इतिहास में कुछ तारीखें महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
24 जनवरी 1966, मुंबई से न्यू यॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में सवार सभी लोगों की मौत हो गई थी।
इसी विमान में होमी जहांगीर भाभा भी सवार थे। कहा जाता है कि इस विमान दुर्घटना का रहस्य आज तक नहीं खुल पाया है। महान वैज्ञानिक भाभा वही हैं जिन्हे आज एक बार फिर याद किया जा रहा है।
31 दिसंबर 1971 की रात, विक्रम साराभाई कोवलम के एक रिसॉर्ट में रुके, तब तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन सुबह उन्हें उनके कमरे में मृत पाया गया। निधन की कोई खास वजह सामने नहीं आ सकी।
उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स हमेशा ठीक रहती थी, हृदय बेहतर तरीके से काम करता था। ऐसे में उनके शव का पोस्ट मार्ट्म कराया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो सका, अगर ऐसा होता तो उनकी रहस्यमय मृत्यु की वजह पर शायद कोई तो प्रकाश पड़ता।
यह सत्य है कि वे ही थे, जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को दुनिया में पहचान दिलाई। भारत अंतरिक्ष के जिस मुकाम पर है, उसके पीछे विक्रम साराभाई का ही दिमाग था। लेकिन उनकी मृत्यु भी अंतरिक्ष की तरह ही आज तक एक रहस्य है।
2009 से 2012, मीडिया रिपोर्ट्स पर यकीन करें तो इन चार सालों में भारत के 11 परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर्स की मृत्यु रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई।
2013 में एक और मीडिया रिपोर्ट आई थी, जिसमें विशाखापत्तनम में रेलवे ट्रैक के किनारे केके जोश और अभीष शिवम की लाश मिली थी। बताया गया कि ये दोनों वैज्ञानिक देश की पहली स्वदेशी पनडुब्बी अरिहंत के निर्माण से जुड़े थे।
बात यही नहीं खत्म हो जाती है…
11 जनवरी 1966 की रात, ताशकंद में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध विराम पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद ही भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का संदिग्ध निधन हो जाता है।
ताशकन्द समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उसी रात उनकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया। एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री की रहस्यमय मौत देश में आज तक एक रहस्य है।
भारत के वैज्ञानिकों के इतिहास के बीच में राजनैतिक इतिहास की कुछ तारीखें भी महत्वपूर्ण हैं :
27 मई, 1964 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी का देहांत और 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेती हैं।
वैसे एक घटनाक्रम और है…
अगस्त 1945, भारत की आजादी के कुछ समय पहले, नेताजी बोस के विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना, यह भारत की बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा रहस्य है।
तारीखें सिर्फ अंकित ही नहीं होती, बहुत कुछ कहती भी हैं।
इतिहास के हर पन्ने को अपने नाम करने वाले इस पर मौन क्यों हो जाते हैं?