मैं जो कुछ भी उपाय बताती हूँ वे या तो मेरे व्यक्तिगत अनुभव से निकले होते हैं, मेरी छठी इन्द्री से मिले संकेत होते हैं या गुरुओं का दिया ज्ञान होता है. इसलिए मेरे उपायों पर अमल करने से पहले अपनी छठी इन्द्री को अवश्य जागृत करें.
तो अब जो मैं उपाय बताने जा रही हूँ उसके पीछे भी बहुत सारे कारण हैं.
पहला यह कि हमारी धरती में इतनी ऊर्जा है कि यदि आप सीधे उसके संपर्क में आते हैं, खासकर कच्ची सड़क या मिट्टी, पत्थर वाली जगह तो आपकी ऊर्जा बढ़ती है.
दूसरा उबड़ खाबड़ जगह पर चलने से पैर के पंजों के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स पर दबाव पड़ने से कई परेशानियों से आप स्वत: मुक्त हो जाते हैं.
(मोदीजी का वह वीडियो याद करिए जिसमें उन्हें सुबह व्यायाम करते हुए बताया जाता है तब वे बिना चप्पल के अलग अलग तरह की ज़मीन पर चलते हैं जो उनके लिए विशेष रूप से चलने के लिए बनाया है.)
इसलिए यदि आप ऐसी किसी बीमारी से ग्रसित हैं जिसका किसी भी तरह से एलोपैथिक इलाज असर नहीं कर रहा तो सबसे पहले आप जो चप्पल या जूते पहन रहे हैं उसे पहनना बंद कर दीजिये. घर में जहाँ तक हो आठ दिन तक बिना चप्पल के रहें और बाहर जाना हो तो सिर्फ कपड़े या Pure Leather के जूते चप्पल ही पहनें. और आठ दिन में ही आप फर्क अनुभव कीजिये.
Pure Leather भी दो तरह का होता है एक हार्ड और दूसरा सॉफ्ट. सॉफ्ट leather ज़िन्दा गाय के चमड़े से बनता है और इसको बनाने की प्रक्रिया बहुत भयावह होती है, हार्ड leather स्वाभाविक रूप से मरी गाय के चमड़े से बनता है.
अब आप खुद तय करें आप को क्या पहनना चाहिए. सॉफ्ट leather में ज़िंदा गाय की तड़प और पीड़ा का अंश रह जाता है जिससे आपके शरीर को नुकसान पहुँचता है. इसके अलावा प्लास्टिक और अन्य मटेरियल जो शरीर के लिए घातक है ऐसे मटेरियल से बने जूते पहनने से आपको कई बीमारियाँ घेर लेती हैं जिसका आप लाख इलाज करवा लो ठीक नहीं होती, जब तक आप ऐसे जूते चप्पल पहने रहते हैं.
(वैद्य राजेश कपूर के वीडियो में एक व्यक्ति का इंटरव्यू बताया है जिसमें बताया गया है कि उस व्यक्ति को कई वर्षों से डायबिटीज थी, जिन पर कोई इलाज कारगर नहीं हो रहा था, फिर उन्होंने वैद्य राजेश कपूर की प्रेरणा से अपनी चप्पलें बदली, और जादुई रूप से उनका शुगर लेवल नार्मल हुआ. )
इसको प्रायोगिक रूप से समझने के लिए कम से कम सात दिन तक बिना चप्पल के रहें और अपनी ऊर्जा में फर्क स्वयं अनुभव करें. आपने देखा होगा नवरात्रि में कई लोग नौ दिनों तक बिना चप्पल के रहते हैं, इसके पीछे भी यही विज्ञान काम करता है कि उन नौ दिनों में धरती का ऊर्जा स्तर बहुत अधिक होता है. इसलिए उन नौ दिनों में तो खासकर बिना चप्पल के रहकर ऊर्जा संग्रहित कर लेना चाहिए. और विशेष रूप से उन नौ दिनों सर पर कोई भी कपड़ा, दुपट्टा, पगड़ी, गमछा रख लें. ताकि पाँव से उठकर वह ऊर्जा सर से निकल न जाए. हमारी जीवन शैली में कोई भी प्रथा अनावश्यक नहीं है, उसके पीछे का विज्ञान समझने के बजाय उसके पीछे का अध्यात्म समझिये.
खैर हम बात बात कर रहे थे चप्पलों की, तो कोल्हापुरी चप्पल भी इसलिए लाभादायक मानी जाती हैं क्योंकि वह बहुत कड़ी होती है और सामान्यत: मरे पशु की त्वचा से हाथ से बनाई जाती है. और हाथ से बनी किसी भी वस्तु में मशीन से बनी वस्तु से अधिक ऊर्जा होती है.
यदि आपको चप्पलों की पहचान नहीं या मेरी बात पर विश्वास नहीं हो पा रहा तो एक बार बिना चप्पल के और दूसरी बार चप्पल पहनकर अपनी ऊर्जा का स्तर चेक कर लें. यदि चप्पल पहनकर आपकी ऊर्जा कम होती है तो वह चप्पल न पहनें. ऊर्जा चेक करने की विधि आप इस वीडियो में देख सकते हैं.
वैद्य राजेश कपूर की प्रेरणा से यह सारे प्रयोग मैंने खुद पर करके देखे हैं.