प्रिय इंडियन नेशनल काँग्रेस,
आपका ट्वीट देखा जिसमें आपने पीएम मोदी के एक ट्वीट को कोट करते हुए व्यंग्यात्मक शैली में उन्हें ज्ञान देने की कोशिश की है जिसमें आपने उन्हें बताया है कि ये कोई टैंक नहीं बल्कि सेल्फ प्रोपेल्ड होइटज़र है।
इंडियन नेशनल कॉमेडियन्स की तरफ से ट्रोलिंग का ये प्रयास मुझे बचकाना लगा, साथ ही मुझे ये सोचने पर मजबूर किया कि इस देश मे कितने डॉक्टर थरूर बने हैं और कितने राहुल गांधी।
आपका लिखा पढ़ा उसे लिखने की कोशिश की, पर सच बताऊं तो मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया कि इसे कैसे उच्चारित करूँ या कैसे लिखूं.
वो क्या है ना कि हमारे देश मे एक आम इंसान को बहुत ही साधारण भाषा समझ आती है, उसकी वजह है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और सभ्य समाज के बीच अर्जित ज्ञान बड़ा ही सुविधाजनक भाषा में होता है।
आपको पता नहीं होगा क्योंकि लुट्येन्स में रहने वाले एलीट क्लास को इस देश की आम जनता और उसकी समझ के स्तर की जानकारी आज तक नहीं है।
आपको पता है इस देश के ग्रामीण अंचल में आज भी लोग किसी हैचबैक कार को देखके यही कहते हैं कि “मारुति आ गयी” चाहे भले वो चार छल्लों के लोगो वाली ऑडी ही क्यों ना हो।
आज भी 90% बैकवर्ड पीपल किसी भी ब्रांड के डिटर्जेंट पाउडर को ‘निरमा’ ही बुलाते हैं, चाहे वो एरियल हो या सर्फ एक्सेल।
दशकों से गांव के लोग हर तरह की पैक्ड सोडा कोल्डड्रिंक को ‘लिम्का’ या ‘कोला’ बुलाते आये हैं, उन्हें नहीं मतलब ये स्प्राइट है या डाइट कोक।
अभी पिछले हफ्ते ही एक कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के को कहते सुना कि ये प्यूमा का लोगो कार पे किसने लगा रखा है।
अब इस टैंक की बात करो तो इसे दिखाएंगे किसी ग्रामीण को तो वो इसे तोप भी बुला सकता है।
वो क्या है कि टैंक तो वो सीवर के गड्ढे को भी कहते हैं और पानी के बड़े कंटेनर को भी।
हमारे समझने को तो ये बड़ा आसान है कि आपकी साढ़े चार साल की अपच अब भीषण कब्ज का रूप ले चुकी है। हमें पता है कि आपके लिए ये पचा पाना कितना मुश्किल है कि कैसे एक साधारण से परिवार से आया व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री बन गया और वो सारी दुनिया में जाके अपने देश की हर उस बात को अपनी भाषा में बहुत मजबूती से ना सिर्फ रखता है बल्कि उन्हें समझा भी पाता है जिस बात को आपके हार्वर्ड और कैम्ब्रिज वाले कभी नहीं पहुँचा सके।
आपको पता है उस एसपीएच को कल टीवी पर देखके मैंने भी उसे टैंक ही समझा था, क्योंकि वो टैंक जैसा ही दिखता है।
और आपको नहीं पता होगा कि मोदी जब बोलते हैं या सोशल मीडिया पर लिखते हैं तो वे हम जैसे करोड़ों लोगों से सीधा संवाद कर रहे होते हैं उन्हें शशि थरूर और राहुल गाँधी दोनों को नहीं समझाना होता उन्हें जिनको समझाना होता है वो इन दोनों के बीच में कहीं आते हैं।
क्योंकि देश की आम जनता ना तो थरूर साब की तरह हाइली एडुकेटेड है और ना ही आपके अध्यक्ष जी की तरह ज़ीरो आइक्यू वाली।
तो आप जब इस तरह की हल्की बातों से मज़ाक उड़ाने की कोशिश करेंगे तो मोदी का पता नहीं, पर इस देश की आम जनता अपनी समझ का मजाक उड़ाने की आपकी कोशिश का बुरा मान सकती है।
सनद रहे उस सेल्फ प्रोपेल्ड होइटज़र के तोपनुमा मुँह की दिशा जनता जनार्दन ही तय करती है, कहीं आपकी तरफ घूम गया तो…।