प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन में जैसे पूरे देश को नया रोज़गार दे दिया… कुछ को पूर्णकालिक और कुछ को पार्ट टाइम।
सब देश के चौकीदार बन गए और मज़े की बात है सभी इस नए काम से खुश हैं।
इसी कड़ी में देश के एक मज़बूत चौकीदार मनोहर जी पर्रिकर हमें छोड़ कर चले गए।
ज़िंदगी को जीना और उससे जूझना कोई पर्रिकर जी से सीख सकता है।
‘सादा जीवन उच्च विचार’ आदर्श के धनी थे पर्रिकर जी।
चार बार मुख्य मंत्री होने के बाद भी किसी तरह का कोई अभिमान नहीं पाला उन्होंने, कोई भ्रष्टाचार की कहानी नहीं थी उनके खिलाफ।
लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, एचडी देवगौड़ा, मायावती, करूणानिधि और अन्य नेताओं की तरह अपने परिवार को राजनीतिक पद की सौगात नहीं दी पर्रिकर जी ने।
कोई कभी विवाद नहीं रहा उनके बारे में और गोवा के निर्माता कहे गए।
हाँ, ये बात अलग है राहुल गाँधी ने अपने झूठे शब्द उनके मुंह में डालने का प्रयास ज़रूर किया उन्हें बदनाम करने के लिए वो भी तब, जब वो कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और यह उनका हाल पूछने गया था।
राहुल गांधी श्रद्धांजलि में एक बार तो पर्रिकर जी के OROP (वन रैंक वन पेंशन) और सर्जिकल स्ट्राइक में योगदान का जिक्र कर देता। लेकिन नहीं, उसका काम तो उनके लिए उन्हें रफाल में लपेटने की कोशिश से ही पूरा हो गया था।
कोई अपने को ‘आम आदमी’ कह कर ढोल पीट पीट कर बताये… लोगों को उससे कुछ नहीं होता, ऐसा आदमी ‘आम’ नहीं ‘ख़ास’ हो जाता है। समझ गए ना, मैं क्या कह रहा हूँ!
‘आम आदमी’ तो सही मायने में पर्रिकर जी थे। जो VIP होते हुए भी VIP culture से दूर रहे।
कई किस्से हैं उनकी इस बात को प्रमाणित करने के लिए – एयरपोर्ट पर लोगों के साथ लाइन में खड़े हो कर चलना, सीएम होते हुए स्कूटर पर ऑफिस जाना और रास्ते में ढाबे पर चाय नाश्ता करना।
आज देश पर्रिकर जी के निधन पर शोक मना रहा है मगर ‘दादी की नाक’ अपनी चुनाव की रैली करने निकली। इतना ही नहीं श्रद्धांजलि के लिए एक शब्द भी नहीं बोला। बोले भी तो कैसे संस्कार जो नहीं हैं।
मनोहर पर्रिकर जी का व्यक्तित्व उनके नाम के ही अनुरूप था, वो सही मायने में ‘मनोहर’ थे।
उनका जाना देश, भाजपा और मोदी जी के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और अपने चरणों में स्थान दें। स्वर्ग में पर्रिकर जी को काम तो उनकी क्षमता और रूचि अनुसार ही देंगे प्रभु।
ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति