प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधनों को मैं समय मिलने पर देखता और पढ़ता हूँ। 18 दिसंबर को रिपब्लिक टीवी के फंक्शन में दिए गए सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी कहते है कि उनकी सरकार देश की चुनौतियां से निपटने के लिए स्थायी समाधान के लिए काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि “हम ऐसी व्यवस्थाओं को तोड़ रहे हैं, खत्म कर रहे हैं, जिन्होंने दशकों से देश के विकास को रोक रखा था”।
उदाहरण के लिए, उन्होंने बताया कि देश में हज़ारों ऐसी बड़ी-बड़ी कंपनियां थीं, जो बैंक से पांच सौ, हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज लेती थीं। लेकिन अलग-अलग वजहों से जब ये कंपनियां बीमार पड़ती थीं, घाटे में चली जाती थीं, बैंकों का पैसा नहीं लौटा पातीं थीं, तो इन कंपनियों को और इन कंपनियों के मालिकों को कुछ नहीं होता था।
आज़ादी के बाद से 70 साल से देश में यही व्यवस्था चली आ रही थी। क्योंकि इन कंपनियों को एक खास तरह का सुरक्षा कवच मिला हुआ था, जिसमें कुछ खास लोगों, कुछ खास परिवार के निर्देश चलते थे। ये ऐसा सुरक्षा कवच था जो बैंकों को कार्रवाई से रोकता था, जो कंपनियों को भी प्रोत्साहित करता था कि क्यों लौटाओ बैंकों का पैसा, कौन आपसे पैसे मांगने आ रहा है?
वे आगे कहते है कि उन्हें पता कि कितनी दिक्कतें आईं, किस तरह के दबाव का सामना करना पड़ा। लेकिन 2016 में Insolvency and Bankruptcy Code बनाकर उन्होंने इस सुरक्षा चक्र को तोड़ दिया। “आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि बैंकों से कर्ज़ लेकर बैठ जाने वाले, बीमार कंपनी के बहाने देश का हज़ारों करोड़ रुपए लेकर बैठे ऐसे लोग, ऐसी कंपनियां खुद अपना पैसा लौटाने लगी हैं”।
सिर्फ दो साल में अब तक सवा लाख करोड़ रुपए खुद चलकर ऐसी कंपनियों ने बैंकों को और अपने देनदारों को लौटाए हैं। इसमें से बहुत सारी राशि छोटे सप्लायर्स की थी, छोटे उद्यमियों की थी। जिन कंपनियों पर इस कानून का डंडा चला है, उन्हें करीब-करीब तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ अपने बैंकों को, अपने देनदारों को चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। और ये प्रक्रिया आज भी जारी है।
फिर वह कहते हैं चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन हेलीकॉप्टर घोटाले का इतना बड़ा राज़दार, क्रिश्चियन मिशेल भारत में होगा, सारी कड़ियां जोड़ रहा होगा।
ध्यान से पढ़िए, प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि मिशेल सारी कड़ियां जोड़ रहा होगा। मेरा मानना है कि जब सारी कड़ियां जुड़ जायेगी तो पता चल जाएगा कि घोटाले का पैसा कहाँ गया।
प्रधानमंत्री मोदी पूछते हैं कि क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत इतनी जल्दी फाइव ट्रिलियन डॉलर (351 लाख करोड़) अर्थव्यवस्था के क्लब में शामिल होने की तरफ अपना कदम बढ़ा देगा?
जानते है इसका मतलब क्या है? अमेरिका और चीन के बाद भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। हालाँकि भारत क्रय शक्ति के आधार पर इस समय विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आलरेडी है, लेकिन वास्तविक जीडीपी के आधार पर अभी पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
जानते हैं इसका प्रभाव क्या होगा? आज चीन जो चाहे कर लेता है। तिब्बत में कोई भी एक्शन ले सकता है। जिस दिन हम तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गए, कश्मीर समस्या अपने-आप हल हो जायेगी। पड़ोस का आतंकी देश आर्थिक रूप से 20 गुना बौना और कमज़ोर होगा।
यह होता है स्थायी समाधान, ना कि नारेबाज़ी।
अंत में, प्रधानमंत्री कहते हैं कि मेरा और मेरी सरकार की सोच और विज़न स्पष्ट है। दुनिया का सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश छोटे सपने नहीं देख सकता। सपने, आकांक्षाएं और लक्ष्य तो ऊंचे ही होने चाहिए। हम बड़े लक्ष्य की तरफ ईमानदारी से प्रयास करेंगे, तो उसे प्राप्त भी करेंगे। लेकिन लक्ष्य ही छोटा रखोगे तो सफलता भी छोटी ही नज़र आएगी।
एक फ्रेंच दार्शनिक ने कहा था कि हर देश को वह सरकार मिलती है जो इसके योग्य है।
हज़ारों वर्षो से सतत सनातनधर्मी, सबसे पुरानी और परिष्कृत सभ्यता के उत्तराधिकारी, स्वतंत्र भारत के निवासियों को अंततः नरेंद्र मोदी सरकार मिली है।
क्योंकि हम इस विशिष्ट प्रतिभा के धनी व्यक्ति और राष्ट्र निर्माता – नरेंद्र मोदी – को डिज़र्व करते हैं। क्योकि हम उनके योग्य है।