फ़िलहाल तो वाकई में समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ? “यह” हैं कौन आखिर, जो अनवरत चले जा रहे हैं देश की समृद्धि के लिए, बिना रुके बिना थमे।
सच में मुझे लगता है जब माँ जीवन शैफाली अपने एक लेख में कहतीं हैं (उद्धृत कर रही हूँ) – “…विरोधियों और विपक्षियों को भले उनमें सिर्फ एक प्रधानमंत्री दिखाई देता होगा जो कुछ वर्षों तक भारत की बागडोर थामने के बाद चला जाएगा…
लेकिन जग्गी वासुदेव सहित भारत की पुण्य भूमि पर जन्म लेने वाले सनातनी ये बात बहुत अच्छे से जानते हैं कि मोदी जी को केवल देश की जनता नहीं चुना बल्कि ब्रह्माण्ड की एक विशेष योजना के तहत उन्हें भारत के उन्नयन के लिए चुना गया है…”।
पूर्ण सहमत तब भी थी, अब और हूँ, अब और भी स्पष्ट रूप से दिखने लग गया है बल्कि कहना चाहिए कि सही में चरितार्थ होता हुआ देख पा रही हूँ। आज का मोदी जी का लेह भाषण जब देख रही थी, देखते देखते सोच रही थी – पिछले कई दिनों से देश के कई मैदानी इलाकों में जा जा कर सार्वजनिक सभाओं को सम्बोधित करना, फिर युवाओं को ध्यान रखते हुए परीक्षा पे चर्चा 2.0 / New India Youth Conclave 2019, Surat में चर्चा करना, कई सारे योजनाओं का शिलान्यास / संज्ञान लेना, इत्यादि इत्यादि। और आज सुबह सुबह लेह पहुंच जाना, जहाँ तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे है और सभा को फिर से संबोधन करना।
ऐसा भी नहीं है कि मोदी जी खासकर आजकल (क्यूंकि 2019 चुनाव अब सर पर हैं) भाषण सिर्फ चुनाव को मद्देनज़र रखते हुए करते हैं। नहीं, उसके साथ-साथ निश्चय ही 2014 से जिस मन्त्र को लेकर चले थे – “सबका साथ सबका विकास”, अभी तक उसी मन्त्र को ज़मीनी हकीकत बनाने का पूरा पूरा प्रयास है उनका।
यह सब करते हुए भी वह अपनी विनम्रता बिलकुल भी नहीं भूलते, और बात भूलने की भी नहीं है, यह सारे व्यवहार मोदी जी के मूल स्वभाव में है। वह उम्रदराज़ माताओं का इतने कड़ाके की ठण्ड में लेह एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने आना हवा में उड़ा नहीं देते किन्तु उसे याद भी रखते हैं और सभी के सामने स्वीकार भी करते हैं।
यही छोटी छोटी “साधारण” बातें मोदी जी को सर्वथा असाधारण बना देतीं हैं। और यह अपने आप में अतिश्योक्ति नहीं जब वह कहते हैं कि – “मैं हिंदुस्तान के हर कोने से भटक कर आया हूँ” (संघ कार्यकाल के दौरान), सो उन्हें अच्छे से मालूम है जन मानस के भावनाओं का, उनके तकलीफों का और उसी चीज़ का वो सम्मान करते हैं, इन्हीं सब को आधार बना कर आगे बढ़ते जा रहे हैं।
और तभी इस भाषण में खासकर (जहाँ तक मेरी स्मृति जा रही) कहते हैं – “आपके जीवन को आसान बनाने वाली परियोजनाओं का शिलान्यास कर रहा हूँ” – अर्थात लेह जैसे कठिन जगहों पर किसी भी योजना को मूर्त रूप देने में क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं, यह प्रधानमंत्री जी को पूरा ज्ञात है, किन्तु वह “सबका साथ सबका विकास” पर अडिग हैं, ज़मीनी हकीकत में बदल भी रहे हैं।
सभा को सम्बोधित करते वक़्त प्रेरक प्रसंग भी बताते रहते हैं जैसे – लेह से गोभी ले जाने का प्रसंग।
ऐसी असंख्य बातें हैं जो मैं चाहूँ तो भी पूरा नहीं लिख सकती और तभी माँ जीवन की बात से वाकिफ रखते हुए कि – “ब्रह्माण्ड की एक विशेष योजना के तहत उन्हें भारत के उन्नयन के लिए चुना गया है” अपनी बात का अंत करती हूँ।
जय भारत।
- मीनाक्षी करण