इमरान खान : भारत व हिंदुओं के विरुद्ध एक जेहादी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री

पाकिस्तान के राष्ट्रीय चरित्र का वर्णन करते हुए अमेरिका के दक्षिण एशिया के सामरिक व कूटनीतिक विशेषज्ञ स्टीफेन कोहेन ने बहुत बढ़िया उदाहरण दिया है।

कोहेन कहते है कि पाकिस्तान उस व्यक्ति की तरह है जो खुद अपनी कनपटी पर पिस्तौल लगा कर दुनिया को यह कह कर ब्लैकमेल करता है कि यदि मेरी बात नहीं मानी गयी तो वो अपने को गोली मार लेगा।

कोहेन की यह बात अपनी जगह बिल्कुल सही है। यही करते हुए पाकिस्तान, अमेरिका को अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर तीन दशकों से ब्लैकमेल करता रहा है जिसकी भारी कीमत खुद अमेरिका के अलावा भारत ने दी है।

लेकिन यह सब अब भूतपूर्व हो चुका है। आज पाकिस्तान ने तरक्की कर ली है। वो समय और था जब अमेरिका शीत युद्ध, अफगानिस्तान, तालिबान, अल कायदा और मध्यपूर्व व दक्षिण एशिया के सामरिक संतुलन व भूराजनीति को अपने नियंत्रण में रखने के स्वार्थ में पाकिस्तान के ब्लैकमेल को वैधता प्रदान करता रहा था।

आज पाकिस्तान, ब्लैकमेलर से ऐसा अंतराष्ट्रीय भिखारी बन गया है जो एक हाथ में कटोरा और दूसरे में न्यूक्लियर बम लिये दुनिया से अपनी बात मनवाना चाहता है।

आज का पाकिस्तान एक ग्लैमरस भिखारी है, नया पाकिस्तान बनाने वाले इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं और भारत का एक वर्ग उनका प्रशंसक भी रहा है। जब वे क्रिकेट खेलते थे तब भारत में आम जनता से लेकर मीडिया तक उनको खास समझती थी। जब उन्होंने पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ नाम का राजनीतिक दल बनाया तब भारत में यह माना जा रहा था कि आधुनिक विचार वाले इमरान खान पाकिस्तान में खास बदलाव ला सकते हैं।

लेकिन जैसे जैसे इमरान खान का पाकिस्तान में राजनीतिक कद बढ़ता गया वैसे वैसे उनका असली चरित्र और विचारधारा सामने आने लगी। लोग उम्र के साथ कट्टरवादिता छोड़ विचारों में खुलापन लाते हैं, वहीं इमरान खान के साथ ठीक उल्टा हुआ।

80 के दशक के आधुनिक प्रगतिशील प्लेबॉय की छवि वाले इमरान खान साल 2000 आते आते पूरी तरह बदल कर इस्लामिक कट्टरपंथी बन गए लेकिन फिर भी भारत में इमरान को लेकर कामोन्माद का अनुभव करने वालों ने इस परिवर्तन की उपेक्षा कर के इसे पाकिस्तान के राजनीतिक वातावरण में ओढ़ी गयी उनकी मजबूरी के नाम पर परोसा।

आज भी राजनीतिक दलों के कुछ राजनीतिज्ञों, प्रबुद्ध वर्ग, बुद्धिजीवियों और भारतीय मीडिया में पाकपरस्त लोगों में यही स्थापित है।

मेरा मानना है कि भारत को लेकर इमरान खान की सोच कभी अच्छी नहीं रही है। आज जब इमरान खान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं, तब मेरा आंकलन है कि भारत के लिए वे जनरल परवेज़ मुशर्रफ के बाद सबसे खतरनाक प्रधानमंत्री हैं।

मुशर्रफ के बाद जितने भी प्रधानमंत्री पाकिस्तान के हुये, वे भले ही पाकिस्तानी इस्टेबलिशमेंट (सेना और आईएसआई) के समर्थन से सत्ता पर रहे हों, लेकिन वे राजनीतिज्ञ थे। इन सभी प्रधानमंत्रियों ने, खास तौर से नवाज़ शरीफ और बेनज़ीर भुट्टो ने समय समय पर सेना के जनरलों से टकराव लेने की कोशिश की थी लेकिन इमरान खान की सेना से टकराव की कोई भी संभावना नहीं है।

पाकिस्तानी इस्टेबलिशमेंट से इमरान खान का टकराव न होने का कारण सिर्फ यही नहीं है कि उन्हें पाकिस्तान की इस्टेबलिशमेंट ने चुनाव जितवा कर प्रधानमंत्री बनवाया है, बल्कि इसलिये कि वे वैचारिक रूप से पाकिस्तानी इस्टेबलिशमेंट की जेहादी विचारधारा के ही हैं। वे पूरी तरह से भारत व उसके हिन्दुओं के कट्टर इस्लामिक विरोधी हैं।

इमरान खान वास्तविकता में क्या है यह 2013 में ही सबके सामने आ गया था, जब उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने खैबर पख्तून में जमात ए इस्लामी जैसे कट्टर इस्लामी राजनीतिक दल से मिल कर वहां सरकार बनाई थी।

यह वह जमात ए इस्लामी पार्टी है जिसका उद्देश्य ही पाकिस्तान को ऐसा इस्लामिक राष्ट्र बनाना है जो शरिया कानून से चलेगा। यह वह पार्टी है जिसने कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जिसका उद्देश्य पूरे कश्मीर को स्वतंत्र करना था उसको किनारे लगाने के लिए हिज्ब उल मुजाहिदीन को बनाया था जिसका उद्देश्य कश्मीर को इस्लामिक बनाना था। इसके कमांडर सैयद सलाहुद्दीन को मुत्तहिद जिहाद कौंसिल का लीडर बनाया गया था, जो कश्मीर में आतंकवाद फैलाने वाले सभी आतंकवादी गुटों की एक मंडली थी।

यही नहीं जमात ए इस्लामी, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जिसे पाकिस्तानी तालिबान कहा जाता है, उसकी न सिर्फ समर्थक है बल्कि सहयोगी भी है।

आपको दिसम्बर 2014 में पेशावर में सैनिक स्कूल के हमले की याद है जिसमें बच्चों समेत 145 बच्चो की हत्या की गई थी? इस हत्याकांड की जिम्मेदारी तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने ली थी और इमरान खान वह पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ थे जो पाकिस्तानी तालिबान के विरुद्ध मौन रहे थे।

आज जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पुलवामा में हुई आतंकवादी घटना में 44 जवानों की मौत पर शोक व्यक्त करते नहीं देखता हूँ तो कोई आश्चर्य नहीं होता है। आज जब इमरान को भारत के आरोपों पर पाकिस्तानी इस्टेबलिशमेंट द्वारा संपादित किया हुआ जवाब देखते हुए देखता हूँ तो कोई आश्चर्य नहीं होता है। इमरान खान, पाकिस्तान की इस्टेबलिशमेंट की कठपुतली नहीं हैं बल्कि वे उसका राजनीतिक चेहरा हैं।

यदि आपको भारत व उसके हिन्दुओं का वास्तविक नाश करने की अपेक्षा रखने वालों की सच में पहचान करनी है तो सिर्फ उनको चिह्नित कीजिये जो इमरान खान से गले मिल रहे हैं, जो उनका बचाव कर रहे हैं और जो इमरान खान के प्रवक्ता बने भारत व उसकी सेना पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।

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