आज भारत ने LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) में स्थित सेटलाइट को मिसाइल से नष्ट करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है और इस पर हर भारतीय द्वारा हर्षित होना व अभिमान व्यक्त करना बनता है।
अब इस उपलब्धि के लिए आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहते है या नहीं यह आपका व्यक्तिगत मामला हो सकता है…
लेकिन इसी के साथ हर भारतीय को राहुल गांधी, कांग्रेस व पूर्व की यूपीए की सरकार से यह प्रश्न पूछना बिल्कुल बनता है कि आखिर वो क्या कारण थे कि 2012 व 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने डीआरडीओ को #MissionShakti को आगे बढाने से रोका था? वो क्या कारण थे या किसका दबाव था जिस कारण से डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को इस तकनीकी का प्रशिक्षण करने से रोका था?
यह मैं नही कह रहा हूँ बल्कि 2013 तक डीआरडीओ के प्रमुख रहे वी के सारस्वत ने बताया है कि उनके द्वारा 2012 व 2013 में रक्षा मंत्रालय व सरकार के अन्य सम्बंधित विभागों से इस मिशन शक्ति को आगे बढाने व परीक्षण करने की अनुमति मांगी थी लेकिन यूपीए सरकार ने इसकी स्वीकृति नही दी थी और इस प्रोग्राम को आगे बढाने से रोका था।
आज पूर्व प्रमुख ने जो कहा है वह इस ओर इंगित करता है कि कांग्रेस की यूपीए सरकार का पूरा ध्यान भारत के हित की तरफ न होकर किन्हीं और ही हितों की रक्षा करना था। इस सरकार में राजनैतिक शक्ति लिए ऐसे लोग थे जिन्होंने भारत की सुरक्षा की नीलामी लगाई हुई थी और जानबूझ कर भारत को कमजोर बनाये रखा था।
मेरा तो स्पष्ट मानना है कि हर भारतीय को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष व यूपीए सरकार में नेशनल एडवाइज़री काउंसिल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे व वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से इस बारे में जवाब तलब करना चाहिए।