दलितों/ आदिवासियों/ मुसलमानों को लायंस क्लब का अध्यक्ष क्यों नहीं बनना चाहिए? राजनीति में सब कुछ क्यों होना चाहिए? पत्रकारिता में मुसलमानों को संपादक क्यों नहीं बनाया जा रहा है? आपने ऐसा क्यों नहीं किया है?

नफरत फ़ैलाने वाले भाषण के बारे में प्रधानमंत्री मोदी : ऐसे उदाहरण हैं जहां अन्य दलों के नेता स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल कुछ समुदायों का ही राष्ट्रीय संसाधनों पर पहला अधिकार होना चाहिए। खान मार्केट सहमति के आधार पर अभद्र भाषा की परिभाषाएं तय होती हैं; किसको बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए और किसे नहीं। यदि खान मार्केट मंजूरी देता है, तो आप कुछ भी बोल सकते हैं और इसके लिए सराहना की जा सकती है। लेकिन अगर खान मार्केट की सहमति आपको पसंद नहीं है, तो आप जो भी कहते हैं उसे नफरत फ़ैलाने वाला भाषण कहते हैं।

आज, कस्टोडियल टॉर्चर (हिरासत में यातना) के अनुभव को साझा करना (या सिर्फ यह कहना कि मैं आतंकवादी नहीं हूं) को नफरत भरा भाषण माना जाता है (साध्वी प्रज्ञा के बयान की तरफ इशारा करते हुए)। लेकिन जब कोई हिंदुओं को आतंकवादी कहता है, तो वह घृणास्पद भाषण नहीं होता है। जब एक आतंकवादी भारत के सर्वोच्च न्यायालय से मृत्युदंड को प्राप्त होता है, तो “और उन्होंने उसे फांसी पर लटका दिया” जैसी हैडलाइन थी (याकूब मेनन कि फांसी के बाद इंडियन एक्सप्रेस की यही हैडलाइन थी)। लेकिन यह फ्री स्पीच थी।

एक व्यक्ति रोकर अपनी यातना के बारे में बतलाता है, उसे निर्वस्त्र कर दिया जाता है, उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, आप उसे घृणास्पद भाषण कहते हैं। और एक पूरे समुदाय को आतंकवादी कहा गया, जिसे हिंदू आतंकवाद कहा जाता है, क्या वह घृणास्पद भाषण नहीं है? तटस्थता के नाम पर इन दो तराजू से मेरा झगड़ा है। मेरा झगड़ा तटस्थता के विभिन्न पैमानों से है।

मीडिया और न्यायालय द्वारा असहज करने वाले प्रश्न उठाने के बारे में प्रधानमंत्री मोदी : मेरे पहले 10 वर्षों के लिए रिमोट-कंट्रोल सरकार थी। रिमोट कंट्रोल रखने वालों से आपने कितने प्रेस कॉन्फ्रेंस किए? एक गैरकानूनी संस्था (सोनिया कि अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) बनाई गई जो पीएम को खारिज कर सके। क्या आपने उनसे लोकतंत्र के बारे में पूछा? वैसे ही प्रश्न जो आप मुझसे पूछ रहे हैं? उन्होंने कैबिनेट का फैसला फाड़ दिया था। लोकतन्त्र आप मुझे सिखाओगे क्या? क्या आपने कभी उनसे ऐसा पूछा?

मैंने आपके सवालों का विनम्रता से जवाब दिया है। लेकिन आपको कुछ सवालों के जवाब भी देने होंगे। अलवर में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया जाता है और यह समाचार 6 मई तक (जब राजस्थान में मतदान संपन्न होता है), इंडियन एक्सप्रेस में मुख्य खबर नहीं बनता। यह इंडियन एक्सप्रेस की तटस्थता पर सवाल खड़ा करता है।

आप मुझे बताएं, चोर पिछले एक साल से एक लोकतांत्रिक शब्द है, लेकिन भ्रष्ट आपके लिए अपमानजनक शब्द है। यह आपका कैसा शब्दकोश है? मैंने सार्वजनिक रूप से कहा कि राजीव गांधी इस तरह की छवि (भ्रष्ट) के साथ गुजर गए। एक आदमी को लगातार चोर कहा जा रहा है, आपको उससे कोई समस्या नहीं है।

नक्सलवाद के बारे में प्रश्न पर प्रधानमंत्री मोदी : एक गलत धारणा अक्सर बनाई जाती है कि नक्सलवाद गरीबी का परिणाम है। वास्तव में, इस विचारधारा के ध्वजवाहक सबसे अभिजात्य वर्ग के लोग हैं और अक्सर उन्हें बड़ी कारों में घूमते देखा जाता है और वे अक्सर बड़े विश्वविद्यालयों में पीएचडी की शिक्षा देते हैं। नक्सलवाद या वामपंथी उग्रवाद विकास को नष्ट कर देता है क्योंकि विकास उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने में बाधा के रूप में काम करता है।

नक्सलवाद के बारे में प्रश्न पर प्रधानमंत्री मोदी : एक गलत धारणा अक्सर बनाई जाती है कि नक्सलवाद गरीबी का परिणाम है। वास्तव में, इस विचारधारा के ध्वजवाहक सबसे अभिजात्य वर्ग के लोग हैं और अक्सर उन्हें बड़ी कारों में घूमते देखा जाता है और वे अक्सर बड़े विश्वविद्यालयों में पीएचडी की शिक्षा देते हैं। नक्सलवाद या वामपंथी उग्रवाद विकास को नष्ट कर देता है क्योंकि विकास उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने में बाधा के रूप में काम करता है।

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