इतिहास गवाह है राष्ट्रवाद जब-जब आखिरी पायदान पर गया है, कमज़ोर हुआ है संपूर्ण सभ्यताएं ही नष्ट हो गईं हैं। किसी भी राष्ट्र को अभेद बनाये रखने में राष्ट्रवाद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। किसी भी फलते फूलते देश को समूल नष्ट करना हो तो शक्तिशाली हथियारों की आवश्यकता नहीं होती बस उस देश के नागरिकों के दिल में रची बसी राष्ट्रवाद की भावना को ख़त्म कर दो। यह कुटिल प्रयास हमारे देश में भी चल रहे हैं।
हमारे ही देश के कुछ राजनेता, पत्रकार, लेखक, तथाकथित बुद्धिजीवी, टी वी चैनल्स इस बात को जानते हैं। वो पुरज़ोर इस राष्ट्रवाद को कमजोर करने का प्रयत्न कर रहे हैं। उन्हें चिन्हित करना होगा। इन पर निगाह रखनी होगी। ताकि ये अपनी कुटिल चालों में सफल न हो सके। वैसे तो भारत में राष्ट्रवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं। इन्हें कमज़ोर करना इतना आसान तो नहीं है।
मशहूर लेखिका शोभा डे का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है, “राष्ट्रवाद कभी भूखे पेट पर असर नहीं डालता। इससे ज्यादा आवश्यक युवाओं के लिए नौकरियां हैं।” निःसंदेह युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जाने चाहिए। पर राष्ट्रवाद को प्रथम प्राथमिकता न देना सर्वथा अनुचित है।
अमर शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे हजारों युवा यदि अपने पेट की चिंता करते, रोजगार को प्रथम प्राथमिकता देते तो क्या यह देश आजाद होता? इन अमर शहीदों को भूख की परवाह तो कभी नहीं रही होगी। इनके लिए तो राष्ट्रवाद ही सर्वोपरी था। अपने प्राणों से अधिक प्रिय।
शोभा डे ने महिलाओं का भी अपमान किया उन्होंने कहा,”सिर्फ़ और सिर्फ़ सुरक्षित वातावरण ही वो मुद्दा है जो महिलाओं के मन पर सबसे ज्यादा असर डालता है।” इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश की महिलाओं को 100% सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए। पर इसकी तुलना राष्ट्रवाद से क्यों?
शोभा डे भारतीय महिलाओं का इतिहास देखिए इन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी सुरक्षा की परवाह कभी नहीं की। झांसी की रानी यदि अपनी सुरक्षा को राष्ट्र से अधिक महत्वपूर्ण मानतीं तो अंग्रेजों से लोहा लेने वो कभी अपने महल से बाहर न निकलतीं।
राष्ट्रवाद की भावना ही राष्ट्र को सुरक्षित रखती है। इस भावना को कमज़ोर करने के कुटिल प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। हमारे वीर सैनिकों के मन में कूट कूट कर भारी राष्ट्रवाद की भावना राष्ट्र को सुरक्षित रखती है। ये न तो भूख की परवाह करते हैं ना ही प्यास की।
एसी के आरामदायक माहौल में कलम घसीटने वाले इस घटना से कुछ सीखें। समझने का प्रयत्न करें कि राष्ट्रवाद क्या होता है। पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान को मार गिराने वाले विंग कमांडर अभिनंदन आपको याद ही होंगे।
पाकिस्तान से लौटने के बाद इन्हें चिकित्सकों ने 4 हफ्ते आराम करने की सलाह दी। इसके लिए उन्हें सिक लीव मंज़ूर की गई। ये समय वो परिवार के साथ व्यतीत कर सकते थे। पर इस वीर सैनिक ने श्रीनगर कैम्प में वापस लौटने का फैसला किया। ये है राष्ट्रवाद की भावना।
जय हिंद….. जय भारत माता…
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