“तपस्या करके निकला हुआ इंसान हूं मैं”

“मैं तलवार की नोक पर चलने वाला इंसान हूं। मैं तपस्या करके निकला हुआ इंसान हूं, तप करके निकला हुआ इंसान हूं और धरती से उठकर के आया हूं और इसलिए मुझे मालूम है कि झूठ, झूठ होता है और उस झूठ का किस प्रकार से जवाब देना है, मैं पूरी तरह से जानता हूं।”

“और इसलिए मैं हर गाली का गहना बना सकता हूं क्योंकि मुझे मालूम है कि गाली अपने आप में गलत है। गाली देने वाला गलत है। गाली देने वालों का इरादा गलत है और जब मेरे भीतर अच्छाई के प्रति पूरा भरोसा है”, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एबीपी न्यूज़ को इंटरव्यू में बताया।

वे आगे कहते है कि “इस देश में 450 से ज़्यादा ज़िले ऐसे होंगे जहां रात्रि में मैंने काम किया होगा। 450 से ज़्यादा ज़िले जहां मैंने रात्रि में काम किया होगा और मेरा करीब 45 साल का जीवन परिव्राजक (रमता जोगी या घुमक्कड़) का जीवन रहा है। मेरे जीवन का बहुत बड़ा कालखंड मैंने रेल की पटरी पर, ट्रेन के डिब्बे में गुजारा है, ट्रेवेलिंग में।”

फिर प्रधानमंत्री मोदी बतलाते हैं कि “मैं चाय बेचता था, मैं उन दिनों की बात नहीं कर रहा हूं, वो एक अलग, मैं बाद की जिंदगी कहता हूं तो मैं एक प्रकार से बहुत परिव्राजक रहा हूं। 450 जिलों में तो नाइट हॉल्ट तो, ये कंज़रवेटिव है उससे ज़्यादा भी होगा। इसका मतलब मुझे हिंदुस्तान के हर कोने का मेरा कैसा तव्वजो…”

“तब भी मैं ऐसा ही कठोर परिश्रम करता था जी। तब भी ऐसा ही कठोर परिश्रम करता था। तो परिश्रम ये मेरा, जिम्मेवारियों के प्रति मेरा कमिटमेंट है, किसी की चिंता मैं नहीं करता हूं।”

“आप हैरान होंगे, मैं हिमाचल प्रदेश में काम करता था और हमारे यहां भारतीय ऑर्गेनाइजेशन में शक्ति केंद्र की रचना होती है। यानि एक ब्लॉक को भी 6 हिस्सों में बांटते हैं। एक शक्ति केंद्र में जाना है तो हिमाचल में मुझे एक दिन जाता था। पहाड़ चढ़ना, उस जगह पर जाना फिर उतरना, एक दिन जाता था। मैं एक ऐसा इंसान था जिसने हिमाचल प्रदेश के सभी शक्ति केंद्रों का ट्रेवेलिंग किया था, जाकर मीटिंग करता था।”

अंत में, वे कहते हैं कि “मैं लोगों से मिलता हूं जी। मैं लोगों से मिलता हूं, लोगों से बात करता हूं। मैं चौखट में और दायरे में जिंदगी जीने वाला इंसान नहीं हूं।”

प्रधानमंत्री मोदी के इन उद्गारों ने मुझे ग्रीक दार्शनिक प्लेटो की याद दिला दी जिसने कहा था कि किसी भी राज्य का नेतृत्व ‘दार्शनिक राजा’ को करना चाहिए। प्लेटो के विचारों को मुझे प्रयागराज विश्वविद्यालय में पढ़ने का सौभाग्य मिला था।

‘दार्शनिक राजा’ एक ऐसा शासक होता है, जो ज्ञान के साथ-साथ बुद्धि, विश्वसनीयता और सरल जीवन जीता हो। ‘दार्शनिक राजा’ नैतिक और बौद्धिक दोनों रूप से शासन के अनुकूल है, क्योकि वह लालच और वासना से मुक्त है और उसे सत्य और यथार्थ की समझ है।

लेकिन ‘दार्शनिक राजा’ को सत्य और यथार्थ की समझ केवल शिक्षा से नहीं आती है। प्लेटो के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वह छात्र अगले 15 वर्ष तक एक योगी की तरह भ्रमण करता रहेगा। इस कठोर साधना के पश्चात उस व्यक्ति का कोई निजी परिवार नहीं रहेगा। उसे निजी लाभ का कोई लोभ नहीं रहेगा। राज्य (राष्ट्र) ही उसका परिवार बन जाएगा।

शिक्षा और भ्रमण के पश्चात उसे जो ज्ञान, अंतर्दृष्टि और अनुभव मिलेगा, वह उस व्यक्ति को एक आदर्श शासक बनाती है, जिसे प्लेटो ने ‘दार्शनिक राजा’ कहा।

भारत की धरती पर पले-बढ़े, शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किये, एक घुमक्कड़ का जीवन व्यतीत करने वाले ‘दार्शनिक राजा’ नरेंद्र मोदी को समर्थन दीजिये।

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