46 जवानों के बलिदान का अपमान है हैशटैग ‘Say No To War’

“इन्हें पाकिस्तान से शांतिप्रिय समुदाय होने का तमगा चाहिए। ये वर्तमान के जयचंद हैं, जो भारत के टुकड़े करने के ख्वाब पाले बैठे हैं। ये नहीं बताएंगे आपको जवानों के परिवारों के विचार, कि वे परिवार युद्ध चाहते हैं; बल्कि उनका अपमान करेंगे। “

पुलवामा हमले के बाद वीरगति को प्राप्त हुए अमर जवान रतन ठाकुर के पिताजी कह रहे हैं कि पाकिस्तान का ख़ात्मा होना चाहिए। वो कह रहे हैं कि मैं अपने दूसरे बेटे को भी युद्ध पे भेजूंगा, मगर पाकिस्तान में पैदा होने वाली एक बकरी भी नहीं बचनी चाहिए।

कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया थी पुलवामा हमले में वीरगति को प्राप्त हुए अमर शहीद रतन ठाकुर के पिताजी की।

पाकिस्तान पर 26 फरवरी को हवाई हमले यानि एयर स्ट्राइक करने के बाद अमर बलिदानी विजय कुमार मौर्य की पत्नी कहती हैं “हमको बहुत खुशी है कि…सबको मार दिया जाए…. जितने पाकिस्तानी हैं सबको मार दिया जाए।”

सेना की कार्रवाई पर संतोष ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा “वह बहुत ख़ुश हैं। युद्ध बिल्कुल होना चाहिए, सबको चुन चुन कर मारना चाहिए।”

उन्नाव के अमर बलिदानी अजीत आज़ाद की पत्नी मीना कहती हैं “पूरा आतंकवाद, मतलब जड़ से पाकिस्तान को उखाड़ फेंका जाए। हम तो यही चाहते हैं, क्योंकि जब तक वे लोग रहेंगे यही करते रहेंगे। न वे कभी सुधरे हैं, न सुधरेंगे।”

चंदौली से वीरगति को प्राप्त हुए जवान अवधेश के पिताजी कहते हैं “जब हमला हुआ तो इससे हम लोग बहुत खुश हुए, सैनिकों पर गर्व है।”

उन्होंने आगे कहा- “इसी तरह बदला लेते रहें, हम लोगों को तभी शांति मिलेगी, जब वे जड़ से ख़त्म हो जाएंगे”।

इसी तरह एयर स्ट्राइक के बाद बलिदानी रमेश यादव की पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को थैंक्स कहा और उनकी माँ ने कहा- “और आतंकियों को मारा जाए, उन्होंने कहा कि इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। एक-एक आतंकी को चुन-चुन के मारो, तभी सभी शहीदों की माताओं को शहादत का बदला मिलेगा।”

ऐसा नहीं है कि बदले की बात या जंग की बात एयर स्ट्राइक के बाद शुरू हुई।

इनमें सबसे बहादुरी वाली ख़बर अमर बलिदानी हवलदार शिवराम की है। हवलदार शिवराम कुछ ही दिनों पहले अपने घर छुट्टी पर आने वाले थे। उनकी पत्नी दूसरे बच्चे से गर्भवती हैं। हवलदार शिवराम ने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड को गोली मारी, और एनकाउंटर में अपने भी प्राणों का त्याग किया। उनके भाई रूपचंद ने कहा – “उन चालीस माताओं के कलेजे को ठंडक पहुंचेगी कि मेरे भाई ने पुलवामा के मास्टरमाइंड को गोली मारी।”

इन सबकी कहानियां जानने की क्या आवश्यकता है?

