युद्ध केवल हथियारों से नहीं जीता जाता, मनोवैज्ञानिक लड़ाई भी जारी रहती है, जो युद्ध के फाइनल रिजल्ट पर असर तो डालती ही है।
जैसे कल से हो रहे ‘Say No To War’ के ढोंग से हम विचलित हैं, ऐसा ही हम भी कुछ कर रहे हैं जिससे दुश्मन देश और उसके टट्टू परेशान हैं।
प्रधानमंत्री का नार्मल रूटीन है
देश में सब कुछ सामान्य है
स्कूल कॉलेज खुले हुए हैं
प्राइवेट कंपनियों में सब कुछ सामान्य है
सारे एयरपोर्ट्स चालू
लीडरशिप के शांत चेहरे
वहीं…
आज पाकिस्तान ठप्प है
दो दिन से उसके सारे एयरपोर्ट्स बंद हैं
सभी शहरों में ब्लैकआउट है
सभी आर्मी cantonments में दो दिन से ब्लैकआउट चल रहा है
सभी कॉलेज यूनिवर्सिटी बन्द हैं
लोगों के अंधेरे में बाहर निकलने पर पाबंदी है
‘या ख़ुदा रहम’ की आवाज़ें
शांति शांति का रोना
पाकिस्तानी लीडर्स के चेहरों पर हवाइयाँ उड़ रही हैं
मानो या ना मानो, लेकिन दिल इन सबके दहल गए हैं… ऊपर से, हमें सामान्य देख ये बौखला भी गए हैं। लड़ाई में बौखला जाना हार की तरफ उठने वाला पहला कदम होता है।
अगर आप अपने दुश्मन की दैनिक दिनचर्या को बिगाड़ पा रहे हैं, तो विजय की तरफ बढ़ रहे हैं।
पाकिस्तानी पिट्ठू जो ‘Say No To War’ को ट्रेंड करा रहे थे हमने उनको भी उनकी औकात दिखा दी है… भारत न सिर्फ समर्थ लीडरशिप के हाथों और मज़बूत सैन्य सुरक्षा के घेरे में हैं बल्कि राष्ट्र हित और राष्ट्र सर्वोपरि की अवधारणा लिए राष्ट्रवादी जनता भी कदमताल कर रही…
आओ देखें कितना है दम…
जय भारत
जय हिन्द
जय माँ भवानी