ज़रूरी है निर्लज्जों को आइना दिखाना

चूंकि अपनी पुस्तक को अन्तिम रूप देने में व्यस्त था इसलिए उस समय लिख नहीं सका था। अतः आज लिख रहा हूं।

मिसाइल के द्वारा शत्रु के उपग्रह को अंतरिक्ष में ही मार गिराने की क्षमता प्राप्त कर भारत के अंतरिक्ष महाशक्ति बन जाने का शंखनाद कांग्रेसियों को रास नहीं आया था।

उन्होंने वही विधवा विलाप प्रारम्भ किया कि ये हमारा कार्यक्रम है… ये हमारी योजना थी… हम ये पहले ही कर चुके थे… आदि आदि…

ज्ञात रहे कि पिछले 5 वर्षों के दौरान मोदी सरकार की प्रत्येक उपलब्धि, प्रत्येक सफलता पर कांग्रेसी फौज यही विधवा विलाप करती रही है।

इस विधवा विलाप के साथ ही कांग्रेसी फौज देश पर यह अहसान ज़रूर लादती रही कि नेहरू ने देश को भाखड़ा बांध दिया। IIT दिए, मेडिकल कॉलेज दिए।

अतः कांग्रेस को उसी के तर्कों के साथ आईना दिखाना ज़रूरी है।

पहले बात भाखड़ा बांध की।

तो कांग्रेसी फौज यह जान ले कि 1944 में नेहरू जब जेल में बंद थे उस समय भाखड़ा नंगल की योजना की बातचीत शुरू हुई थी और इस पर तात्कालिक पंजाब के राजस्व मंत्री छोटू राम और बिलासपुर के राजा के बीच नवम्बर 1944 में समझौता हुआ।

8 जनवरी 1945 को जब इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग पूर्ण हुई थी, उस समय नेहरू सरकार में नहीं थे। इस प्रस्ताव से भी नेहरू का कोई लेना-देना नहीं था।

इस बांध का शुरुआती निर्माण कार्य 1946 में जब शुरू हुआ उस समय नेहरू नेतागिरी कर रहे थे। इस परियोजना से नेहरू का कोई लेना-देना नहीं था।

यह उल्लेख भी बहुत ज़रूरी है कि यह परियोजना शुरू कराने वाले छोटू राम ने 24 साल पहले 1920 में कांग्रेस छोड़ दी थी। वो यूनियनिस्ट पार्टी के नेता थे।

अतः नेहरू द्वारा भाखड़ा नंगल बांध देश को देने का एहसान लादने वाली कांग्रेसी फौज पहले भाखड़ा नंगल बांध का इतिहास पढ़े और अपने गिरेबान में झांके।

अब बात IIT और इंजीनियरिंग कॉलेज की।

1947 में जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए उस समय देश में 36 बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज थे।

भारतीय स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर 2007 में जब देश के 50 सर्वश्रेष्ठ सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की सूची बनी थी तो उस 50 की सूची में वो सभी 36 कॉलेज शामिल थे। उनमें से 3 को ही IIT का दर्जा दिया जा चुका था।

आज भी देश के हर प्रमुख शहर के मेडिकल कॉलेज का इतिहास पता करिये तो वो ब्रिटिशकाल का ही मिलेगा। अन्तर बस यह है कि तब उसका नाम कुछ और हुआ करता था।

यूपी में राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, बनारस, प्रयागराज, आगरा के मेडिकल कॉलेज का यही इतिहास है… सूची बहुत लम्बी है। अतः यहां कुछ प्रमुख उदाहरण ही दिए हैं।

उच्च स्तरीय चिकित्सा के नाम पर 56 साल में देश में मात्र 4 AIIMS बन सके थे। 2003 में अटल सरकार द्वारा 6 AIIMS की नींव रखी गयी थी। लेकिन यूपीए सरकार 10 वर्षों में उनमें से एक का भी शत प्रतिशत निर्माण पूर्ण नहीं करा पायी थी।

भोपाल का AIIMS इसका सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है कि किस तरह चुनावी आननफानन में यूपीए सरकार ने उदघाटन तो कर दिया था किन्तु काम मोदी सरकार के आने के 2-3 साल बाद ही पूर्ण हो सका।

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