एक बात पर ध्यान दीजिए, और शांति से चिंतन-मनन कीजिये, take your time.
एक राष्ट्रवादी होने के कारण, आप के लिए आसन और शासन में मोदी काम के हैं, या गांधी-गोडसे मुद्दे पर आपस में झगड़ना?
इन दोनों बातों पर मेरे मत स्पष्ट रहे हैं, लेकिन आज दोनों को ही पीछे छोड़ आगे बढ़ना आवश्यक समझ रहा हूँ।
क्योंकि गांधी अगर मोदी जी को प्यारे हैं तो रहने दीजिये, वे आप पर गांधी वाली हरकतें थोप नहीं रहे हैं, तो उन पर गोडसे के सम्मान के लिए दबाव मत बनाइये।
एक बात समझ लीजिये जो मुझे आज समझ में आया है – गांधी का नाम वो पत्थर है जो हिन्दुत्व के छत्ते में फेंकने से सभी मधुमक्खियाँ काटने दौड़ती हैं। हिन्दू आक्रोशित हो जाते हैं गोडसे के सम्मान के लिए, और ऐसे में मोदी जी का बयान आता है जो आग में घी का काम करता है।
बयान उनकी मजबूरी है या नहीं, उस पर मुझे कुछ कहना ही नहीं है, न उनके समर्थन में और न विरोध में। लेकिन बयान आता है और उसके परिणाम क्या होते हैं?
समर्थक बेस कम होता है, मत घटता है। मुश्किल से जुटा हुआ हिन्दू टूटता है, ऊपर से जो पहले से भाजपा विरोधी भी रहे हैं वे अचानक गोडसे प्रेम में लिखने या कॉपी पेस्टियाने शुरू हो जाते हैं।
कितना आसान है हिंदुओं में फूट डालना, क्या नहीं?
कोई काँग्रेसी, गांधी का महिमा मंडन शुरू कर के अंत में गोडसे को कुछ कहे, बस, TRP लूट ले जाएगा। ऊपर से तड़का दे दे कि आप के साहेब ही गांधी के दीवाने हैं, बस खीझ मोदी जी पर ओवरफ़्लो! नसीब समझिये यह फॉर्म्युला उन्होंने छठे चरण में आजमाया, वरना शुरू से चलाते तो हो जाता राम नाम सत्य!
पहले के जमाने में शैव-वैष्णवों में खून खराबा बहुत होता था। उसमें हिंदुओं का दो कौड़ी का फायदा नहीं हुआ। आज यह ‘गांधी – गोडसे में कौन सम्मान योग्य’ यह भी ऐसा ही मुद्दा है। अगर हम शांत रहें तो शायद गोडसे को गालियां देने की बाढ़ आ जायेगी। फिर भी हम शांत रहें तो वे आपा खोकर पूछेंगे कि आप भड़क क्यों नहीं रहे हैं, क्या आप पर मोदी का इतना जादू चल गया है?
यहीं उनकी असलियत की पहचान होगी।
प्रश्न मोदी जी के जादू का नहीं, उनकी राष्ट्रवादी और हिंदुओं के लिए उपयोगिता का है। क्या हम समझ सकते हैं कि यह मौका बार बार नहीं आयेगा, इसका लाभ लेना ही लेना है? भूतकाल को केवल हमारा भविष्य खराब करने के लिए खोदा जा रहा है।
अपनी मान्यताएं संभाल रखिए, उन पर काम कीजिये। हमारी श्रद्धाओं का सम्मान हमें ही करना होगा। लेकिन समय को भी पहचानिये। बिना बल के लड़ाई लड़ नहीं सकते इसलिए इस झगड़े में बल जाया न करें। वो बल जाया हो यही हमारे शत्रुओं की इच्छा है और वे सफल होते दिखाई दे भी रहे हैं इसलिए यह सब लिखने पर मजबूर हूँ।
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