पुलवामा में अटैक हुआ 44 वीर जवान वीरगति को प्राप्त हुए। देश स्तब्ध रह गया, आक्रोश और दुःख की लहर दौड़ पड़ी। सरकार पर दबाव था, प्रतिक्रिया देनी थी और उसने दी भी।
काँग्रेस और उसके साथियों ने इसे एक अवसर के रूप में लिया और सरकार को घेरने लगे। साथ ही पाकिस्तान को बचाते हुए कहा कि हमला लोकल यूथ ने किया। जब जैश ए मुहम्मद का वीडियो आ गया तो चुप लगा गए।
इसके पश्चात इस बात के लिए घेरा कि हमला कैसे हुआ, विस्फोटक कैसे आये? फिर एक अनाम से न्यूज़ पोर्टल से समाचार आया कि सीआरपीएफ ने हेलीकॉप्टर माँगे थे, गृहमंत्रालय ने दिया नहीं। जब इस पर गृहमंत्रालय ने सफाई दी तो राहुल गांधी ने कहा कि अटैक के समय मोदी कार्यक्रम कर रहे थे।
ये सब चल ही रहा था कि एयर स्ट्राइक हो गई। समाचार की पुष्टि चूंकि पाकिस्तान की ओर से हुई थी तो अनिच्छा से भारतीय वायुसेना को बधाई दी। अब इतने दोगले हैं कि एक ओर तो वायुसेना को बधाई दे रहे हैं और दूसरी ओर सरकार से साक्ष्य माँग रहे हैं।
अरे भाई, जब आपको विश्वास ही नहीं है कि एयर स्ट्राइक हुई थी तो वायुसेना को बधाई क्यों दी, और जब बधाई की पात्र वायुसेना है तो साक्ष्य भी उसी से माँगना था।
इसके आगे की कहानी किसी सी ग्रेड भारतीय फिल्म से भी बुरी है। वायुसेना का एक पायलट पाकिस्तान के विमान को मार गिराता है और गलती से सीमा पार कर जाता है। पाकिस्तान उसकी पिटाई का वीडियो बनाता है। उस वीडियो को ये सारे दोगले सरकार की मनाही के पश्चात भी शेयर करते हैं और सरकार को कोसते हैं।
इनके वक्तव्य को पाकिस्तान के मंत्री उद्धृत करते हैं और कहते हैं कि भारतीय सरकार चुनाव जीतने के लिए युद्ध करना चाहती है। पाकिस्तान पुनः एक वीडियो डालता है जिसमें पायलट अभिनंदन चाय पीते हुए पाकिस्तानी सेना को उत्तर दे रहे होते हैं। यहाँ से इनका एजेंडा पूरा होने लगता है, ये पाकिस्तानी आर्मी की प्रशंसा करने लगते हैं और अभिनंदन के हितैषी बनने का ढोंग करने लगते हैं।
पाकिस्तान नया दाँव चलता है, उसके प्रधानमंत्री युद्ध न करने की विनती करते हैं और ये मीडियाई दोगले ‘Say No To War’ का राग अलापने लगते हैं। जैसे ये सब भारत ने आरम्भ किया हो। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री इन्हें देवदूत लगने लगता है।
पाकिस्तान इनकी प्रतिक्रिया देख नया दाँव चलता है और विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने की घोषणा करता है। ये दोगले लहालोट हो इमरान खान को गौतम बुद्ध बना देते हैं। पाकिस्तान अब एक शांति का पक्षधर देश हो जाता है और भारत सरकार रक्त की प्यासी, जिसे चुनाव जीतने के लिए युद्ध करना है।
अब आप इसमें काँग्रेस का एंगल पूछेंगे।
आपको स्मरण होगा कि मणि शंकर अय्यर जब तब पाकिस्तान पहुंचे रहते हैं। साथ ही काँग्रेस के लिए दोगले पत्रकार दुम हिलाते रहते हैं।
काँग्रेसी युवराज ने जब एयर स्ट्राइक का श्रेय वायुसेना को दिया तो ये एक प्रकार का संदेश था कि श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं देना है।
चूँकि पिछली बार की स्ट्राइक को सेना ने ही बताया था और काँग्रेस ने संदेह किया था, जिससे उसकी जमकर थू थू हुई थी सो इस बार उसने वो गलती नहीं की।
उसने एक ओर तो सेना को बधाई दी और दूसरी ओर केजरीवाल और ममता जैसे नेताओं को दोगले पत्रकारों के साथ लगा दिया कि इस स्ट्राइक पर प्रश्न चिह्न लगाते रहो।