बिना चिकनाई के उबले, बिना तेल के भुने हुये (रोस्टेड) व चिकनाई वाले भरवाँ करेले
यह करेले मैंने माँ व सासुमाँ की मिली जुली विधि से तैयार किये हैं। पहले के ज़माने में आराम से ये करेले तैयार किये जाते थे, इनको तैयार करनें में समय बहुत लगता था तो एक बार में अधिक मात्रा में तैयार किये जाते थे और हफ़्ता पन्द्रह दिन रख कर आराम से खाये जाते थे।
चूल्हे व अँगीठी की धीमी आँच पर पके इन करेलों का अलग ही स्वाद होता था। मैंने इन्हें तैयार तो उसी विधि से किया है पर गैस के चूल्हे पर किया है आप चाहें तो रोस्टेड करेला किसी लोहे की जाली या तवे पर रख कर गैस की धीमी आँच पर भी बिना चिकनाई के भी इन्हें भूनकर तैयार किया जा सकता है।
करेले बनाने के लिए सबसे पहले करेलों को धोकर साफ कर लीजिए और फिर उनको छलनी से छील कर (आसान विधि है यह ) बीच से चीरा लगाकर गूदा निकालें और फिर नमक लगाकर कुछ देर के लिए कड़वाहट निकालने के लिए रख दें।
थोड़ी देर में पाएंगे कि करेले ने पानी छोड़ दिया है। पानी निकलने से कड़वाहट निकल जाती है। कड़वाहट निकाल कर कच्चा प्याज़ छील कर काट लें और करेला और उसका निकला छिल्का व गूदा वह सब अच्छी तरह धो ले कच्चे प्याज के साथ में करेले का गूदा व छिल्का पीस लें और इसमें स्वादानुसार नमक में मिर्च धनिया पाउडर हल्दी अचारी सौंफ, मोटी पिसी हुई कलौंजी, अमचूर मिलाएं।
चीरे हुए करेलो में तैयार सामग्री भरकर कड़ाही में रखकर धीमी आंच पर ढँक कर पकाएं। अब इन करेलों को मनचाहे उबला हुआ या ऐसे ही खाएं या फिर तेल में फ्राई करके खाएं या चाहे तो रोस्ट करके बिना चिकनाई का ही स्वाद लें.