थोड़ी प्रतीक्षा और बहुत भरोसा कीजिए

सोशल मीडिया पर देशभक्ति की माइक टेस्टिंग चल रही है। एक महान गधा लिख रहा कि पूरा विपक्ष बैठक कर रहा और मोदीजी देश घूम रहे हैं। यानी विपक्ष देशभक्ति में लबडब है और मोदीजी को तो कोई परवाह ही नहीं। हाय रे विद्वान! विपक्ष के देशप्रेम पर बलिहारी जाऊं।

वह तो गनीमत है कि देश में हाहाकार मचा है वरना विपक्ष अभी अपना रंग दिखाता। दिखला रहा भी है। विपक्ष की देशभक्ति देखकर आंसू बहाने वाले हिन्दुओं पर क्या कहूं! शब्द नहीं हैं मेरे पास!

दूसरे भाईसाहब चुनौती दे रहे हैं कि जो पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलेगा, वह देशभक्त कहलाएगा। बॉर्डर पार्ट 2 की शूटिंग चल रही है क्या?

और दिलचस्प तो यह कि उनके चुनौती देते ही दो-तीन भाईजान उछल कर आए और दे “मुर्दाबाद मुर्दाबाद पाकिस्तान” कर दिए। भाईसाहब खुश। एकदम गदगद। लेकिन मैं तो इनकी रग-रग पहचानता हूं। भाईजान की वाल पर गया तो वही रंडीरुदन। मोदी को गाली और अभद्र टिप्पणियां। 2019 में उनकी विदाई के सपने। प्रियंका गांधी और दूसरे विपक्षी नेताओं की प्रशंसा।

हिन्दू विकट भावनात्मक मूर्ख है। उसे बेवकूफ बनाना क्षणभर का काम है। और सदियों से साज़िश, ठगी, धोखाधड़ी में पारंगत हमारे शांतिप्रिय समुदाय के लोग इस काम को चुटकियों में अंजाम देते हैं।

अरे विद्वान! पूछना है तो यह मत पूछो कि कौन पाकिस्तान मुर्दाबाद कर सकता। यह पूछो कि गोधरा पर क्या राय है? देश विभाजन के लिए कौन जिम्मेदार था? हर हिन्दू त्योहार पर ही पथराव क्यों होते हैं? हर आतंकी मुसलमान क्यों है? पूरी दुनिया में हो रहे आतंकवाद के लिए तुम्हारी मज़हबी विचारधारा जिम्मेदार क्यों नहीं है?

पाकिस्तान, बांग्लादेश से करोड़ों हिंदू कहां गए? कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं को निकालने, उनके साथ बर्बरता पर क्या विचार हैं? हर गोहत्यारे को सज़ा क्यों नहीं मिलनी चाहिए? गजनी से लेकर औरंगज़ेब और टीपू तक के इस्लामिक राज में हिन्दुओं के साथ हुए नृशंस अत्याचार पर क्या सोचते हो?

बाबरी मस्जिद पर क्या विचार हैं? कश्मीर में पत्थरबाज़ों को क्यों नहीं ठोकना चाहिए? वंदेमातरम गाने में क्या संकट है? केरल और बंगाल में जेहादी ताकतों के उभार से डर नहीं लगता? लोकतंत्र में चुने हुए प्रधानमंत्री को एक सुर में गाली क्यों देते हो?

अंत में, इस दुखद घड़ी में उन्मादी स्वर ठीक नहीं। जो लोग इज़राइल का गाना गा रहे वो बच्चे हैं। इज़राइल और भारत दो ध्रुव पर हैं। और पाकिस्तान पर परमाणु बम गिराने या युद्ध की मांग करने वाले बहुत लापरवाह हैं। चालीस की जान गई है तो हाहाकार मचा है जब चार करोड़ एक धमाके में भस्म हो जाएंगे तब क्या होगा? तुम बम मारोगे तो बम खाओगे भी! कोई रोक नहीं पाएगा। धनुर्धर अर्जुन आकाश में तीरों की अभेद्य दीवार नहीं खड़ी करेंगे। एक परमाणु हमला भी भारत को वो दर्द दे जाएगा कि पीढ़ियां नहीं झेल नहीं पाएंगी।

बदला लेना और भरपूर लेना, सेना का काम है। वह लेगी, पाकिस्तानी पिल्लों को भोगना तो होगा। थोड़ी प्रतीक्षा और बहुत भरोसा कीजिए। आप जितना सोचते हैं ना उससे कहीं अधिक हमारे सैनिक और देश का प्रधानमंत्री सोचते हैं। इंतज़ार कीजिए…

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