17 जगहों पर छापे में ISIS के नये माड्यूल का भंडाफोड़।
दिल्ली दहलाने की साजिश रच रहे थे छात्र, इंजीनियर व मौलवी।
मोदी, योगी, संघ नेता निशाने पर।
बड़ी मात्रा में विस्फोटक मिले, 1 रॉकेट लॉन्चर भी।
नहीं। यह इतने अधिक खतरे की बात नहीं। आतंकवादी तो पहले भी कई बार पकड़े गये हैं भारत में।
सवाल यह नहीं है कि भारत में भी ISIS समर्थक आतंकवादी गुट हैं, सवाल यह है कि भारत का मुस्लिम समाज कब सड़क पर आयेगा इन ISIS समर्थक आतंकवादियों के खिलाफ?
कल विभिन्न टीवी चैनलों पर इस मुद्दे पर हुई बहस में मुस्लिम संगठनों के सदस्यों के रवैये से एक बार फिर निराशा हाथ लगी। एक लाइन में हल्की आवाज़ में आतंकवाद की बुराई करने के बाद अधिकतर मुस्लिम संगठनों का एक ही कहना था – कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं। बात खत्म।
ठीक है, अगर आपका यही मानना है तो फिर कोई मुस्लिम संगठन इन आतंकवादियों के समर्थन में तो सामने नहीं आयेगा न? इनको फांसी दी जाये तो उसके विरोध में कोई मुस्लिम संगठन धरना-प्रदर्शन तो नहीं करेगा न?
आखिर मुस्लिम समाज यह कब मानेगा कि पूरी दुनिया उनकी – ‘एक सच्चा मुसलमान आतंकवादी नहीं हो सकता’ या ‘इस्लाम का आतंकवाद से कोई वास्ता नहीं’ जैसी बातों को एक मज़ाक से अधिक कुछ नहीं मानता।
दुनिया भर में मुस्लिमों को शक और कहीं-कहीं नफरत की नज़र से देखा जा रहा है। लोग मुस्लिमों से डर रहे हैं – और इसीलिये मुस्लिमों से दूरी बनाने लगे हैं। डर लगता है कि पता नहीं कब और कहां कोई मुस्लिम आतंकवादी कोई बम विस्फोट कर दे, कोई रॉकेट लॉचर से हमला कर दे, किसी स्कूल पर हमला कर सैकड़ों मासूम बच्चों को कत्ल कर दे। डर लगता है।
नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान, शाहरुख खान, जावेद अख्तर… आप लोगों को देश के बिगड़ते माहौल से डर लगता है न, तो आप लोग ही आगे आओ और मुस्लिम समाज के इन भटके हुये लोगों को समझाने की कोशिश करो कि मुस्लिमों को हर तरह के आतंकवाद से हर कीमत पर अलग रहना ही होगा, वर्ना उनके प्रति बाकी देशवासियों का डर और गुस्सा बढ़ता ही रहेगा।
खुद मुस्लिमों को आगे बढ़कर अपने बीच छिपे – अपने मुहल्लों में रहते आतंकवादियों के बारे में पुलिस को बताना होगा, अपने बीच में रहते कट्टरपंथी मुल्ला-मौलवियों का विरोध करना ही होगा, क्योंकि अगर सामान्य मुस्लिम समाज भी इन आतंकवादियों/ कट्टरपंथियों का विरोध नहीं करेगा तो बाकी देशवासी कैसे पहचानेगा कि आप इन आतंकवादी/ कट्टरपंथी लोगों के खिलाफ हो या इनमें से ही एक।
भारत के मुसलमानों, उठो – इस्लाम पर ये बहुत बड़ा खतरा है। इस्लाम को मानने वाले ही आतंकवाद और कट्टरपंथ का सहारा लेकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। उठो और इन आतंकवादियों और कट्टरपंथियों का पुरज़ोर विरोध करो। और अगर अब भी तुम ये नहीं करना चाहते तो यह कहना छोड़ दो कि इस्लाम से आतंकवाद का कोई रिश्ता नहीं।
नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान, शाहरुख खान, जावेद अख्तर… आप लोग भी आगे बढ़कर इस्लाम को इस कट्टरपंथी सोच से बचाओ, तभी भारत में वह 1970-1980-1990 के दिन वापस आ सकते हैं जब अधिकतर हिन्दू मुस्लिमों को दिल से दोस्त-भाई मानते थे। क्योंकि सच यही है कि देश के हिन्दू आज की तारीख़ में आपसे डरा हुआ है और हम जिससे डरते हैं उसे भाई या दोस्त तो नहीं ही मान सकते।
अगर अभी भी मुस्लिम समाज अपने आपको इस कट्टरपंथी और देशहित द्रोही विचारधारा से दूर नहीं करेगा तो यह तो पक्का है कि हिन्दू समाज आपको पहले सी इज़्ज़त व प्यार तो नहीं ही दे सकता।
और हां,
जय हिंद।