महानतम अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा कि काँग्रेस का घोषणापत्र एक अन्य महानतम से भी महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से सलाह लेकर बनाया गया है।
ये वही महानतम से भी महान अर्थशात्री अमर्त्य सेन हैं जिनको बिहार शरीफ स्थित नालंदा विश्वविद्यालय को दिल्ली के पांच सितारा लीला होटल के प्राइवेट सुइट से चलाने का गौरव प्राप्त है।
9 वर्ष तक नालंदा विश्वविद्यालय का वाईस चांसलर रहते हुए इस महान अनर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने प्रति माह 5 लाख का वेतन उठाया… और 9 वर्षों में 2000 करोड़ खर्च करके शानदार तरीके से ढह जाने वाले चारदीवारी को बनाने का गौरव प्राप्त किया।
CAG ने इन 9 वर्षों में नालंदा विवि में उदार कर-मुक्त (tax-free) तनख्वाह, बिना परमिशन लिए विदेश यात्राएं, लक्ज़री होटलों में बैठकों, तथा अपारदर्शी नियुक्तियों (opaque appointments) के लिए इनको आड़े हाथों लिया था और इनके गरीबों के अर्थशात्री होने की कलई खोली थी।
डॉ मनमोहन सिंह भी वही महानतम अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने दिल्ली के LSR (लेडी श्रीराम) कॉलेज की गोपा सभरवाल जो कि रीडर थीं, को नालंदा में सीधे वाईस चांसलर लगाया और 5 लाख तनख्वाह दी जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर की तनख्वाह से दुगुनी से ज्यादा थी।
महानतम से भी महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने महानतम अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार के समय 9 वर्ष 7 फैकल्टी और एक चारदीवारी के साथ नालंदा विश्वविद्यालय को चलाया और कुल 2729 करोड़ रुपये की गरीब सी रकम डकारी।
नालंदा विवि में जो फैकल्टी थीं, उनको भारत के इतिहास और समाजशास्त्र (Sociology) पर पढ़ाई करानी थी… चार फैकल्टी सहेलियाँ थीं जो एक ही कैंपस से नालन्दा विश्वविद्यालय में लगी थीं…
गोपा सभरवाल
अंजना शर्मा
उपिंदर सिंह
नयनजोत लाहिरी
इसमें से उपिंदर सिंह जी, महान डॉ मनमोहन सिंह की पुत्री हैं… बाकी की तीन उनकी ख़ास सहेलियाँ हैं…
खैर उस समय घोटालों पर ख़ामोशी अच्छी थी और देश को गर्त में ले जाने वाली योजना का ठीकरा दूसरे के माथे पर फोड़ने की तैयारी अभी से कर ली है।
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