कश्मीर में कल आतंकियों के कायरतापूर्वक काम पर मैं इंतज़ार कर रहा था कि कब दिल्ली के लुटियन इलाके के लोगों की आँख खुलेगी।
कब राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, रवीश कुमार, सागरिका घोष, निधि राज़दान… अब्दुल्ला या गाँधी कुछ बोलेगा… लेकिन सब चुप हैं।
कम से कम मोमबत्ती और बिन्दी गैंग तो बाहर निकलेगी ही… लेकिन कहीं कोई आहट नहीं है।
आखिर क्यों चुप हैं ये सब… मेरी नज़र में ये कारण हो सकते हैं –
- पहली वजह, या तो वो इस हत्या को जायज़ मानते हैं, आतंकियों की कथित मुखबिरी की सज़ा इस हत्या को वो सही मानते हैं।
- दूसरी वजह, या फिर वो ये मानते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे का सपना आम कश्मीरी को देखने का हक नहीं है, जिसने देखा उसका हश्र यहीं होना चाहिए।
- तीसरी वजह, Image Consciousness. इन लिबरल्स को कश्मीरी लड़की की मौत का दु:ख तो है लेकिन उसकी निंदा करने से आतंकियों और अलगाववादियों के बीच उनका जनाधार/ दुकानदारी कम हो जायेगी।
- चौथी वजह, लिबरल्स तक ये खबर पहुंची ही नहीं। ये बात सौ फीसदी असंभव दिखायी देती है। जिस न्यूज़ बिजनेस में वो हैं, वहां ऐसी खबर उन तक न पहुंचे, जोकि पूरे देश को झकझोर चुकी है, जिसकी निंदा पूरा जम्मू कश्मीर कर रहा है, ऐसा संभव ही नहीं है।
- उनके एजेंडा-पॉलिटिक्स में ये खबर फिट नहीं बैठती… लिहाज़ा इशरत की खबर को जानबूझकर नजरअदांज़ किया जा रहा है।
चुप्पी की वजह चाहे जो भी हो लेकिन है खतरनाक, जोकि लिबरल्स की सच्चाई और एजेंडे को ही उजागर कर रही है।
ये है मामला…
घाटी में अब महिलाएं भी आतंकियों से सुरक्षित नहीं हैं… गुरूवार रात जम्मू कश्मीर में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें आतंकी फेरन पहने एक मासूम लड़की की लाइव हत्या कर रहे हैं।
महज़ 10 सेकंड के इस वीडियो में लड़की हाथ जोड़े घुटनों बल बैठी है, तभी अचानक आतंकी उसके सर में 2 गोलियां मारते हैं। इस्लामिक स्टेट स्टाइल आतंकियों की ये कायराना बर्बरता देख आपका खून खौलने लगेगा, कि आतंकी घाटी में किस कदर हैवानियत पर उतर आये हैं।
शुक्रवार सुबह तक वीडियो से जुड़ी तमाम जानकारी साफ हो गयीं… सुबह शोपियां जिले के ड्रगाड से सुरक्षाबलों ने लड़की की लाश बरामद की। जिसकी पहचान 25 साल की इशरत मुनीर के तौर पर हुई है। जो कि डेंजरपोरा पुलवामा की रहने वाली है।
पता चला कि ये 13 जनवरी को मारे गये अल-बद्र कमांडर ज़ीनत-उल-इस्लाम की मौसेरी बहन है। खबरों के मुताबिक आतंकियों को शक था कि इशरत ने आतंकियों की सूचना सुरक्षाबलों को दी थी। इसी शक के आधार पर आतंकियों ने इशरत को अगवा किया और इस्लामिक स्टेट स्टाइल में उसकी हत्या कर दी… ज़ीनत-उल-इस्लाम 13 जनवरी को एनकाउंटर में मारा गया था।
घाटी में इस घटना के बाद जबरदस्त रोष है, लगातार आतंकवाद से आजिज़ आ चुके हैं। लोग शांति और अमन चाहते हैं। क्योंकि आतंकियों ने अब महिलाओं को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
यही वजह है कि जान खतरे में होने के बावजूद स्थानीय लोग ही आतंकियों की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को मुहैया करा रहे हैं। इसी कड़ी में आज सुबह पुलवामा में सुरक्षाबलों ने 2 और आतंकियों को मार गिराया। दोनों जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे।
पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही इशरत मुनीर के हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जायेगा।