अगर आपने इनकी कहानियां पढ़ी हैं, और आपके आंखों में आंसू नहीं आये या आप भावुक नहीं हुए तो आपमें संवेदना नगण्य है। रतन ठाकुर के पिताजी को देखकर आप रोये नहीं तो आपमें संवेदनशीलता शून्य है। हवालदार शिवराम के प्राणदान और उनके भाई के बयान पर आपका वक्ष गर्व से चौड़ा नहीं होता, तो आप केवल हाड़ मांस के पुतले हैं, जिसे देश के जवानों की रक्षा से कोई लेना देना नहीं।

पुलवामा हमले के बाद से ही मीडिया बदले की मांग करने लगा था, मगर तथाकथित बुद्धिजीवियों ने उसे जिंगोवाद, उसे युद्ध पिपासु कह कर मानसिक रूप से हीन बताने की कोशिश की। युद्ध की मांग को खारिज करने के लिए मिशन चलाये।

लोगों के हाथ में प्लेकार्ड पकड़ाकर आप समझते है कि आप देश की शांति के लिए चिंतित हैं? देश की शांति के लिए चिंतित होते तो पड़ोसी पाकिस्तान, जहां व्यापक रूप से अधर्म फैला है, अन्याय फ़ैला है, जहां अपने ही पायलट को वे अपना मानने से इनकार करते हैं, उस देश की निंदा करते। उससे संबंध तोड़ते।

मगर वे लोग जो युद्ध की मांग कर रहे हैं उन्हें मल का भंडार बताया जा रहा है। सैनिकों के स्वजनों से ज़्यादा आप और हम चिंतित नहीं हो सकते। वही स्वजन पाकिस्तान के ख़ात्मे की मांग करते हैं, आप उनके वीडियो को नहीं दिखते; उनकी आवाज़ को नहीं दिखाते आगे; ऐसा क्यों?

मैं पहले सोचता था, शायद शांति ही एकमात्र रास्ता है, मगर युद्ध तो भगवान श्रीराम ने भी किया, श्रीकृष्ण ने भी किया। अनेकों अवसर तो श्रीराम ने भी रावण को दिए, पांडवों ने कौरवों को दिए मगर अंततः युद्ध हुआ ही।

अधिक विश्लेषण पर मुझे पता लगा कि इनका लक्ष्य युद्ध रोकना और शांति स्थापित करना भी नहीं है; इनका लक्ष्य है पाकिस्तान को बचाना। पहले कांग्रेस ने इसी लक्ष्य को साधा, तो आज शशि थरूर को प्रशंसा मिल रही है पाकिस्तानी संसद में क्योंकि न पाकिस्तानी और न कांग्रेसी गांधी के पहले के चिंतकों को मानते हैं। इसलिए वे केवल गांधी के सपनों का भारत देखना चाहते थे, रामराज्य नहीं चाहते।

यही पाकिस्तान भी चाहता है, और आज के तथाकथित बुद्धिजीवी व इनके न्यूज़ पोर्टल जो समाचार के नाम पे अपना विचार थोप रहे हैं। युद्ध की मांग करने वालों को मूर्ख व मल की संज्ञा दे रहे हैं। देश के अनेकों जवानों के बलिदान का, उनके परिजनों का और अन्य नागरिकों का अपमान ऐसे बुद्धिजीवी कर रहे हैं।

इन्हें पाकिस्तान से शांतिप्रिय समुदाय होने का तमगा चाहिए। ये वर्तमान के जयचंद हैं, जो भारत के टुकड़े करने के ख्वाब पाले बैठे हैं। ये नहीं बताएंगे आपको जवानों के परिवारों के विचार, कि वे परिवार युद्ध चाहते हैं; बल्कि उनका अपमान करेंगे।

बहरहाल इस लेख में अच्छी बात बता कर इसे ख़त्म करता हूँ। कुछ दिनों पहले ये जैश ए मोहम्मद प्रेमी गैंग के रूप में सामने आये थे, हर समाज ने इनका हल खोज निकाला। इन्हें निष्कासित किया गया, इनके संस्थानों से, इनके समाजों से; और आगे भी यही होगा।

पहले केवल छोटा सा समाज कहता था, आज पूरा देश कहेगा और सिर्फ कहेगा नहीं, करके भी दिखायेगा- “जिसको चाहिए अफ़ज़ल खान, उसको भेजो पाकिस्तान।”

संदर्भ:

https://khabar.ndtv.com/news/uttar-pradesh/surgical-strike-2-pleasure-in-families-of-the-martyrs-of-pulwama-on-action-know-what-said-1999824

https://m.navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/varanasi/martyrs-family-express-happiness-about-indian-air-force-strike-in-pakistan/articleshow/68166237.cms

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