दरबारियों पर बादशाह और उसके नशेड़ी बेटे को स्‍थापित करने का दबाव होता है

उसे प्‍यार के मसीहा के रूप मे पेश किया गया। सलीम और अनारकली की कहानी को राधा कृष्‍ण की प्रेम कहानी से महान बताया गया। कितना महान था शहजादा सलीम और कितना दुष्‍ट था उसका पिता जो इस महान प्रेम के खिलाफ था।

मगर वह सलीम जहांगीर के रूप में इतना असुरक्षित था कि जब उसने अपने पिता के देहांत के उपरांत राजगद्दी सम्‍हाली तो उसने सबसे पहले अपने ही पुत्र को नेत्रहीन किया क्‍योंकि वह अपने दादा का दुलारा था। उसने खुसरो के सात सौ समर्थकों को लाहौर की सड़कों पर कतारों में खड़ा करवा कर मरवा दिया।

यह एक नैरेटिव है जो गढ़ा गया और आज भी उस खूनी जहांगीर से आपको नफरत नहीं हो पाती। आज भी दरबारी इतिहासकारों के गढ़े गए झूठ पर पूरा इतिहासकार झूमता है।

अनारकली के प्रति समर्पित प्रेमी जहांगीर के हरम में छह हजार औरतें थीं और जब यह भी उसकी अय्याशियों के लिए कम पड़ी तो उसका दिल एक अधिकारी की पत्‍नी पर आ गया। महान प्रेमी जहांगीर ने उस अधिकारी की हत्‍या कर दी और उस महिला से निकाह कर लिया व हिंदुस्‍तान की मल्‍लिका बना दिया। नाम दिया गया नूरजहां।

इसी नूरजहां के भाई की बेटी का निकाह खुर्रम अर्थात शाहजहां के साथ हुआ, जिसने सबसे पहले अपने अंधे भाई को फांसी पर चढ़ाया था और नूरजहां के षड्यंत्रों का सामना किया था, बहुत ही निर्दयता पूर्वक अपने सभी भाइयों का कत्‍ल करवाया था, केवल एक भाई को छोड़कर जो रोगी था और जो खुद ही इस दुनिया को छोड़ने के लिए तैयार था।

इतिहासकारों व सेक्‍युलर लेखकों के इन नायकों के जीवन से आप क्‍या मूल्‍य ले सकते हैं यह पता नहीं, पर आप इनके जीवन से मात्र स्‍वार्थ को ले सकते हैं।

इनकी तुलना में मराठों का इतिहास देखें जहां पर स्‍त्रियों का आदर किया गया, हरम की संस्‍कृति दूर रही, गद्दी के लिए भाई ने भाई का खून नहीं बहाया, खून बहाया तो धर्म के लिए, खून बहाया तो संस्‍कृति की रक्षा के लिए, और वही लोग इतिहासकारों की नजर में उपेक्षित रहे।

औरंगजेब जब शिवाजी से हार रहा था तब भी उसके मुख पर कुटिल मुस्‍कान थी, यह मुस्‍कान भांप कर उसके दरबार में किसी ने पूछा ‘आलमगीर आप इतनी हार के बाद भी इतने खुश क्‍यों हैं, आपको तो मायूस होना चाहिए था क्‍योंकि शिवा ने सूरत पर हमला कर आपको चुनौती दी है।‘

औरंगजेब ने अपनी नंगी चमचमाती तलवार एक कागज़ पर रखी, और अट्टाहास लगाते हुए कहा ‘क्‍या तुम लिखोगे कि शिवा जीता था, दरबार में बैठ कर तलवार के सामने कलम की आज़ादी की बात करते हो। इतिहास वही होगा जो तुम लिखोगे और तुम वही लिखोगे जो तलवार लिखवाएगी’ और कहते हुए उसने अपनी नई तलवार के परीक्षण हेतु सिर मांगे। सभी दरबारियों ने अपनी अपनी कलमों के सिर प्रस्‍तुत कर दिए।

और कलमों का सिर कलम होने के बाद लिखा गया कि आलमगीर औरंगजेब टोपियां सीकर व कुरान की आयतें लिखकर गुजारा करता था, बादशाह की तलवार की ताकत इतिहास बदल देती है।

दरबारियों पर बादशाह और उसके नशेड़ी बेटे को स्‍थापित करने का दबाव होता है।

– सोनाली मिश्र

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