हम एकबार भी एक सुर में बोल दें तो लौट आएगा 16 मई, 2014 का वो दिन
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि हम भक्त नहीं होते तो ये फेसबुक कितनी मुर्दा जगह होती। सारे वामी-कामी-जिहादी-इतालवी माफिया एक सुर में इस बात पर बहस करते कि धूप का रंग भगवा या पीला जैसा क्यों है, तिलक और जनेऊ ब्राह्मणवादी पितृसत्ता का द्योतक है, ये महिलाओं और अल्पसंख्यकों को आतंकित करते हैं। तत्सम हिंदी … Continue reading हम एकबार भी एक सुर में बोल दें तो लौट आएगा 16 मई, 2014 का वो दिन
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