आपने कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि मोदी के पक्ष में 2014 से बड़ी लहर इस बार 2019 में है। लेकिन ऐसे क्या कारण हैं कि लोगों को लग रहा है कि इस बार ज़्यादा बड़ी लहर है? हम आपको बताते हैं इसके पीछे के कारण और इस कथन की पूरी सच्चाई।
देखा जाए तो इस बात में कोई दो राय नहीं कि इस बार मोदी लहर साल 2014 से भी बड़ी है मगर इसे मोदी लहर नहीं, जनता की लहर कहना चाहिए। इस बार जनता ही मोदीमय हो चुकी है, और इस लहर या सैलाब को लाने की जिम्मेदारी खुद जनता ने ही अपने हाथों में ले ली है।
जी हाँ! मोदी लहर इस बार 2014 से भी बड़े होने का कारण है, जनता द्वारा भाजपा का प्रचार करना और जनता द्वारा ही भाजपा के चुनाव प्रचार को संभालना। लोकतंत्र में जनता ही फैसला करती है कि वह किसे अपना नेता मानेगी, और जब निर्णायक ही प्रचार करने लगे प्रत्याशियों का, तो इससे बड़ी बात अब क्या ही होगी?
भाजपा ने इस बार चुनाव को लेकर अलग अलग अभियान निकाले जिनमें से सबसे ज़्यादा सफ़ल ‘मैं भी चौकीदार’ रहा। भाजपा द्वारा निकाले गए कुछ अभियानों के नाम इस प्रकार हैं:
- काम करे जो, उम्मीद उसी से हो
- फिर एक बार मोदी सरकार
- मैं भी चौकीदार
- माई फर्स्ट वोट फ़ॉर मोदी
इनके अतिरिक्त कुछ निम्नलिखित अभियान स्वयं जनता ने तय किये हैं, जो सोशल मीडिया व आम जनता के बीच लोकप्रिय हैं:
- नमो अगेन
- कहो दिल से मोदी फिर से
- अबकी बार चार सौ पर
- मोदी अगेन
- अपना मोदी आएगा
- आएगा मोदी ही
ये अभियान जनता ने ख़ुद चलाये, जो जनता के बीच प्रसिद्ध भी हुए। इतना ही नहीं, फ़िल्म कलाकारों द्वारा मोदी जी के अभियानों पर फिल्म बनाये गए, कांग्रेस के विरुद्ध फ़िल्म बनाये गए, जिन्हें जनता ने खूब सराहा।
उरी द सर्जिकल स्ट्राइक, एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर इत्यादि ऐसी ही फिल्में हैं। कुछ अन्य फिल्में बनीं, जिनकी रिलीज़ पर अभी रोक है, जैसे विवेकानंद ओबेरॉय द्वारा अभिनीत पीएम नरेंद्र मोदी, एरोस नाउ द्वारा नरेंद्र मोदी जी की जीवनी पर आधारित वेब सीरीज़, गुजराती फ़िल्म ‘हु नरेंद्र मोदी बनवानो छुं’, शार्ट फ़िल्म- ‘चलो जीते हैं’, मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर इत्यादि। प्रधानमंत्री जी को योजनाओं से प्रभावित होकर भी कलाकारों ने फ़िल्म बनाई जैसे स्वच्छ भारत मिशन से प्रभावित होकर ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’, मुद्रा योजना से प्रभावित ‘सुई धागा’।
जब इन सब विषयों को लेकर जनता ने खुद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व उनके सरकार के कदमों की सराहना की, जन जन तक उसे ले गए, तो यह नज़र आने लगा कि मोदी के चुनाव प्रचार अभियान को ख़ुद उनकी जनता संभाल रही है।
लोकतंत्र के इस युद्ध की अवधि में आहुति वामपंथियों ने भी डाली है, ताकि मोदी के प्रचार में कोई कमी न रह जाए। पुलवामा हमलों के बाद देश में देशविरोधी तत्व अचानक बढ़ गए थे और पुलवामा हमले पर ख़ुशी जारी कर रहे थे, जिनसे मुक़ाबला देश की जनता ने ख़ुद किया और ‘क्लीन माई नेशन’ अभियान चलाया, जिसके कारण सोशल मीडिया पे देशविरोधी माहौल बनाने वाले लोगों पर सख़्त कार्रवाई प्रशासन और जनता द्वारा हुई।
ऐसे लोगों को समाज द्वारा बहिष्कृत किया गया, उनकी कंपनी ने उनसे किनारा कर लिया और बेइज़्ज़ती तो हुई ही। यही नहीं करीब 733 बॉलीवुड कलाकारों ने जब मोदी के विरोध में वोट देने के लिए जनता से आग्रह किया, तब भी मोदी के साथ खड़ी जनता आगे आई और उसी बॉलीवुड घराने के 900 से अधिक कलाकारों ने मोदी को वोट देने का आग्रह किया।
स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर ने मोदी जी के समर्थन में “मैं देश नहीं झुकने दूंगा” गाकर मोदी जी को समर्थन दिया। ख़ैर यह तो देखना दिलचस्प होगा कि लोकतंत्र के इस युद्ध का परिणाम क्या होगा, मगर उससे भी पूर्व जो नज़र आ रहा है वह यह कि मोदी की तरफ से इस बार जनता चुनाव लड़ रही है।