जीवन में सबकुछ परिवर्तनशील है सिवाय एक वस्तु के और वह है स्वयं ‘परिवर्तन’…
रोज़ एक जैसा काम करते रहना भी कभी कभी बहुत उबाऊ हो जाता है. कभी रोज़ एक जैसा खाना भी बोर करने लगता है, तो कभी एक ही तरह का पहनावा भी बोर करता है, ऑफिस में रोज़ एक जैसे लोगों से मिलना, रिश्तों में भी कभी-कभी एकरसता आ जाती है… तब हम क्या करते हैं?
कभी खाने में कोई नई चीज़ बना लेते हैं, या कई लोग बाहर खाना खा आते हैं, कभी हम नई ड्रेस पहन लेते हैं, कभी नए दोस्त बना लेते हैं, घर के रिश्तों में एकरसता आ जाए तो हम या तो अधिक झगड़ालू हो जाते हैं या अधिक प्रेमिल, या फिर एकदम तटस्थ हो जाते हैं…
और यदि कोई मेरे जैसा हो जो इस बात का दावा करता है कि मैं रोज़ नई हूँ, तो इस नएपन के लिए बहुत से प्रयोग करती रहती हूँ, लेकिन इस नए प्रयोगों के साथ भी मैं अपना पुरानापन कभी नहीं छोड़ती, और हमेशा यही कहती हूँ इस दिल में बसकर देखो तो यह शहर बड़ा पुराना है…
नए के साथ पुराने का विरोधाभास आपको इसी जीवन में मिलेगा… जिसके लिए लोग कहते हैं कभी कभी हमें समझ नहीं आता आप सांसारिक अधिक हैं या आध्यात्मिक अधिक हैं…
तो जिसने इन दोनों के बीच की उस महीन रेखा पर चलना सीख लिया वह मेले में करतब दिखानेवाले उस कलाबाज़ की तरह हो जाता है जो हाथ में सिर्फ एक लकड़ी लिए रस्सी पर संतुलन साधकर चलता है.
दुनिया के मेले में हम वही कलाबाज़ हैं. जिसे इस दो दुनिया के बीच बंधी रस्सी पर संतुलन साधे चलना आ गया वह वाहवाही पाएगा, और जिसकी नज़र ज़रा सी चूकी वह सीधे नीचे जाएगा.
तो मुद्दा यह कि नज़र तेज़ रखिये, छठी इन्द्रिय को सजग और देश के बदलते माहौल के बीच हर घटना (सुखद या दु:खद आप तय कर लें ) के घटित होने के कारण आगे क्या सकारात्मक परिवर्तन आने वाले हैं उस पर ध्यान दीजिये.
बाकी पिछले कई महीनों से मेकिंग इंडिया साप्ताहिकी को एक जैसा देखते हुए मुझमें भी एकरसता आ गयी थी, तो इस बार मैंने बहुत सारे परिवर्तन किये हैं, जो वाकई इसे दिल से पढ़ते हैं उनके लिए यह एक खूबसूरत यात्रा होगी, जो लोग नहीं पढ़ते उनको भी निराश होने की आवश्यकता नहीं, उनके लिए मैं वीडियो के माध्यम से कुम्भ की यात्रा लेकर आई हूँ…
और जिन्हें मेरी ये दोनों चीज़ें उबाऊ लगती हैं, वो मेरी वॉल पर क्या कर रहे हैं भाई, जाइए दुनिया में बहुत कुछ नया हो रहा है… देखिये आपने अभी अभी एक नई सांस ली… और आप पिछली सांस से बिलकुल अलग और अधिक ऊर्जावान नज़र आ रहे हैं… इस नएपन को बनाए रखिये, इस हफ्ते यह अंक पुराना हो जाएगा… आप इसे पढ़िए तब तक मैं अगले अंक के लिए कुछ नया सोचकर आती हूँ…
इस बार का अंक… तेरा तुझको अर्पण – www.makingindia.co
आपकी वही पुरानी जीवन शैफाली