काँग्रेस को जिताया नहीं बल्कि आप को हराया है

ऐसा है न! अब हार हुई है तो हुई है। चुपचाप एक्सेप्ट करो।

मारजिन बहुत कम है, मतलब आपको हराया गया है… मतलब आपके अपने लोग ही आपसे नाराज़ थे। मतलब आप लोकल कार्यकर्ताओं को गाजर मूली समझते हैं।

जो कि एक हद तक सही है।

काँग्रेस कोई प्रचंड बहुमत से नहीं जीती कि मुंह बनाकर बैठो… बेस वोट आज भी आपके साथ है। आप पब्लिक डिसेंट के शिकार हुए हो जो कि लाज़मी है. अब हर स्टेट में हर समय आप ही तो नही रहेंगे… वो भी तब जब आप अपनी ही बनाई पॉलिसी पर दृढ़ नहीं रहते।

यहां तक कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की नीति पर भी आप दृढ़ नहीं रहते। यहां एक उदाहरण देना बेहतर होगा।

आप नॉर्थ ईस्ट में एक के बाद एक स्टेट जीत रहे थे लेकिन अचानक मिज़ोरम में क्या हुआ? वहां काँग्रेस को हरा दिया लोगों ने… लेकिन इस बार लोगों ने काँग्रेस को हराकर आपको नहीं चुना… क्यों?

क्यों कि NRC के नाम पर आपने जो घालमेल खेला है उससे असम में भी लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं… राष्ट्रवाद की बात करते हुए आप NPF से अलायंस बनाते हैं। आप ऐसे में नागालैंड में सरकार ज़रूर बना लेते हैं लेकिन करोड़ों असमियों के मन में सवाल खड़े देते हैं।

काँग्रेस से प्रेम नहीं है यहां किसी को, लेकिन फिर चुने किसे? आप को… सवाल ही नहीं उठता… ऐसी ही वजहों से लोग क्षेत्रीय सरकारों को चुनते हैं।

ऐसे कई उदाहरण होंगे… जहां जहां आप हारे हैं… आपने दिल्ली और बिहार से हारने का जो सिलसिला शुरू हुआ उससे कुछ नहीं सीखा।

सीखिए! अपनी नीतियों पर कायम रहिये… स्थिति इतनी भी खराब नहीं।

काँग्रेस कोई प्रचंड बहुमत से नहीं जीती। जनता ने काँग्रेस को जिताया नहीं बल्कि आप को हराया है।

इसे स्वीकार करो और आगे बढ़ो… बस लीपना बंद करो। क्लियर कट पॉलिसी रखो।

ऑल द बेस्ट।

2019 के लिए यह अच्छा सबक है…

 

Comments

comments

LEAVE A REPLY