भ्रम टूटने की पीड़ा के साथ जुड़ा होता है सत्य का उजागर होना….
बस हम उस सत्य उदघाटन की प्रसन्नता से आबद्ध होने के स्थान पर पीड़ा के सानिध्य में जाना अधिक पसंद करते हैं….
क्योंकि पहाड़ उतरना चढ़ने की अपेक्षा अधिक सरल कार्य है…
स्वभावतः मनुष्य आलसी प्रवृत्ति का होता है जो सरलता से हो जाए वो कार्य अधिक पसंद करता है…
सत्योद्घाटन की कठिन यात्रा का फल जिसने चख लिया वो भ्रम की टूटन पीड़ा से मुक्त हो जाता है…
और सत्य यह है कि हम चाहे खुद को कितना ही बड़ा समझ लें हम उसकी प्रयोगशाला का एक उपकरण मात्र है जिसमें वो जीवन रसायन तैयार करता है और जीवन रसायन के साथ ही ऐसे रसायन की खोज कर रहा है जो जीवन की संभावनाओं से परे हो..
हालांकि यह भी उतना ही सत्य है कि जब भी जीवन रसायन के अलावा किसी नए तत्त्व की खोज होती है उसे जीवन से अलग नहीं किया जा सकता….
ऐसे ही जीवन के सप्त रंगों के साथ एक नए तत्व को तलाशने की यात्रा करते हुए मेकिंग इंडिया साप्ताहिकी का नया अंक प्रस्तुत है… लिंक यह रहा – www.makingindia.co
तेरा तुझको अर्पण…
जीवन के रंगमंच से : हंसीबा, खेलिबा, धरिबा ध्यानं…
लोग अक्सर मुझसे प्रश्न पूछते हैं, आप हमेशा प्रसन्नचित्त कैसे रहती हैं? और आसपास हो रही नकारात्मक घटनाओं और नकारात्मक लोगों के बीच अपनी सकारात्मक ऊर्जा को कैसे बनाया रखा जाए?
तो इस वीडियो में मैंने अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों के साथ ध्यान के बारे में कुछ छोटी मोटी बातें बताने का प्रयास किया है, एक बार अवश्य देखें…
और एक बात हमेशा याद रखिये… नकारात्मक बातों को गेंद बनाकर अपनी सकारात्मक ऊर्जा से ज़ोरदार बैटिंग कीजिये और छक्के लगाइए…
याद रखिये इस जीवन से आउट होने से पहले सेंचुरी बनाकर जाना है… एक बार #youTube पर वीडियो पूरा अवश्य देखें
इस बार का मेकिंग इंडिया साप्ताहिकी के फरवरी माह का पहला अंक इस लिंक पर है –
www.makingindia.co
– माँ जीवन शैफाली
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