हिंदी की पुरानी कहावत है कि जब चींटी मरने लगती है तो उसके पंख निकल आते हैं। वामपंथी विचारधारा का अंत भी अब निकट है, इसलिए अपने अंत को नज़दीक देख कर फड़फड़ाते हुए वामपंथी दलों ने वह चाल चलनी शुरू कर दी है, जिससे वह देश में हमेशा से ही खौफ़ का माहौल बनाता रहा है और अपने आप को बचाता रहा है।
केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों पर लगातार हमले व देश के अन्य क्षेत्रों में भाजपा पर वामपंथी दल लगातार हमले करते रहे हैं, और आज फिर उन्होंने अपनी व्याकुलता का परिचय देते हुए छात्रों पर हमला किया।
हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय में आज सुबह समरहिल में RSS की शाखा पर SFI के कार्यकर्ताओं (नक्सलियों) ने कायराना (नक्सली) हमला किया। दराट और रौडों के साथ क्रिकेट खेलने आए हुए इन तथाकथित मासूम और भटके हुए नौजवानों ने योग कर रहे स्वयंसेवकों पर अचानक हमला कर अपनी विचारधारा का एक और उदाहरण दिया जिसमें करीब 15 स्वयंसेवक बुरी तरह घायल हुए।
इसके बाद वामपंथियों ने छात्रावासों में जाकर गुंडागर्दी का नंगा नाच किया, सो रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं पर भी हमला किया जिसमें भी विद्यार्थी परिषद् के कई कार्यकर्ता घायल हुए और सभी IGMC में उपचाराधीन हैं।
जानकारी के अनुसार, शाखा लगाने को लेकर एसएफआई के छात्रों से पहले कहा सुनी हुई और कुछ ही देर में बात खूनी लड़ाई तक पहुंच गई। विवि परिसर एक बार फिर तनाव से भर गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि यह कायराना हमला उन्होंने किया है जो अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करते हैं; ऐसे दल दूसरों की आवाज़ बर्दाश्त नहीं कर पा रहे, इसलिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं।
असल में यह हमला और कुछ नहीं, बल्कि विश्विद्यालय परिसर में उनके ख़त्म होते अस्तित्व की प्रतिक्रिया है। नशे और अश्लीलता की आड़ में वामपंथी संगठनों ने छात्रों और समाज के बीच कुकृत्य परोसे हैं, उनके विरुद्ध राष्ट्रवादी संगठन जैसे विद्यार्थी परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोर्चा संभाल लिया है और समाज में एकता और प्रगति लाने का काम शुरू कर दिया है, जिससे वामपंथी दलों का अस्तित्व अब समाप्ति की ओर है। यह कायराना हमला और कुछ नहीं बल्कि इस वामपंथ नाम की चींटी के मरने से पहले निकलने वाले पंख हैं।
Vande Mataram