मोदी विरोधी महागठबंधन अब भारत विरोधी महागठबंधन हो चुका है। उन्होंने शायद पाकिस्तान को इस कोशिश में हमले के लिए उकसाया कि ऐन चुनाव के समय मोदी को न उगलते बनेगा न निगलते।
लेकिन हमने जैश के सबसे बड़े कैंप बालाकोट सहित उसके तीन आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए। खौफ इतना कि मिग 21 के पायलट को छोड़ने के लिए घिघियाते नजर आए मियां तालिबान खान।
पुलवामा हमले के दिन से ही सेकुलरिज्म का नकाब ओढ़े इन गुर्गों पर अपनी नज़र है। हमला होते ही शुरू हुए कि जवानों की मौत का अफसोस लेकिन खुदा के लिए बदले की बात मत करो। भला कोई सभ्य सेक्यूलर देश ऐसा करता है।
चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई कि गुर्गे दिन रात 56 इंच के सीने को चुनौती देने में व्यस्त हो गए। लेकिन जब बालाकोट उड़ा दिया गया तो इन्हें सांप सूंघ गया। इतने रुआंसे मन से बधाई दी कि उनके हाल पर हंसी और दया आई।
लेकिन गुर्गे हार मानने वाले नहीं। एक ब्रिटिश थिंक टैंक आइटीसीटी के दक्षिण एशिया प्रमुख एम जेफरी पाकिस्तान के हालात पर लगातार ट्वीट कर रहे थे। एक ट्वीट ऐसा था कि जिससे कि ऐसा लगा कि बालाकोट पर हमले की पुष्टि नहीं हो पाई है। सारे गुर्गों ने उस ट्वीट को पसार दिया।
लेकिन जब मैं जेफरी की वॉल पर गया तो देखा कि वो किसी के हवाले से किया गया ट्वीट था। बाकी कहीं से संशय की गुंजाइश नहीं थी। पूर्व विदेश सचिव और परम लिबरल केसी सिंह ने भारी मन से हमले की पुष्टि करते हुए पीड़ा जताई कि गोल्फ लिंक्स के सटोरिए बता रहे हैं कि इस हमले के बाद मोदी की सीटें जो कहीं से भी 135 से आगे नहीं बढ़ रहीं थीं, अब 235 तक पहुंच गई हैं।
केसी सिंह की बात को महागठबंधन ने गंभीरता से लिया है। अब वे अपने ही बुने जाल में फंस चुके हैं। हमला होने पर तो वे खुश थे लेकिन भारत के करारे प्रहार से उनके तोते उड़ गए हैं। पूरी तरह बौखला चुके हैं।
अभी केजरीवाल का विधानसभा में एक वीभत्स वीडियो देखा। वो खुलेआम लगभग कह रहा था कि पुलवामा हमला मोदी के इशारे पर हुआ है। 21 दलों के नेताओं का बयान तो खैर पाकिस्तान में भी छाया हुआ है।
अब दक्षिण एशिया की एक प्रखर इस्लाम प्रेमी ममता बनर्जी खुलकर मैदान में आ गई हैं। वो कहती है, हमें बताया गया कि 300 मौतें हुईं, 350 मौतें हुईं। लेकिन मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट में ऐसी खबरें पढ़ीं जिनमें कहा गया कि कोई इंसान नहीं मारा गया। एक अन्य विदेशी मीडिया रिपोर्ट में केवल एक व्यक्ति के घायल होने की बात कही गई थी। हमें यह जानने का अधिकार है, इस देश के लोग यह जानना चाहते हैं कि कितने मारे गए (बालाकोट में)। वास्तव में बम कहां गिराया गया था? क्या यह लक्ष्य पर गिरा था?
ममता बालाकोट में मारे गए जिहादियों का सटीक आंकड़ा चाहती है और तभी मानेगी जब पाकिस्तान उसे वेरीफाई कर दे।
इन गुर्गों ने उड़ी हमले के बाद भी सारे देसी अखबार छोड़ के न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट पढ़ना शुरू कर दिया था। रोज सबूत मांगते। सरकार ने सबूत दे मारे तो बेशर्मों ने कहना शुरू किया कि सेना के शौर्य का राजनीतिकरण किया जा रहा है।
इस बार तो पाकिस्तान भी सबूत नहीं मांग रहा लेकिन यहां बैठे उसके गुर्गे मांग रहे हैं। तुम्हारी असलियत पहचानने के लिए और क्या चाहिए? तुम हमारे नेता नहीं देश के कोढ़ हो, गद्दार हो। जनता तुम्हें इस चुनाव में तुम्हारी औकात बताएगी, वोटों की सर्जिकल स्ट्राइक करके।