पाँच एक साल पहले की बात है, जब हिन्दू को कोई हिकारत के सुर में हिन्दू कहने पर हिन्दू लज्जित होता था क्योंकि उसके साथ साथ ही backward यह अनकहा शब्द उसे साफ सुनाई देता था।
सुनाने वाले अक्सर हिन्दू नामधारी ही होते थे, जिन्हें हम वामपंथी के नाम से जानते हैं। अकादमिया में इनकी पैठ होने के कारण उत्तर देने को सक्षम हिन्दू अपना भविष्य बिगाड़ने के डर से उनका प्रतिवाद करने से हिचकते थे। बाकी जिन्हें प्रतिवाद की इच्छा रही वे इनके समकक्ष शायद ही रहे।
आज हिन्दू को ये लोग हिन्दू नहीं, संघी कहते हैं। संघी कहना ही इनके लिए पर्याप्त होता है क्योंकि सामने वाला हिन्दू या तो आरोप से सिमट जाता है या फिर सफाई देने लगता है कि उसका संघ से कोई संबंध नहीं है।
बेझिझक आक्रमक होकर प्रत्युत्तर देना चाहिए ऐसे भाड़े के कुत्तों को। अगर आप संघ से संबन्धित नहीं है तो ऊंचे आवाज में पूछें कि वे इस आरोप को प्रमाणित करें या आप से माफी मांगे।
अगर ये सब के सामने फेस टू फेस आरोप लगाते हैं तो सीधा जूता उठाकर कहें कि साबित करो या जूता खाने को तैयार रहो। झापड़ या मुक्के से जूता निकालकर हाथ में उठाना अधिक परिणामकारक रहता है।
अगर आप अकेले नहीं है तो साथी को घटना की रिकॉर्डिंग करने को कहें, काम आयेगा। जूता चलाना है या नहीं, यह आप का निर्णय रहेगा परिस्थिति के अनुसार।
और अगर आप संघी हैं तो सीधा कहें कि इसमें बुरा क्या है यह बताएं। सीधा वामियों की कमियाँ और चरित्रहीनता की बातें करें। उनके इतिहास की बातें करें, केवल दीवालिया बनाने का इनका इतिहास रहा है यह भी बात करें। परिवारों को उन्होंने केवल ध्वस्त किया है, बेटियों को बापों से नफरत करना सिखाया है, महिलाओं को पतियों से नफरत सिखायी है, बच्चों को माँ बाप से नफरत करनी सिखायी है, इसकी साधार बातें करें । संघ की सफाई देने से उन पर हमला बोलने का मौका न छोड़ें।
उनकी दोगलाई का सबूत दें उन्हें ‘हिन्दू हेटर’ कह कर। अगर समाज की कुरीतियाँ ही दिखानी है तो उनकी आँखें दूसरों की कुरीतियाँ क्यों नहीं देख सकती यह भी सवाल करें। सीधा कहें कि नेट में सभी रिफ्रेन्स मिल जाते हैं, अभी मोबाइल पर दूसरों के रिफ्रेन्स दिखा देते हैं अगर बोलने की हिम्मत रखते हो। अपमानित करने का अवसर वे नहीं चूकते, सूद समेत लौटाना न चूकिए।
और हाँ, 2014 से पहले क्या आप यह सब कुछ कर सकते थे?
बाकी मोदी ने हिंदुओं के लिए कुछ नहीं किया, सही है ना?