बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाना क्या उचित होगा?

रविवार को कोलकाता में सीबीआई टीम को ममता बनर्जी की पुलिस द्वारा बंधक बनाए जाने और फिर ममता के मचाए बवाल के बाद बहुत से मित्र इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा कर ममता सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए।

ये माना कि ममता अपने आप में बगदादी की तरह एक डिक्टेटर बन चुकी हैं और इसलिए मैंने उन्हें पहले भी नाम दिया – बंग दादी या लेडी बगदादी – जिनका काम हिन्दुओं का दमन और मोदी की केंद्र सरकार के खिलाफ बगावत कर सभी भ्रष्टों की पार्टियों को एकजुट करना है।

लेकिन ऐसा करते हुए हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये, अपने आप को महारानी समझने वाली, अपनी विश्वसनीयता खो रही हैं।

इनकी राजनीतिक ज़मीन इसके पैरों के नीचे से खिसक रही है और यही वजह है ये इतनी बौखलाई हुई हैं। मोदी सरकार के खिलाफ जितना विद्रोह करेंगी उतना ही इनका जनाधार खत्म होता जायेगा और इसका सत्ता से बाहर जाना तय हो जायेगा।

2014 से पहले कांग्रेस भी घोटाले कर करके अपनी विश्वसनीयता खोती चली गई थी, जिसका परिणाम हमने देखा और अब इसी तरह ये लेडी बगदादी भी सत्ता से बाहर होगी।

इस बंग दादी के साथ वो सभी दल हैं जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है। राज्य में इनके पास CPM की तरह गुंडों की फ़ौज है जिसमें अधिकांश मुसलमान हैं और/ या बांग्लादेशी हैं और रोहिंग्या हैं। आम जनमानस इनके साथ नहीं है। इनका आचरण खुद ही बंगाल में हिन्दू शक्ति को संगठित कर रहा है।

ऐसे में अगर केंद्र इनकी सरकार को बर्खास्त करती है तो इससे तो इन्हें ऑक्सीजन मिल जाएगी। ये अपने आपको जनता के सामने एक पीड़ित बना कर पेश करेंगी और हमदर्दी बटोरेंगी। जो बाज़ी अभी भाजपा के हाथ में है वो इनके हाथ में चली जाएगी।

और ये भी याद रखना चाहिए कि इस लेडी बगदादी द्वारा सीधे सुप्रीम कोर्ट और संविधान को चुनौती देने के बावजूद भी ये भरोसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति शासन को सही मान लेगा।

अगर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को गैर कानूनी कह दिया तो वो नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा के लिए घातक होगा… फिर ऐसा काम क्यों किया जाये।

अब ये सभी दल बंग दादी से मिल कर नरेंद्र मोदी के खिलाफ छातियां तो पीट रहे हैं मगर इन्हें ये नहीं पता कि ये 20 मई 2011 को मुख्यमंत्री बनी थीं और सारधा घोटाला दिल्ली में यूपीए (कांग्रेस) सरकार के रहते अप्रैल 2013 में सामने आया। इस पर बंगाल सरकार ने भी जाँच बिठाई और कांग्रेस की केंद्र सरकार ने आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय से जांच शुरू करवाई।

उसके बाद 9 मई 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले की सम्पूर्ण जांच CBI को सौंप दी। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस सरकार थी और राज्य में ममता सरकार। भाजपा तब दोनों में से किसी जगह नहीं थी। फिर ये सारे भाजपा के सर पर बिल क्यों फाड़ रहे हैं!

कल तक कांग्रेस इस घोटाले के लिए ममता को कोस रही थी और आज राहुल गाँधी उसी ममता के साथ कंधे से कन्धा मिला कर खड़े होने की कसम खा रहे हैं।

अब सोचिये बंग दादी जब खुद एक्सपोज़ हो रही हैं तो उन्हें बर्खास्त कर ऑक्सीजन क्यों दी जाये। अलबत्ता सुप्रीम कोर्ट अपनी इज़्ज़त के लिए उन्हें बर्खास्त करना चाहता है तो करे, क्योंकि अदालत के जांच दल को गिरफ्तार करके गाली तो ममता ने अदालत को ही दी है।

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