यह नेताओं के अस्तित्व से ज़्यादा भारत के हिन्दुओं और राष्ट्रवाद के अस्तित्व का प्रश्न

वैसे तो एग्ज़िट पोल आने से पहले ही 5वें चरण से ईवीएम को लेकर सुगबुगाहट थी, लेकिन 7वें चरण के बाद तो विपक्ष से सिर्फ ईवीएम ही सुना जा रहा है।

यह ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों की चिंघाड़ दरअसल उस शाश्वत सत्य की प्रत्यक्षता है, जो चंद्रबाबू नायडू से लेकर राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, शरद पवार, लालू यादव इत्यादि के 23 मई 2019 के बाद, अस्तित्व के बने रहने पर यक्ष प्रश्न खड़ा कर रही है।

इन लोगों को अपने सारे पापों का पता है और यह भी पता है कि इन पापों के हिसाब हुये तो उनकी राजनीतिक धरातल के साथ उनके व्यक्तिगत साम्राज्यों की भी आहुति होगी।

इसी लिए ईवीएम को लेकर दुष्प्रचार में, उनके साम्राज्यों से लाभांवित होते आए स्थापित मीडिया के साथ सोशल मीडिया के मोदी विरोधी भी इसको लेकर बढ चढ़, कातर स्वर में चिंघाड़ रहे है।

मुझे तो इसी बात का अंदेशा है कि विपक्षी दल व उनके मीडिया के सहयोगी जो अभी कर रहे है वह भविष्य की, 23 मई 2019 के परिणामों के आने के बाद, चुनाव आयोग व सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से भारत की सड़कों पर अराजकता को फैलाने की पृष्ठभूमि है।

आज व्यापक रूप से हिंसा की संभावना को नहीं नकारा जा सकता है। वैसे तो यह विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसको लेकर सतर्क होंगे और इससे निपटने के लिए कोई रणनीति भी बना रखी होगी, लेकिन इस विषय में सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता है।

हम सभी को इसके प्रति सजग रहना होगा और यदि विपक्ष द्वारा प्रयोजित अराजकता दिखती है तो हम लोगों को सड़क पर आना होगा क्योंकि यह सरकार या विपक्ष के अस्तित्व से ज्यादा भारत के हिन्दुओं और राष्ट्रवाद के अस्तित्व का प्रश्न है।

आप लोगों ने ध्यान दिया होगा कि चुनाव के पहले ही चरण से मीडिया में यह बराबर बात आती रही है कि इस बार के चुनाव में 2014 के चुनाव से कम मत पड़े है और इस बात को लेकर अच्छे अच्छे लोगों को चिंतित होते देखा गया है। लेकिन जब आज चुनाव के सभी चरण पूरे हो गये है तो वास्तविक आंकड़े क्या कहते हैं?

2014 के चुनाव में 543 सीटों पर चुनाव हुए थे और मत प्रतिशत 65.95% था जबकि इस बार 2019 में 542 सीटों पर चुनाव हुआ है और 67.1% मत पड़े है, पूरे 1.15% मत ज्यादा। यहां यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस चुनाव में करीब 4.5 करोड़ नये मतदाता भी जुड़े है।

ऊपर का उदाहरण सिर्फ इसलिए दिया है ताकि लोग यह समझ ले कि मीडिया के द्वारा फैलाये जा रहे विपक्ष के मायाजाल से आप भ्रमित न हों। अपने सत्य पर डटे रहिये क्योंकि यही सत्य, भारत व उसके हिन्दू का सत्य है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यवहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति मेकिंग इंडिया (makingindiaonline.in) उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार मेकिंग इंडिया के नहीं हैं, तथा मेकिंग इंडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

Comments

comments

LEAVE A REPLY