कांग्रेस और उसके सभी सहयोगी दल सदा से झूठ, भय, प्रलाप और अफवाहबाज़ी की राजनीति करते रहे हैं, क्योंकि इस देश की जनता को नौंटकी,जुमलेबाजी और लफ्फाजी की ही राजनीति रास आती है।
इस देश के लोग अंधे और बहरे बन जाते हैं जब कोई नेता अपना सर्वस्व भूल कर साल के 365 दिन, दिन के 24 घण्टे सिर्फ और सिर्फ इस देश के लिए कुछ बेहतर करने में लगा देता है।
जब कोई राष्ट्रभक्त अपने परिवार, रिश्तेदारों और समाज से दूर कभी नवरात्रि के निर्जला व्रत के दौरान भी अप्रवासी भारतीयों के बीच जाकर उनकी समस्याएं और मांगे सुनता है, या कभी दीवाली में बॉर्डर पर पहुंच कर सेना के जवानों के साथ दीपावली मनाता है, इस देश की जनता को उस राष्ट्रभक्त का हर कदम, हर प्रयास नौटंकी लगता है।
इस देश की जनता को मानव खोपड़ी को गले में लटकाए, अपनी पेशाब पीने वाले भाड़े के किसानो का ‘प्रायोजित अनशन’ ज्यादा वास्तविक लगता है।
पहले भी एक राष्ट्रभक्त वाजपेयी सरकार इस देश को परमाणु शक्ति सम्पन्न बना चुकी है, लेकिन इस देश की जनता ने महज प्याज़ की खातिर दिल्ली में उसी दल की सरकार को हरा दिया था… और लोकसभा चुनाव में भी वाजपेयी सरकार को हराकर गूंगी-बहरी-भ्रष्ट मनमोहन सरकार को चुन लिया था।
यहां निजी हित ज्यादा मायने रखते हैं। मोदी जी! कहाँ आप सबका साथ – सबका विकास की बात करते हैं! जबकि इस देश की जनता को तो गुजरात दंगों से लेकर, आसिफा बलात्कार, अख़लाक़ की हत्या, रोहित वेमुला की आत्महत्या, टीवी पर कालिख पोतने वाले पत्रकार और रॉफेल पर विपक्ष और मीडिया द्वारा रचे गए प्रपंचपूर्ण षडयंत्रों में ज्यादा रुचि है, ज्यादा विश्वास है।
मोदी जी, हम क्या शर्म करें ये कहने में, कि हमें झूठ, भय, डर और अंधविश्वास की राजनीति ही भाती है… जो आपसे हो नहीं पायेगी कभी… हमें काम नहीं चाहिए, विकास नहीं चाहिए, हमें तो सिर्फ प्रोपोगेंडा चाहिए…
इसीलिए कांग्रेस हमें दरिद्र, फटेहाल, भुखमरा रखकर भी 60 सालों तक हम पर राज करती रही, और आप खेल, व्यापार, अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य बल में देश को ऊपर उठाकर, चुन – चुनकर गुमनाम-महान लोगों को राष्ट्रीय पुरस्कार देकर, सुदूर गांवों में बिजली – पानी पहुंचाकर, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अत्याचार से बचाकर, गरीबों को मुफ्त चूल्हा, सरकारी घर देकर भी हमारे दिलों में जगह नहीं बना पाए…
हम तो आपसे महज चन्द असहमतियों के चलते वापस कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को ले जाएंगे… जैसे 60 साल उन्हें झेला है आगे भी झेल लेंगे… अफसोस, केजरीवाल जैसे नौटंकी नेता भारतीय जनता की इस मानसिकता को समझ गए पर आप नहीं समझे मोदी जी… हां हमें नौटंकी सरकार चाहिए… कामदार नहीं कामचोर नेता चाहिए…
केजरीवाल जैसे ‘कैकयी विलाप’ करने वाले नेता को कोई ‘मंथरा बुद्धि’ पत्रकार ही देगा समर्थन