मंदिर तोड़ने पर बवाल! हिन्दू बौखलाए जा रहे हैं, पर और क्या कर रहे हैं?

फोटो साभार : punemirror.indiatimes.com

Sun Tzu के अलावा भी चाइना में युद्ध नीति के पुरोधा हो गए, जिनमें एक Cao Cao भी था। ये केवल विजय का आग्रही है, उसके लिए कुछ भी कर गुजरना उसके लिए बुरा नहीं। आज उसकी याद आ गयी कुछ ऐसी बातों पर, बताता हूँ।

हिन्दू बौखलाकर मोदी जी को कोस रहे हैं कि क्या इसके लिए हमने आप को वोट दिया था? वैसे ये कोसने के लिए उनके गुस्से को channelize किया जा रहा है, दिशा दी जा रही है। जिस मुद्दे को लोकल लेवल पर सुलझाया जा सकता है उसका ठीकरा जान बूझ कर मोदी जी पर फोड़ा जा रहा है।

वैसे पूरा खेल समझिए। कल पुणे के धनकवडी क्षेत्र में कुछ मंदिर तोड़े गए। निगम के लोगों ने रात में मंदिर तोड़े और कहा जा रहा है कि घर से कोई बाहर न आए इसलिए लोगों के घरों को बाहर से कुंडियाँ लगा दी।

हालांकि यह बात हज़म नहीं हो रही क्योंकि कितने लोग लगते इसके लिए और बस्ती में आवारा कुत्ते तो हर जगह घूमते ही है जो अंजान लोगों को देखकर बस्ती सर पर उठा लेते हैं।

[In a coup, PMC and cops lock in locals to raze illegal temples]

फिर भी, जिस तरह इसे परोसा जा रहा है कि देखो हिंदुओं, मोदी तुम्हारे साथ क्या कर रह रहा है।

सरकारी तंत्र मोदी के विरोध में है यह बात सर्वविदित है और इसीलिए कोर्ट के सभी हिन्दू विरोधी निर्णयों को सरकारी अधिकारी शिद्दत से लागू कर रहे हैं ताकि जनता का गुस्सा मोदी जी पर निकले।

ऊपर से आप को उकसाने को वैसे ही लोग आ जाये जो खुद को पूर्व मोदी समर्थक बतलाएँ। कुल मिलाकर यह एक स्ट्रेटजी बनती है जहां शत्रु के लोगों को उसके ही खिलाफ भड़काया जाता है। Cao Cao की नीतियाँ इस तरह के गुर सिखाती हैं। असली कुटिलता यही है।

वैसे इसका इलाज नहीं हो, ऐसी बात नहीं। लेकिन इच्छा और शक्ति दोनों आवश्यक है।

सब से पहले जब ऐसे होता है, जब मंदिर तोड़े जाते हैं, तो उस क्षेत्र के पार्षद से लेकर सांसद का महिलाओं और बुजुर्गों द्वारा ठीक से सार्वजनिक ‘सत्कार’ करना चाहिए और उसका वीडियो वायरल कर दिया जाना चाहिए।

ऐसे मामलों में हमेशा यह कोसना भी होता है कि विधर्मी के प्रार्थनास्थल भी गैर कानूनी हैं पर उनपर कार्रवाई नहीं होती। तो उनका भी पूरे होमवर्क के साथ ज्ञापन देना चाहिए और वीडियो में उसका नाम और स्थल निर्देश होना चाहिए।

इन लोगों को लगना चाहिए कि जनता उनसे सीधा जवाब मांगती है। आज ये ज़िम्मेदारी राज्य और केंद्रीय नेतृत्व पर डालकर पल्ला झाड लेते हैं, यह करने नहीं देना चाहिए।

और हाँ, आप को भी अपने मुद्दे के लिए समर्पित रहना होगा तथा यह भी देखना होगा कि आप को कहीं मुंह की न खानी पड़े और न आप के पीछे हठ के कारण आप के प्रतिनिधि को। सामने की तरफ 100% समर्थन और समर्पण रहता है। आप को भी देना होगा, तो ही बात में वज़न होगा वरना कोई दुबारा खड़े नहीं करेगा।

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