भेड़ों को ही भ्रमित करने के काम आती हैं ऐसी बातें

टोपीवाले का नाती और बंदरों की कहानी मालूम ही होगी, लेकिन संक्षेप में :

एक टोपी बेचनेवाला आदमी सर पे टोकरी में टोपियाँ भरकर एक गाँव से दूसरे गाँव जा रहा था।

राह में दोपहर को थका सा एक पेड़ के नीचे सोया तो पेड़ पर बैठे बंदरो ने सभी टोपियाँ चुरा ली और शाखाओं पर जा बैठे।

यह उठकर देखता है तो टोपियाँ गायब। फिर उसने अपनी टोपी पहनी और जमीन पर पटकी तो बंदरो ने अनुकरण किया। इसने सभी टोपियाँ उठाई और चलता बना। जब घर पहुंचा तो सब को बताया।

कई वर्षों बाद उसका पोता वैसी ही परिस्थिति में फंसा तो उसने दादा का बताया नुस्खा आज़माया। एक बंदर लपक कर आया और वह टोपी भी ले गया, जाते जाते कह गया – हम भी सीखते हैं।

दुनिया में लड़ाइयाँ हमेशा नये तकनीक या हथियार से जीती गयी हैं, या यूं कहिए कि उस परिस्थिति के लिए नये।

आज लीवर (सर्फ़ एक्सेल बनाने वाली हिंदुस्तान लीवर) को सबक सिखाने लोग वही पुराने तरीके पर इतरा रहे हैं। ऑनलाइन मंगवाएंगे और आने पर गरियाएंगे। उस पर यह कहानी याद आई।

ज़रा सोचिए, यह पूरी तरह नयी स्क्रिप्ट क्यों बनवाई उन्होंने? क्यों हमेशा का पानी बचाओ वाला हल्ला नहीं किया?

सीधा उत्तर है वे पब्लिक का मूड नाप रहे हैं। पानी बचाओ से हिन्दू शर्मिंदा नहीं होगा, यह पता चल गया तो सेक्युलर पत्ता खेला, उसमें भी बच्चों को आगे किया है। पूरा मनोवैज्ञानिक खेल है।

इसमें यह भी क्लियर है कि पूरी तरह सेक्युलर नैरेटिव लिया है जिसपर कोई कोर्ट केस हो ही नहीं सकता। और ना ही कोई पार्टी अधिकृत रूप से इसकी निंदा कर पाएगी।

फिर भी कुछ धूर्त इसमें मांग कर रहे थे कि सरकार इसमें क्यों कुछ नहीं करती या हिंदुओं के कहने वाले पक्ष क्यों वकीलों से केस फाइल नहीं कराते – भेड़ों को ही भ्रमित करने ऐसी बातें काम आती हैं।

गल्ले में ही कम पैसे आए तो ही इसका विरोध दर्ज़ होगा। ये लड़ाई ऑनलाइन नहीं लड़ी जाएगी बल्कि उनके हाथ में एक शस्त्र मिलेगा हिंदुओं को बदनाम करने का और ऑनलाइन बेचने की शर्तें बदली जाएगी। एक दिन के ऑनलाइन रिटर्न, लीवर जैसी कंपनी आराम से झेल सकती है क्योंकि वो उनका मुख्य धंधा है ही नहीं।

अगर आप घर की महिलाओं को इस मुहिम से जोड़ नहीं सकते तो छोड़िए, सब से पहली समस्या वही है, उसका पहले उपाय करें।

और हाँ, लड़ाई ऑनलाइन गेम नहीं होती कि बैठे बैठे हर कोई लड़ सके। कम से कम दुकान जाकर दूसरा माल लेना होगा। बड़े स्टोर्स से होम शॉपिंग कर रहे हैं तो श्रीमती जी के साथ बैठकर लिस्ट revise करानी होगी। वे, अगर शॉपिंग क्या है इसमें आप से केवल पेमेंट करवाने की अपेक्षा रखती हैं तो छोड़िए, किसी दूसरी लड़ाई का इंतज़ार करते हैं जो बैठे बैठे केवल फेसबुक पर जीती जाये।

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