नितीश कुमार ने जो गलती बिहार में की थी, वही गलती अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश में करने जा रहे हैं।
बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद तकरीबन मृतप्राय थी। नितीश ने अपनी कीमत पर, खुद को मार के, राजद को संजीवनी दे दी, ज़िंदा कर दिया।
आज बिहार में लालू की राजद, नितीश जदयू से बड़ी पार्टी है, न सिर्फ विधानसभा सीटों में बल्कि वोट शेयर में भी…
इसी तरह उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी हमेशा बहुजन समाज पार्टी से बड़ी पार्टी थी। अखिलेश ने घुटनों के बल गिर के, लगभग भीख मांगते हुए बसपा के साथ गठबंधन किया और मायावतो की शर्तों पर किया।
मुलायम सिंह अपने नालायक बेटे से नाराज़ हैं। पिछले हफ्ते पार्टी मुख्यालय में उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को उन्होंने खून पसीने से सींचा उसे अखिलेश ने बसपा का जूनियर पार्टनर बना दिया।
एक जगह अखिलेश ने उनसे पूछा कि आपने भी तो बसपा से गठबंधन किया था। मुलायम ने याद दिलाया कि 1992 में 425 में से 267 सीटों पर सपा लड़ी थी और सिर्फ 156 सीट पर बसपा लड़ी थी। सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मुलायम थे…
आज अखिलेश खुद 37 सीटों पर लड़ रहे हैं और मायावती को 38 पर लड़ा रहे हैं और उनकी पालकी ढो के उनको प्रधानमंत्री बनवाने चले हैं।
सीट बंटवारे में भी मायावती की ही चली है। मायावती ने अपनी मनपसंद सीटें ले ली हैं… मलाई क्रीम मायावती के हिस्से आयी, सपरेटा दूध अखिलेश चाट रहे हैं।
सारी शहरी सीटें जहां भाजपा बेहद मज़बूत है, वो सपा को दे दी गयी हैं। प्रदेश में कुल 12 शहरी सीटें हैं, इनमें से 9 पर सपा और 3 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। लखनऊ, मुरादाबाद, कानपुर, गाज़ियाबाद, वाराणसी, बरेली, इलाहाबाद, गोरखपुर और झांसी जैसी शहरी सीटें सपा को मिली हैं। जबकि मेरठ, आगरा और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) सीट पर बसपा चुनाव लड़ेगी।
ये कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे अकलेस को 12 में से 9 प्याज़ कच्चे खाने की सज़ा मिली और मायावती को 3… मायावती ने ग्रामीण क्षेत्रों की सभी आसान सीटें खुद रख ली और भाजपा की मज़बूत सीटें सपा को दे दीं और अखिलेश ने आज्ञाकारी बालक की तरह ले भी ली…
अब ज़मीन पर कार्यकर्ता में असंतोष पनप रहा है। इसी असंतोष को शिवपाल यादव भुनाएंगे। उधर कांग्रेस जी जान से जुटी है और कम से कम 20 सीटों पर एक से डेढ़ लाख तक वोट काटेगी।
अखिलेश को सिर्फ 36 उम्मीदवार देने हैं। उन 36 में कितने यादव कैंडिडेट दे देंगे? 5 सीट तो परिवार की हैं!
बाकी अहीरों को कितनी दे देंगे? 5? माने 36 में 10 सीट अहीरों को? बाकी क्या घास छीलने को पार्टी में हैं?
बची कितनी 26… उसमें कितने मुसलमान होंगे? कितने सवर्ण और कितने OBC? कितने दलित? अखिलेश तो टिकट वितरण में ही बौखला जाएंगे।
उत्तरप्रदेश में गठबंधन की राह बहुत कठिन है। भाजपा अगर 2014 वाला परिणाम दोहरा दे तो आश्चर्य न होगा।