Mission Modi 2019 : देश को एक बार फिर विदेशी के हाथ में जाने से बचाएं

हम इतने एहसान फरामोश हैं कि जिस व्यक्ति ने अपना सर्वस्व हम पर लुटा दिया, उससे कुछ असहमति के कारण देश दुश्मनों के पास गिरवी रखकर खुशियाँ खरीद लेने का दिव्य स्वप्न देखने लगते हैं, या फिर उसे कोसने लगते हैं, तुमको इस वजह से लेकर आये थे क्या?

मतलब आज़ादी के 70 साल बाद भी जिनके हाथों ने आपको दिन रात लूटा, वह तो नहीं ही दिया जो वर्तमान सरकार से उम्मीद है, बल्कि वह भी छीन लिया जो हमारे पास था… हिंदुत्व को इतना खतरा हो गया कि जब पहली बार इस मिट्टी से जन्मा व्यक्ति हमारा अग्रदूत बना तो चारों तरफ हिंदुत्व की लहर दौड़ गयी…

इसके पहले कब इस लहर को आपने इतने प्रचंड रूप में देखा था? 2014 के पहले किसी ने क्यों नहीं कहा हमारा हिंदुत्व खतरे में हैं… तब तो भ्रष्टाचार की मलाई चाटते रहे, अपना काम होना चाहिए बस…

भाई एक घर में तो चार लोगों की सोच भी एक जैसी नहीं होती… यहाँ तो एक इंसान पूरा देश संभाल रहा है…. हिन्दू को सर पर उठाओ तो मुस्लिनों को डर लगने लगता है, मुस्लिमों के लिए कुछ करो तो उस व्यक्ति दगाबाज़ कहा जाने लगता है…

आपको मंदिर चाहिए, उनको मस्जिद चाहिए, किसानों को कर्जे में माफी चाहिए, व्यापारियों को GST में राहत, सवर्णों को sc st act में खतरा लगता है, दलितों को आरक्षण छीन जाने में…

भाई कभी व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर देश का भी सोच लिया करो… मुझे तो 2019 में भी मोदी ही प्रधानमंत्री चाहिए, क्योंकि जिस सनातन व्यवस्था को नष्ट करने में सैकड़ों साल की मुग़लों और अंग्रेज़ों की गुलामी और 70 साल की तथाकथित आज़ादी ने योगदान दिया है, उसे वापस पाने के लिए अभी बहुत साल लगेंगे..

आप जो चाहते हैं वह सबकुछ होगा लेकिन सिर्फ पांच साल में आप चाहते हैं जादू हो जाना चाहिए था, तो मैं बता दूं.. यह जादू हुआ है बस हमने आँख पर स्वार्थ की सांसारिक पट्टी बाँध दी है इसलिए जो सूक्ष्म परिवर्तन नींव में हो गया है वो आपको दिखाई नहीं दे रहा..

कांग्रेस नाम के दीमक ने जो नींव को खोखला कर दिया था, मोदी सरकार ने उसे इतना मजबूत कर दिया है कि अब कोई दीमक वहां तक पहुँच नहीं सकती, लेकिन आपको तो नींव से अधिक उस पर बनने वाले आलिशान महल का स्वप्न देखना है…

भाई नींव मजबूत रहेगी, छत सही सलामत रहेगी तो ही तो महल का स्वप्न देखने चैन की नींद सो सकोगे, तब तक कुछ दिन झोंपड़ी में रहना भी पड़े तो क्या हम अपने देश के लिए इतना भी नहीं कर सकते??

हमारी आनेवाली पीढ़ी महलों में जन्म ले सके इसके लिए इस समय कुछ असुविधाओं को सहना क्या परिवार के सदस्यों का धर्म नहीं है?

अब आपसे क्या कहें… हम धर्म कहेंगे आप फिर मज़हब बीच में ले आओगे… हम धर्म कहेंगे आप विकास की बात करोगे, हम विकास कहेंगे आप हिंदुत्व की बात करोगे, हम हिंदुत्व की बात करेंगे आप मध्यम वर्ग की असुविधाओं की बात करेंगे….

आइये ना एक बार सब मिलकर भारत माता की बात करें, देश की अस्मिता की बात करें, देश को आज़ादी दिलाने के लिए कुर्बान हुए उन वीर शहीदों को याद करें, और एक बार विचार करें.. क्या यह संग्राम आज़ादी के लिए किए गए संग्रामों से कम है? आइये भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, वीर सावरकर, सुभाषचंद्र बोस की कुर्बानियों को याद करें और देश को एक बार फिर एक विदेशी के हाथ में जाने से बचाएं.

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